भारतीय रेलवे का लकड़ी के डिब्बों से वंदे भारत तक का गौरवशाली इतिहास
दिल्ली: आज से ठीक 170 साल पहले 16 अप्रैल, 1853 को, भारत ने ग्रेट इंडियन पेनिनसुला रेलवे द्वारा संचालित मुंबई के बोरीबंदर से महाराष्ट्र के ठाणे तक 34 किलोमीटर की दूरी पर अपनी पहली यात्री ट्रेन देखी थी. तब से भारतीय रेलवे अपने कई बदलाव के दौर देखें हैं. आजदी से पहले अंग्रेजों और उसके बाद भारत के विभिन्न सरकार ने रेलवे को नवीनतम टेक्नोलॉजी से जोड़ने की कोशिश की है. भारत की पहली ट्रेन में 14 लकड़ी के कोच जुड़े हुए थे, जिसपर कुल 400 सवारी बैठे थे. मालूम हो कि तब से अपने 170 साल के गौरव के इतिहास में भारतीय रेल कई दौर से गुजरे हैं लेकिन वर्तमान में रेलवे ने अपने उच्च विकास को ग्रहण किया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कुशल नेतृत्व में देश भर में ट्रेन की सबसे 'उन्नत' रेल 'वंदे भारत' देश भर के कई हिस्सों में सफलता से दौड़ रही है और भारत की सीना विश्वभर में गर्व से ऊंचा कर रही है.
आज ही के दिन 1853 में भारत में पहली ट्रेन 34 किमी तक दौड़ी थी. यह ट्रेन मुंबई के बोरी बंदर से ठाणे तक 400 सवारियों के साथ अपने 14 लकड़ी के डिब्बों के साथ दौड़ी थी. उत्तर भारत में, पहली पैसेंजर ट्रेन 15 अगस्त, 1854 को हावड़ा और हुगली के बीच अपने 39 किलोमीटर के रूट पर चली थी. वहीं, दक्षिण भारत में 19 अक्टूबर, 1875 को, इसने दक्षिण (मद्रास प्रेसीडेंसी) में वेयासरपांडी और वालाजाह रोड के बीच अपना 39 किमी चलाया गया.
मात्र 27 सालों में, भारत में ट्रैन की पटरियों का जाल बिछ गया. सन 1980 में भारत में 9,000 किमी का रेल नेटवर्क बिछ गया था. 1900 में रेलवे का विस्तार 38,640 किलोमीटर तक का हो गया और आजादी तक आते-आते विस्तार का दायरा बढ़कर 49,323 किलोमीटर तक जा पहुंचा.
वर्तमान में, भारतीय रेल पर मार्ग की कुल लंबाई 67,956 किमी मानी जा रही है, हालांकि, यार्ड, साइडिंग को मिला लिया जाये तो आकड़े बिल्कुल बदल जाते हैं. आजादी के बाद रेलवे के विकास के महत्व को भारत सरकार ने समझा और 1951 में भारतीय रेल का राष्ट्रीयकरण कर दिया गया. देश की आर्थिक व्यवस्था को मजबूत करने में रेलवे का योगदान रहा. देश के विकास के साथ-साथ रेल ने भी तरक्की के नए-नए आयाम गढ़े. रेलवे की आमदनी भी बढ़ी और खर्च भी.
इस ट्रेन के इंजन को WAG-12 कहा जाता है. ये भारत द्वारा बनाया गया अब तक सबसे मजबूत ट्रेन इंजन है, जिसका क्षमता 12000 हॉर्स पावर है. इसे मधुबनी (बिहार) रेलवे इंजन कारखाना में बनाया गया है. अब तक 296 ऐसे इंजन देश भर में सफलता पूर्वक दौड़ रहे हैं. मालूम हो कि इस वर्ष बजट के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्तवर्ष 2023-2024 के लिए रेलवे को 2.40 करोड़ रुपये आवंटित किये हैं. पिछले वर्ष की तुलना में रेलवे बजट में 1.03 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हुई है.
भारतीय रेलवे लकड़ियों के डब्बों से लेकर आज के सबसे उन्नत विकसित ट्रेन में तब्दील हो चुकी है. आज देश के लगभग 10 राज्यों में वंदे भारत ट्रेन सफलता पूर्वक दौड़ रही हैं. अभी दिल्ली से जयपुर के बीच में 11वां वंदे भारत ट्रेन को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हरी झंडी दिखाने वाले हैं.