दिल्ली: गणतंत्र दिवस परेड के दौरान केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु, महाराष्ट्र और त्रिपुरा की झांकियों में 'नारी शक्ति' और महिला सशक्तीकरण की झलक प्रमुखता से दिखी। केरल ने नारीशक्ति और महिला सशक्तीकरण की लोक परंपराओं को झांकी के जरिये प्रस्तुत किया। इनमें 'कालरिपायट्टू' भी शामिल थी जो एक मार्शल आर्ट है और इसका इतिहास 2000 साल से अधिक पुराना है।
केरल में महिला साक्षरता देश में सबसे ज्यादा है और वहां दुनिया का सबसे बड़ा स्वसहायता समूह 'कुटुम्बश्री' है। केरल की झांकी के अगले हिस्से में कार्तियानी अम्मा की तस्वीर थी जो 2020 में नारी शक्ति सम्मान से सम्मानित हुई थीं। उन्होंने 96 साल की आयु में साक्षरता परीक्षा में सर्वोच्च स्थान हासिल किया था। कर्नाटक की झांकी में भी नारीशक्ति का जश्न मनाया गया। झांकी के अगले हिस्से में सुलगिति नरसम्मा की तस्वीर थी जिसमें वह हाथ में बच्चा लिए हुए दिख रही थीं। वह पारंपरिक तरीके से प्रसव कराने में विशेषज्ञ हैं।
उन्होंने सात दशकों में दो हजार से अधिक प्रसव कराएं हैं। कर्नाटक की झांकी के बीच के हिस्से में तुलसी गौड़ा की तस्वीर को पौधारोपण करते हुए दर्शाया गया। तुलसी विरली प्रजातियों के पौधों की शिनाख्त करने और उन्हें रोपने में विशेषज्ञता रखती हैं। तुलसी पिछले छह दशकों से पर्यावरण संरक्षण का काम कर रही हैं और उन्होंने अब तक 30 हजार से ज्यादा पौधे लगाए हैं। झांकी के पिछले हिस्से में सालुमरादा थिमक्का की तस्वीर थी। थिमक्का ने अपने जीवनकाल में 8000 से अधिक पौधे लगाए हैं।
तमिलनाडु की झांकी भी महिला सशक्तीकरण और राज्य की संस्कृति पर आधारित थी। झांकी के अगले हिस्से में बुद्धिजीवी महिलाओं की आदर्श अवैयार की मूर्ति थी। महाराष्ट्र की झांकी आजादी के अमृत महोसत्व की पृष्ठभूमि पर आधारित थी और इसमें नारीशक्ति और 'साढ़े तीन शक्तिपीठ' को भी प्रदर्शित किया गया। त्रिपुरा की झांकी में प्रदेश की संस्कृति और विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी की झलक देखने को मिली।