![झूठी जानकारी देने का मतलब यह नहीं है कि नियोक्ता मनमाने ढंग से कर्मचारी को सेवा से बर्खास्त कर सकता है : कोर्ट झूठी जानकारी देने का मतलब यह नहीं है कि नियोक्ता मनमाने ढंग से कर्मचारी को सेवा से बर्खास्त कर सकता है : कोर्ट](https://jantaserishta.com/h-upload/2022/05/06/1619534-21.webp)
जनता से रिश्ता वेबडेस्क : सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि किसी मामले में कोई सूचना छिपाना या झूठी जानकारी देने का मतलब यह नहीं है कि नियोक्ता (Employer) मनमाने ढंग से कर्मचारी को सेवा से बर्खास्त/समाप्त कर सकता है.जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ ने कहा कि एक उम्मीदवार जो चयन प्रक्रिया में भाग लेना चाहता है, उसे सेवा में शामिल होने से पहले और बाद में सत्यापन/प्रमाणीकरण प्रपत्र में हमेशा अपने चरित्र और महत्वपूर्ण जानकारी प्रस्तुत करना आवश्यक है.पीठ ने कहा, 'किसी मामले में केवल जानकारी को छिपाने या झूठी जानकारी देने का मतलब यह नहीं है कि नियोक्ता मनमाने ढंग से कर्मचारी को सेवा से बर्खास्त/समाप्त कर सकता है.'शीर्ष अदालत पवन कुमार द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसे रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) में कॉन्स्टेबल के पद के लिए चुना गया था.
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