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रॉन्ग कॉल और हाथ से चलने वाले दिव्यांग से लड़की को हो गया प्यार, फिर...

jantaserishta.com
21 July 2021 2:44 AM GMT
रॉन्ग कॉल और हाथ से चलने वाले दिव्यांग से लड़की को हो गया प्यार, फिर...
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ऐसा कहा जाता है कि जोड़ियां स्वर्ग में बनती हैं और प्यार में सबकुछ जायज है. कुछ ऐसा ही हुआ है बिहार के सुपौल में जहां पर एक रॉन्ग कॉल की वजह से झारखंड की लड़की को बिहार के दिव्यांग से प्यार हो गया. फिर काफी जद्दोजहद के बाद दोनों ने शादी कर ली.

यह दिलचस्प प्रेम कहानी एक रॉन्ग कॉल से शुरू हुई और शादी तक पहुंच गई. दरअसल, झारखंड के रांची की एक युवती रॉन्ग कॉल पर सुपौल के एक दिव्यांग युवक से प्यार कर बैठी.
दोनों एक साल से ज्यादा समय तक फोन पर बात करते रहे. लेकिन जब बात शादी की आई तो युवक ने अपनी लाचारी प्रेमिका को बता दी. सबूत के तौर पर दिव्यांग ने अपनी प्रेमिका को फोटो भेज दिया. बावजूद इसके प्रेमिका ने उससे शादी करने के लिए सुपौल पहुंच गई.
दिव्यांग युवक अपने दोनों पैरों पर खड़ा भी नहीं हो सकता बावजूद इसके युवती ने उससे शादी की. इस शादी से हर कोई हैरान है, बताया जा रहा है कि रांची (झारखंड) की रहने वाली गौरी ने एक दिन गलती से एक नंबर पर मिस कॉल किया. वो नंबर सुपौल के बसबिट्टी गांव के रहने वाले मुकेश का था. इसके बाद दोनों में बातचीत शुरू हुई और यह बातचीत धीरे-धीरे प्यार में बदल गई.
दिव्यांग मुकेश ने लड़की से शादी करने के लिए साफ इनकार कर दिया था पर लड़की सीधे सुपौल आ गई. जिसके बाद लड़की के पिता और भाई में उसका पीछा करते हुए पहुंच गए.
दोनों ने शादी न करने के लिए खूब समझाया लेकिन वो नहीं मानी फिर दोनों को सदर थाना लाया गया. प्रेमिका ने अपने पिता और भाई से साफ शब्दों में कहा दिया वो बालिग है और अपने प्रेमी मुकेश के साथ अपनी जिंदगी बिताएगी.
दोनों ने कोर्ट मैरिज कर अपने प्यार को मुकाम तक पहुंचाया. बता दें, बसबिट्टी गांव का रहने वाला मुकेश दोनों पैरों से दिव्यांग है. उसकी मां बचपन में ही चल बसी थी. उसके पिता बाहर रहकर मजदूरी करते हैं. सोमवार को मुकेश अपनी मौसी के साथ सुपौल कोर्ट पहुंचा और उसने शादी की.
वहीं, अधिवक्ता ने कहा शपथ पत्र के द्वारा प्रेमिका ने शादी को कन्फर्म कराया और उस लड़की के जज्बे को सलाम करते हुए समाज के लिए प्रेरणा दायक बताया. विकलांग प्रेमी स्वीकारना बड़ी हिम्मत की बात है. उन्होंने सरकार से इस जोड़ी को आर्थिक सहयोग देकर मनोबल बढ़ाने का आग्रह किया है. अधिवक्ता उनके आत्मबल को देख कोई फीस नहीं ली.


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