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गहलोतः सासू छोटी, बहू बड़ी

Nilmani Pal
28 Sep 2022 5:12 AM GMT
गहलोतः सासू छोटी, बहू बड़ी
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डॉ वेदप्रताप वैदिक

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत लाख मना करें कि उन्होंने अपने कांग्रेस विधायकों को नहीं भड़काया है लेकिन उनकी इस बात पर कौन भरोसा करेगा? उनके 92 विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष को इस्तीफे सौंपकर वह काम कर दिखाया है, जो मेरी याददाश्त में कांग्रेस तो क्या, किसी भी पार्टी के राज्य में ऐसा कभी नहीं हुआ। पहले कई बार दल-बदल हुए हैं, सरकारें गिरी हैं लेकिन किसी पार्टी की इज्जत इस तरह से पहले कभी नहीं गिरी। सोनिया-राहुल कंपनी सपने में भी नहीं सोच सकती थी कि उनके अपने कर्मचारी उन्हें शीर्षासन करा देंगे। यदि अशोक गहलोत कांग्रेस अध्यक्ष बनने के पहले ही यह करिश्मा दिखा सकते हैं तो अध्यक्ष के तौर पर तो वे माँ-बेटे की मिल्कियत को भी उलटवा सकते हैं।

राजस्थान में हुए घटना-क्रम की यही व्याख्या दिल्ली से भेजे गए दूत अब लौटकर पार्टी मालिकों को देंगे। गहलोत अपने हाथ झाड़ना चाहेंगे लेकिन लगता यह है कि अब उनका अध्यक्ष पद ही झड़ जाएगा। यदि सोनिया अब भी गहलोत को अध्यक्ष बनाने पर आमादा होंगी तो वह बहुत बड़ा खतरा मोल लेंगी। यदि गहलोत अब राजस्थान के मुख्यमंत्री ही बने रहे तो भी वे गले की फांस बन जाएंगे। उनका कद माँ-बेटे से भी ऊँचा हो गया है। गहलोत के लिए यह मारवाड़ी कहावत लागू हो रही है- गोड़गड़ी रे, गोड़गड़ी। सासू छोटी, बहू बड़ी।। कांग्रेस के अध्यक्ष पद के जो पिछले तीन-चार चुनाव हुए थे, उनमें भी रोचक नौटंकियां हुई थीं लेकिन इस चुनाव ने सिद्ध किया है कि देश की पार्टियों में अब आंतरिक लोकतंत्र की शुरुआत हो रही है। राजस्थान के कांग्रेसी विधायकों ने जो सत्साहस किया है, वह सभी पार्टियों के शीर्ष नेताओं को संदेश दे रहा है कि आप अपनेवाली चलाना बंद कीजिए। ऊपर से मनचाहे चहेतों को थोपना अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यदि माँ-बेटा नेतृत्व गहलोत के साथ दुर्व्यवहार करेगा तो राजस्थान से भी कांग्रेस का सफाया वैसा ही हो जाएगा, जैसा कि पंजाब से हुआ है। राजस्थान में चली यह नौटंकी सबसे ज्यादा खुश किसे कर रही होगी? शशि थरुर को! और सबसे ज्यादा दुखी, किसको? राहुल गांधी को! क्योंकि राहुल ने ही केरल से मंत्र मारा था कि 'एक आदमी, एक पद'। अब आदमी और पद, दोनों ही हवा में लटक गए हैं। गहलोत चाहे तो अपनी नई पार्टी खड़ी करके राजस्थान के मुख्यमंत्री बने रह सकते हैं। वे अन्य कई कांग्रेसी नेताओं की तरह अपने 92 विधायकों को लेकर भाजपा में भी शामिल हो सकते हैं। इस घटना ने गहलोत को महानायक की छवि प्रदान कर दी है। गहलोत ने राहुल गांधी को केरल में करेले का रस पिला दिया है। अब राहुल को तुरंत दिल्ली आकर भारत जोड़ो की बजाय कांग्रेस जोड़ो अभियान चालू करना पड़ेगा।

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