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फाइल फोटो
कोरोना महामारी के दौर में जरूरतमंदों के लिए जहां हजारों मदद के हाथ आगे बढ़ रहे हैं, वहीं ऐसे लोग भी हैं जो जीवनरक्षक दवाओं के नाम पर लोगों की आंखों में धूल झोंककर अपनी जेबें भरने में लगे हैं. कर्नाटक के मैसुरु में पुलिस ने ऐसे ही गिरोह का भंडाफोड़ किया है. इस गिरोह का मास्टरमाइंड एक पुरुष नर्स है जिसे गिरफ्तार कर लिया गया है.
मैसुरु के पुलिस कमिश्नर डॉ चंद्रगुप्त ने बताया कि ऐसी अफवाहें थीं कि रेमडेसिविर इंजेक्शन की भारी मांग की वजह से जमाखोरी और ब्लैकमार्केटिंग की जा रही है. ऐसे में पुलिस की ओर से सघन सतर्कता अभियान चलाए जाने के दौरान स्टाफ नर्स गिरीश के एक गिरोह का मास्टरमाइंड होने का पता चला.
ये गिरोह विभिन्न कंपनियों की रेमडेसिविर बॉटल्स को रीसाइकल कर एंटीबायोटिक्स और सेलाइन से भर देता था और फिर उसकी मार्केटिंग किया करता था. गिरीश पिछले साल से ही ऐसा करता आ रहा है. आरोपी गिरीश के साथ उसके कुछ सहयोगियों को भी पुलिस ने हिरासत में लिया है.
डॉ चंद्रगुप्त के मुताबिक इस मामले में ये पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि इस गिरोह के तार कहां-कहां तक जुड़े हैं. गिरीश जेएसएस अस्पताल में स्टाफ नर्स के तौर पर तैनात था और इस सारे नापाक काम को अपने घर से ही अंजाम दे रहा था.
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