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मुंबई की गणेश पूजा देश भर में प्रसिद्ध है, लेकिन मां काली के शहर कोलकाता में भी अब गणेश पूजा की धूम मच रही है. बंगाल की दुर्गा पूजा की तर्ज पर तत्कालीन बॉम्बे प्रांत में स्वतंत्रता सेनानी लोकमान्य तिलक द्वारा सार्वजनिक स्थानों पर शुरू की गई गणेश पूजा अब कोलकाता, एक महानगर में लोकप्रिय हो गई है, जिसके नागरिकों में देवी काली और दुर्गा के कई भक्त हैं. कोरोना महामारी के मद्देनजर लगाए गए प्रतिबंधों के कारण पिछले दो वर्षों में कम महत्वपूर्ण समारोहों के बाद, इस वर्ष गणेश पूजा यहां भव्य तरीके से आयोजित की जा रही है.
गणेश प्रतिमाओं की मांग इस बार इतनी बढ़ गई थी कि शहर के कुम्हारटोली के कुछ कारीगरों को अंतिम समय के ऑफर को ठुकराना पड़ा. शिल्पकार सनातन पाल ने कहा, "पिछले 10 वर्षों में शहर और इसके बाहरी इलाकों में गणेश पूजा में वृद्धि हुई है. आम तौर पर, मैं केवल दुर्गा मूर्तियां बनाता हूं, लेकिन इस साल मुझे गणेश 'मूर्ति' के लिए कई ऑर्डर लेने पड़े."
कोलकाता में बढ़ा गणेश पूजा का प्रचलन
मध्य कोलकाता के मुरारीपुकुर में, गणेश पूजा समिति के सदस्य अभिषेक दास ने कहा कि 2008 में गणेश चतुर्थी समारोह शुरू करने के लिए 15 दोस्त एक साथ आए थे. उन्होंने कहा, "जब हमने यहां गणेश पूजा शुरू की थी, तब कोलकाता नगर निगम के वार्ड नंबर 14 में कारीगर केवल तीन मूर्तियां बनाते थे." दास ने कहा, "इस साल उनकी कार्यशालाओं में आने वाले किसी भी व्यक्ति को वहां भगवान गणेश की कम से कम 30 से 40 मूर्तियां देखने को मिलेंगी. पिछले कुछ वर्षों में क्षेत्र और आसपास के कई लोगों ने पूजा का आयोजन शुरू कर दिया है." बेहाला में पर्णश्री पल्ली गणेश पूजा समिति के जॉयदीप राहा को भी ऐसा ही अनुभव साझा किया.
गणेश पूजा के प्रति कोलकाला में लोगों की बढ़ी रूचि
राहा ने कहा, "पांच साल पहले भी, हमारे इलाके के पास ऐसी दो पूजाएं होती थीं. अब गिनती बढ़कर आठ या नौ हो गई है." जादवपुर विश्वविद्यालय में समाजशास्त्र के प्रोफेसर अमिते मुखोपाध्याय ने औपचारिक रोजगार की कमी, बढ़ती बेरोजगारी को कई लोगों के धर्म के व्यवसाय में संलग्न होने और नए पूजाओं में विविधता लाने का कारण बताया. उन्होंने कहा, "त्योहार और पूजा एकरसता को तोड़ने में मदद करते हैं. इसके अलावा, बंगाली अब केवल सफेदपोश नौकरियों से नहीं जुड़े हैं. समय और मानसिकता भी वर्षों में बदल गई है. कई बंगाली विभिन्न प्रकार के व्यवसायों में हैं, व्यवसायों से जुड़े भगवान में रुचि की वृद्धि हुई है. शहर के उल्टाडांगा इलाके में कई सालों से गणेश पूजा का आयोजन कर रहे बबुआ भौमिक ने नए चलन का स्वागत किया है.
महानगर में जगह-जगह आयोजित हो रहे हैं गणेश पूजा
भौमिक ने कहा, "मैं पिछले 40 वर्षों से इस पूजा का आयोजन कर रहा हूं. तब बहुत से लोग या क्लब इसे मनाते नहीं थे. एक तरह से, यह एक स्वागत योग्य प्रवृत्ति है क्योंकि कुम्हारटोली सहित शहर भर में मिट्टी के मॉडल बनाने वालों को अधिक काम मिल रहा है. शहर के एकबालपुर क्षेत्र के गवर्नमेंट गर्ल्स जनरल डिग्री कॉलेज में समाजशास्त्र के प्रोफेसर डॉ अंगशुमान सरकार ने नए चलन की व्याख्या करते हुए कहा, "आपने देखा होगा कि विभिन्न इलाकों में अधिक से अधिक लोगों ने जगाधत्री पूजा का आयोजन भी शुरू कर दिया है. पूजा पहले मुख्य रूप से चंदनगोर और कृष्णानगर में मनाई जाती थी." समाजशास्त्री ने भविष्यवाणी की कि जल्द ही गणेश पूजा की थीम होगी जैसा कि शहर में दुर्गा पूजा में देखा जाता है.
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