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भारत की प्रतिष्ठा को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया जी-20 का दिल्ली सम्मेलन

Shantanu Roy
16 Sep 2023 11:09 AM GMT
भारत की प्रतिष्ठा को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया जी-20 का दिल्ली सम्मेलन
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चंडीगढ़। आधुनिक विश्व को अक्सर "ग्लोबल गांव" कहा जाता है। इसका मतलब है कि यहां पर एक घटना या एक आयाम दूसरे आयाम को खूब प्रभावित करने की क्षमता रखता है । आज के समय में एक राष्ट्र कितना ही उच्च शिक्षित, आर्थिक रूप से सशक्त क्यों ना हो मगर उसकी वैश्विक हैसियत अंतरराष्ट्रीय रंगमंचों पर उसे मिलने वाले सम्मान और पूछ से ही मापी जाती है। उन दिनों की याद भारत भूला नहीं है जब अंतरराष्ट्रीय रंगमंचों पर हमें मुख्य खिलाड़ियों में नहीं गिना जाता था (खास तौर पर विकसित देशों के समूह में) । आजादी के बाद के वर्षों में हमारी पहचान हमेशा ही "थर्ड वर्ल्ड " देश के रूप में की गई। विकास , ताकतवर अर्थव्यवस्था और जीवन स्तर के पैमाने पर हमें हमेशा एक कमजोर और दिशाहीन राष्ट्र ही माना गया। मगर जैसे हर व्यक्ति अपना भाग्य लिखा कर लाते हैं वैसा ही राष्ट्रों का भी अपना समय,अपना भाग्य होता है। भारत के भाग्य में भी एक महामना का आना तय ही था ।
2014 में भाजपा सरकार की प्रचंड विजय ने मानों हर विधायक गतिविधि को भारत के पक्ष में मोड़ना शुरू कर दिया। पदभार संभालते ही भारत के प्रधानमंत्री ने विदेश के लगातार दौरे किए। उन दौरों के महत्व को ना समझ पाने के चलते विपक्षी दलों और खासकर कांग्रेस पार्टी ने प्रधानमंत्री का हर मंच से उपहास उड़ाया। मगर आज पूरे विश्व के साथ-साथ कांग्रेस पार्टी भी जानती है कि उन दिनों किए गए श्रम का प्रतिसाद अब विश्व के हर मंच पर भारत को मिल रहा है। आज आलम यह है कि भारत की अंतरराष्ट्रीय नीति के बारे में अगर सच में किसी को जानकारी इकट्ठी करनी है तो उसे पाकिस्तान के मीडिया से वह जानकारी लेनी चाहिए।
भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर और प्रधानमंत्री मोदी पाकिस्तान में आज एक "सेलिब्रिटी" का दर्जा रखते हैं . वहां का सोशल मीडिया, प्रिंट मीडिया और यहां तक की राजनीतिक दल भी भारत की अंतरराष्ट्रीय ताकत के लगातार चर्चे करते हैं। वहां के प्रधानमंत्री रहे इमरान खान ने तो भारी भीड़ के सामने विशाल स्क्रीन पर भारत के विदेश मंत्री का वीडियो चलवा कर उनकी तारीफों के पुल बांध दिए। जब आपका सबसे बड़ा प्रतिद्वंदी आपकी तारीफ करने लगे तो समझ लीजिए कि आपकी राह सही और जीत ऐतिहासिक है।
प्रधानमंत्री मोदी ने अंतरराष्ट्रीय राजनीति के कार्यों में व्यक्तिगत रुचि लेकर भारत की छवि को पुख्ता बनाने में बड़ी मेहनत की है और उस मेहनत की पराकाष्ठा का सबसे बड़ा प्रतीक भारत की जनता ने हाल ही में संपन्न हुए जी 20 के नई दिल्ली सम्मेलन में देखा। इस जी-20 सम्मेलन में 43 वैश्विक नेता शामिल हुए जिनमें 20 देश के राष्ट्रीय अध्यक्ष , 9 मेहमान देश और लगभग 14 वैश्विक रूप से अग्रणी संस्थाओं के अध्यक्ष थे। यह आज तक का सबसे बड़ा जी 20 का जमावड़ा था। प्रधानमंत्री मोदी और भारत के रसूख ने ही पहली बार इतनी बड़ी संख्या में वैश्विक नेताओं को एक मंच पर इकट्ठा किया। जी 20 शुरू होने से पहले इसे भारत की विदेश नीति का "लिटमस टेस्ट" कहा जा रहा था। चीन, रूस और पश्चिम के देश अपना अपना अलग एजेंडा लेकर इस समिट में उतरे थे और कहा यह जा रहा था कि एक संयुक्त घोषणा पत्र जारी करवाना भारत के लिए लोहे के चने चबाने के बराबर होगा। मगर भारत ने जिस सहजता और आत्मविश्वास से इस संयुक्त घोषणा पत्र के स्वरूप पर सर्वसम्मति बनवाई वह काबिले तारीफ था।
जी-20 की सफलता के पीछे भारत की वर्षों की तपस्या, नेतृत्व की दूरदर्शिता और विकास के प्रति हमारा सदा हुआ आग्रह था। इस समिट ने जी-20 के प्रति पूरी दुनिया का विश्वास बहाल ही नहीं किया बल्कि बढ़ाया भी। इससे पहले के आयोजनों में कलह, अविश्वास और आडंबर का माहौल हावी रहता था। मगर भारत ने इस आयोजन की गरिमा, स्केल और अवधारणा को इतना बड़ा बना दिया कि हर शूद्र तथ्य इसके नीचे दब गया। भारत ने राजनीतिक मसलों को दरकिनार करके अपना फोकस केवल आर्थिक और सामाजिक महत्व के मसलों पर रखा और सही मायने में दुनिया के ज्यादातर समूहों का बुनियादी मंतव्य भी यही है।
दुनिया के हर अखबार, हर मीडिया चैनल, हर कूटनीतिज्ञ, हर राजनीतिज्ञ ने इस जी-20 समिट 2023 को एक बेहद सफल आयोजन बताया है। विश्व कूटनीति के मानचित्र पर आज भारत का तिरंगा पूरी शान से लहरा रहा है । एक सशक्त नेता और राष्ट्रवादी सरकार क्या कर सकती है यह जी-20 समिट की जबरदस्त कामयाबी बताती है। " राष्ट्र प्रथम " की अपनी नीति के साथ आज भारत विश्व की चार बड़ी शक्तियों में शुमार है। आने वाली सदियां जी 20 समिट के उसे चित्र को सहेज कर रखना चाहेंगी। जिसमें परस्पर कड़वाहट से भरे सऊदी अरब के शासक मोहम्मद बिन सलमान और अमेरिका के राष्ट्रपति जो बिडेन दोनों का हाथ पकड़कर भारत के प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें मिलवाया और दोनों राष्ट्रीय अध्यक्षों ने बिना ना –नुकर के प्रधानमंत्री मोदी की बात का सम्मान रखकर हाथ मिलाया। देश की आम जनता को ऐसे क्षणों पर अपने देश और अपने प्रधानमंत्री पर हमेशा गर्व रहेगा।
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