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मालामाल: मशरूम की खेती कर बनाया भविष्य, कमाते हैं सालाना इतने लाख

jantaserishta.com
19 April 2022 8:19 AM GMT
मालामाल: मशरूम की खेती कर बनाया भविष्य, कमाते हैं सालाना इतने लाख
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Mushroom Cultivation: भारत में किसान जागरूक हो रहे हैं. परंपरागत फसलों के इतर वह नई फसलों के माध्यम से मुनाफा कमा रहे हैं. बड़ी संख्या में युवा भी खेती-किसानी की तरफ रुख कर रहे हैं. हरियाणा के हिसार जिला के सलेमगढ़ गांव के रहने वाले 24 वर्षीय विकास वर्मा 45×130 फीट के चार फर्म में मशरूम की खेती कर रहे हैं. इससे वह सालाना 30 से 40 लाख का मुनाफा कमा रहे हैं.

विकास कहते हैं कि जब वह 2016 में 12वीं फेल हो गए तो दोबारा पढ़ाई करने की उनकी इच्छा नहीं हुई. परिवार में लोग पहले से खेती-किसानी करते थे, तो इससे जुड़ी छोटी-छोटी बारीकियां मुझे पता था. भविष्य की चिंता ना करते हुए मैं खेती में उतर पड़ा. 24 साल की उम्र में मशरूम उत्पादन के साथ-साथ मेरे पास "वेदांता मशरूम" नाम से एग्रो कंपनी हैं. जिसका टर्नओवर तकरीबन 70 लाख के आसपास पहुंच चुका है.
विकास के लिए मशरूम की खेती की शुरुआत इतनी आसान नहीं रही. उनके मुताबिक इस दौरान उनके सामने कई तरह की दिक्कतें सामने आई. उनका परिवार पहले परंपरागत तरीके से खेती करता था. इस खेती में उन्हें खासा नुकसान होता था. जब उन्होंने घर पर सभी को मशरूम की खेती को लेकर बताया तो सभी ने सपोर्ट किया. उन्होंने अपने एक दोस्त को इसमें पार्टनर बनाया था. बेहद कम जानकारी के मशरूम की खेती की शुरुआत की . ऐसे में उन्हें 15 लाख के आसपास का नुकसान हो गया. उनका पार्टनर भी छोड़ कर चला गया. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. घरवालों के सपोर्ट से मशरूम की खेती जारी रखी और आज वह 35 से 40 लाख का मुनाफा कमा रहे हैं.
विकास बताते हैं कि पहली बार उन्हें खेती के बारे में तब जानकारी हुई जब वह सोनीपत गए हुए थे. वहां वह किसानों को इसकी खेती करते देखा. शुरुआत मैंने बटन मशरूम से की, लेकिन उसे बेचने के लिए उन्हें मार्केट नहीं मिल रहा था, जिससे उनको काफी नुकसान हो रहा था. फिर उन्होंने उसे सूखा कर बेचने की कोशिश की उसे भी वह बेचने में सफल नहीं हो पाए. कंपोस्ट बनाने में भी कई गलतियां की. जिसकी वजह से उन्होंने खासा नुकसान हुआ.
बता दें कि बटन मशरूम की सेल्फ लाइफ मुश्किल से 48 घंटे होती है. यदि इतने समय में मशरूम नहीं बिका, तो किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ता है. उन्होंने इस बारे में कृषि विशेषज्ञों से बात की. वहां उन्हें ऑयस्टर मशरूम की उत्पादन की सलाह दी गई. इस मशरूम की खास बात है इसे गर्मियों में भी उगाया जा सकता है. इसके लिए AC रूम की जरूरत नही पड़ती. इतना सब करने के बाद भी उन्हें मशरूम बेचने के लिए मार्केट नहीं मिल पा रहा था.
विकास बताते हैं कि इससे निपटने के लिए उन्होंने मशरूम को प्रोसेस कर बिस्किट, ड्रिंक्स और चिप्स जैसे उत्पाद बनाना शुरू कर दिया. इसे मार्केट में बेचना भी आसान हो गया है. जिस मशरूम को वह 700 रुपए किलो बेचते थे, अब उसी एक किलो मशरूम को प्रोसेस करने के बाद उन्हें करीब 8000 रुपए मिलते हैं. इसमें हमें 6000 हजार तक मुनाफा हो जाता है. साथ ही वह महिलाओं को भी मशरूम को प्रोसेस कर उत्पाद बनाने की ट्रेनिंग दे रहे है. इससे उन्हें फायदा तो मिल रहा है साथ ही महिलाओं को भी रोजगार के अवसर उपलब्ध हो रहे हैं.
विकास इस वक्त मशरूम उत्पादन के माध्यम से 30 लोगों को रोजगार दे रहे हैं. इसके अलावा वह आसपास के 10 हजार लोगों को इसकी खेती की ट्रेनिंग दे चुके हैं. वह बताते हैं मशरूम उत्पादन के क्षेत्र में उन्हें केंद्र और राज्य सरकार से कई पुरस्कार भी मिल चुके हैं.
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