भारत

आज से महाप्रभु जगन्नाथ क्वारंटाइन होंगे 15 दिन के लिए

Nilmani Pal
17 Jun 2022 10:58 AM GMT
आज से महाप्रभु जगन्नाथ क्वारंटाइन होंगे 15 दिन के लिए
x

रवि शर्मा (दिल्ली)

सदियों से दे रहे हैं बीमारी में अलग रहने का संदेश

कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया में आतंक मचाया हुआ है। चीन और इटली के बाद अब भारत में भी कोरोना ने अपने पांव पसारने शुरू कर दिए हैं। जिन-जिन लोगों में कोरोना का जरा सा भी संदेह है उन्‍हें कोरांटीन में रखा जा रहा है। कुछ लोग जरा सा सर्दी जुकाम होने पर खुद को आइसोलेशन में कर ले रहे हैं। क्‍या आपको पता है कि सर्दी जुकाम होने पर भगवान को भी होम कोरांटीन में रखा जाता है और वह 14 दिन तक आइसोलेशन में रहते हैं। यह जानकर आपको यकीन नहीं होगा। लेकिन यह सच है भगवान जगन्‍नाथ को हर साल होम कोरांटीन के साथ 14 दिन के आइसोलेशन में रखा जाता है। पर इस बार भगवन 15 दिनों के लिए रहें अन्नशर याने quarantine

मंदिर के कपाट हो जाते हैं बंद

हर साल रथ यात्रा से पहले ज्‍येष्‍ठ मास की पूर्णिमा से लेकर अमावस्‍या तक प्रभु जगन्‍नाथ बीमार पड़ते हैं। इस दौरान उन्‍हें मंदिर में आइसोलेशन में रखा जाता है। यानी भक्‍तों के लिए मंदिर के कपाट एक पखवाड़े तक बंद कर दिए जाते हैं। जिसे मंदिर की भाषा में अनासार कहा जाता है। इस अवधि में भगवान के दर्शन बंद रहते हैं एवं भगवान को जड़ी बूटियों का पानी आहार में दिया जाता है यानी तरल पदार्थ। इस दौरान मंदिर के पट बंद रहते हैं और भगवान को सिर्फ काढ़े का ही भोग लगाया जाता है। यह परंपरा हजारों साल से चली आ रही है। इसके पीछे एक पौराणि‍क कथा प्रचलित है।

इस लिए हो जाता है भगवन जगन्नाथ को जुखाम

पुराणों में बताया गया है कि राजा इंद्रदुयम्‍न अपने राज्‍य में भगवान की प्रतिमा बनवा रहे थे। उन्‍होंने देखा कि शिल्‍पकार उनकी प्रतिमा को बीच में ही अधूरा छोड़कर चले गए। यह देखकर राजा विलाप करने लगे। भगवान ने इंद्रदुयम्‍न को दर्शन देकर कहा, 'विलाप न करो। मैंने नारद को वचन दिया था कि बालरूप में इसी आकार में पृथ्‍वीलोक पर विराजूंगा।' तत्‍पश्‍चात भगवान ने राजा को ओदश दिया कि 108 घट के जल से मेरा अभिषेक किया जाए। तब ज्‍येष्‍ठ मास की पूर्णिमा थी।

तब से यह मान्‍यता चली आ रही है कि किसी शिशु को यदि कुंए के ठंडे जल से स्‍नान कराया जाएगा तो बीमार पड़ना स्‍वाभाविक है। इसलिए तब से ज्‍येष्‍ठ मास की पूर्णिमा से अमावस्‍या तक भगवान की बीमार शिशु के रूप में सेवा की जाती है।

कब और कैसे होते हैं स्‍वस्‍थ स्वस्थ होते हैं भगवन जगन्नाथ

अत्यधिक स्नान से बीमार हुए भगवान के दर्शन के लिए भक्त भी 15 दिनों तक इंतजार करते हैं. रथ यात्रा से ए‍क दिन पहले वह स्‍वस्‍थ होते हैं।मान्यता के अनुसार भगवान जगन्नाथ के पुजारी उनके स्वस्थ होने के लिए पूजा करते हैं और 15 दिन तक औषधीय गुणों से युक्त काढ़े का भोग लगाते हैं. पौराणिक कथाओं के अनुसार इसी काढ़े से भगवान 15 दिन में पुन: स्वस्थ होकर आषाढ़ शुक्ल पड़ीवा (प्रथम तिथि ) पर भक्तों को दर्शन देते हैं. तब उन्‍हें मंदिर के गर्भ गृह में वापस लाया जाता है। फिर भगवान जगन्‍नाथ अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ अपनी मौसी रोहिणी से भेंट करने गुंडीचा मंदिर जाते हैं। भगवान के गुंडीचा मंदिर में आने पर यहां उत्‍सवों और सांस्‍कृति कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। यहां तरह-तरह के पकवान से प्रभु को भोग लगाया जाता है। भगवान यहां 9 दिन तक रहते हैं और उसके बाद अपनी मौसी के घर से वापस अपने मंदिर में लौट जाते हैं।

Next Story