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उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के बाद आज मंगलवार से गुजरात में भी धर्म स्वतंत्रता संशोधन कानून (Gujarat Freedom of Religion (Amendment) Act लागू हो गया है
उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के बाद आज मंगलवार से गुजरात में भी धर्म स्वतंत्रता संशोधन कानून (Gujarat Freedom of Religion (Amendment) Act लागू हो गया है. मज़हब छुपाकर प्रेम के जाल में फंसाना और फिर धोखाधड़ी करके शादी रचाना गुजरात में अब कानूनन जुर्म है. राज्यपाल ने इस प्रस्ताव को मंजरी दे दी है.
गुजरात सरकार ने मार्च में बजट सेशन के दौरान धर्म स्वातंत्र्य (धार्मिक स्वतंत्रता) संशोधन विधेयक सदन में पेश किया था. गुजरात फ्रीडम ऑफ रिलिजन एक्ट- 2003 के जरिए अब गुजरात में भी शादी के लिए जबरन धर्म परिवर्तन कराना एक बड़ा अपराध होगा. विजय रूपाणी सरकार की ओर से तैयार किए गए इस कानून को राज्यपाल आचार्य देवव्रत की मंजूरी मिल गई है.
अधिकतम 10 साल की सजा का प्रावधान
कानून के मुताबिक अब अगर कोई व्यक्ति कानून के तहत जबरन धर्म परिवर्तन कराने का दोषी पाया जाता है तो उसे 10 साल तक की सजा हो सकती है. आरोपी पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है. अगर किसी ने धर्म छुपाकर शादी की तो पांच साल की सजा होगी और दो लाख जुर्माना भरना पड़ेगा. अगर यही अपराध नाबालिग के साथ किया गया तो सात साल की सजा होगी और तीन लाख रुपए तक जुर्माना देना होगा.
विधानसभा चुनाव में बन सकता है मुद्दा
मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने स्थानीय निकाय चुनाव के दौरान धर्म स्वतंत्रता संशोधन कानून बनाने का वादा किया था. गुजरात में 2003 में फ्रीडम ऑफ रिलिजन एक्ट बनाया गया था. इसमें पहली बार 2006 में संशोधन किया गया था. गुजरात में अगले साल विधानसभा चुनाव भी होने हैं. जिसके बाद कहा जा रहा कि बीजेपी इस मुद्दे को लेकर चुनाव में उतर सकती है.
कांग्रेस ने जताया था विरोध
गुजरात के गृह राज्य मंत्री प्रदीप जाडेजा ने कहा था कि जो लोग माथे पर तिलक लगाकर और हाथ में धागा बांधकर हिंदू या दूसरे धर्म की लड़की के साथ छल कपट करते हैं. उनके ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई होगी. गुजरात विधानसभा में इस कानून को लेकर काफ़ी हंगामा हुआ था. कांग्रेस ने इस कानून को सांप्रदायिक बता कर इसका विरोध किया था. बीजेपी ने इस कानून को बेटियों के हक़ में बताकर इसका पक्ष लिया था.
यूपी-एमपी में यह है सजा का प्रावधान
जिन राज्यों में धर्म स्वतंत्रता संशोधन कानून पहले से लागू है. यूपी में कम से कम 1 से 5 साल की सज़ा का प्रावधान है. महिला अगर नाबालिग या एससी-एसटी से संबंधित हुई तो दोषी पाए जाने पर 2 से 10 साल की सज़ा हो सकती है. वहीं एमपी में भी कम से कम 1 से 5 साल की सज़ा का प्रावधान है.
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