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मचा हड़कंप.
लखनऊ: लखनऊ के रजिस्ट्री दफ्तर के अंदर असली रजिस्ट्री की जगह जिल्द में फर्जी रजिस्ट्री लगाकर लाखों-करोड़ों रुपये का फर्जीवाड़ा करने के मामले में वजीरगंज कोतवाली में दो एफआईआर दर्ज करायी गई है। जांच में पांच रजिस्ट्रियां फर्जी मिली है। यह भी खुलासा हुआ कि वर्ष 2001 और इसके आसपास हुई इन रजिस्ट्रयों में एलडीए के तत्कालीन अफसरों की भी साठगांठ रही। एफआईआर में एलडीए के तत्कालीन प्रभारी अधिकारी अनीता श्रीवास्तव, अनुभाग अधिकारी एबी तिवारी, आरके मिश्र समेत 11 लोगों को नामजद किया गया है। इन दोनों मामलों को जेसीपी कानून व्यवस्था उपेन्द्र कुमार अग्रवाल ने अपने यहां गठित आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) को सौंप दी है। उधर इस मामले में राजस्व विभाग की जांच अभी चल रही है।
पहली एफआईआर उप निबंधक द्वितीय प्रभाष सिंह ने चार फर्जी रजिस्ट्री के मामले में दर्ज कराई है। उन्होंने एलडीए की तत्कालीन अधिकारी अनीता श्रीवास्तव, एबी तिवारी, आरके मिश्र के अलावा निशांतगंज निवासी सिद्धार्थ बाजपेयी, बाराबंकी के त्रिवेदीगंज निवासी जानकी प्रसाद, गोमतीनगर, विपुलखंड निवासी के योगेंद्र नारायण व राधा मोहन शर्मा को भी आरोपी बनाया है। दूसरी एफआईआर उप निबंधन द्वितीय राजेंद्र प्रसाद पांडेय ने दर्ज कराई है। उन्होंने बाराबंकी की शुगर मिल कालोनी के दिगंबर सिंह, शत्रोहन लाल, रामपाल व अन्य को नामजद किया गया है। आरोपितों में एलडीए के अफसरों के अलावा खरीद-फरोख्त करने वाले लोग व गवाह हैं। इन सभी के खिलाफ धोखाधड़ी, कूटरचित दस्तावेज तैयार कर इस्तेमाल करने की धारा लगाई गई है।
प्रभाष सिंह द्वारा दर्ज एफआईआर के मुताबिक विक्रांत खंड में प्लाट संख्या 1/124 नैन सिंह के नाम पर था। इसकी फर्जी रजिस्ट्री राजकुमार के नाम पर की गई। इसी तरह यहीं का प्लॉट संख्या 1/125 आरबी सिंह के नाम पर था। इसे अमित कुमार के नाम पर कर दिया गया। विक्रांतखंड का ही प्लाट संख्या 1/126 अमीरा पुनवानी का था। इसकी फर्जी रजिस्ट्री मायादेवी के नाम पर की गई। विक्रांतखंड के प्लाट संख्या 1/127 की रजिस्ट्री बैजनाथ पाल नाम से थी। बाद में इसके स्थान पर फर्जी रजिस्ट्री रमेश कुमार चावला की लगा दी गई। राजेंद्र प्रसाद पांडेय की ओर से दर्ज एफआईआर में बाराबंकी निवासी नदीम अख्तर की रजिस्ट्री बदल कर उसके स्थान दिगम्बर सिंह नाम की फर्जी रजिस्ट्री लगा दी गई थी।
विभूतिखंड कोतवाली में 17 फरवरी 2024 को इंजीनियर अजय कुमार सिंह ने एफआईआर दर्ज कराई थी जिसमें शिवानी सिंह, मुकेश यादव, रणविजय सिंह, विजय कुमार, फैयाज, राम किशोर तिवारी, बबलू गुप्ता, राजीव भटनागर, अमित व अन्य अज्ञात 15-20 वकीलों को आरोपी बनाया गया था। आरोप था कि इन सभी ने अजय सिंह के प्लाट पर कब्जा करने का प्रयास किया और डीवीआर लूट ले गए। केस की विवेचना में पाया गया कि शिवानी सिंह के नाम पर की गई रजिस्ट्री फर्जी है। जिस राजकुमार ने उनको जमीन बेची थी, उसकी रजिस्ट्री फर्जी निकली थी। जेसीपी उपेन्द्र कुमार अग्रवाल ने इस मामले को गम्भीरता से लेते हुए जांच करायी तो कई खुलासे हुए। इस पर उन्होंने रजिस्ट्री कार्यालय को पत्र लिखकर जांच करवाने के लिये कहा था। जांच में यह बड़ा मामला निकला और अब तक पांच रजिस्ट्रियां फर्जी पायी गई। दावा किया जा रहा है कि इसमें रजिस्ट्री दफ्तर के भी कई लोगों की साठगांठ सामने आयेगी।
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