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घर में मिली अकूत दौलत: स्कूटर पर चलना, पजामा और चप्पल पहन शादियों में जाना, ऐसी थी पीयूष जैन की Lifestyle
jantaserishta.com
28 Dec 2021 3:26 AM GMT
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कानपुर. पीयूष जैन (Piyush Jain) के पुरखे कई पीढ़ियों से कन्नौज में ही रहते आए हैं. कानपुर (kanpur) के उलट यहां के लोग इस परिवार के बारे में ज्यादा जानते हैं. कुछ लोग कहते हैं कि बढ़िया मकान और अच्छा कारोबार होने के बावजूद पीयूष बहुत सामान्य जिंदगी जीते रहे हैं. वह पुराने स्कूटर पर भी चलते थे जो उनके शुरुआती कारोबार का सारथी रहा. इसके साथ कई बार शादियों या किसी अन्य समारोहों में वह पैजामा और रबड़ की चप्पल पहनकर ही पहुंच जाते थे. हालांकि वे लोगों से ज्यादा मिलते जुलते नहीं थे.
पीयूष जैन की बात की जाए तो पीयूष जैन आईआईटी से एसएससी टॉपर भी रहा है. होम्योपैथी में भी इनकी अच्छी जानकारी रही है. पीयूष जैन का घर जिले के छिपट्टी मोहल्ले में 1 घर है. इससे थोड़ी दूरी पर 3 घर और घर के पीछे एक बड़ा गोदाम बना है. यहां पीयूष केमिकल से कम्पाउंड बनाने का काम करता है. पीयूष के प्रत्यूष जैन और मैलु 2 बेटे हैं. पीयूष जैन 2 भाई हैं. बड़े पीयूष जैन और छोटे अमरीश जैन.
लोगों के मुताबिक पीयूष के पिता महेश चंद्र जैन पेशे से केमिस्ट हैं. दो साल पहले महेश की पत्नी का निधन हो गया था. महेश से ही उनके बेटों पीयूष और अंबरीष ने इत्र और खाने-पीने की चीजों में मिलाए जाने वाले एसेंस (कंपाउंड) बनाने का तरीका सीखा. जानकार बताते हैं कि पीयूष के परिवार की माली हालत पिछले 15 साल में पूरी तरह बदल गई. इसके पहले परिवार के पास जैन स्ट्रीट के मौजूदा मकान का एक छोटा सा हिस्सा ही था. आर्थिक हालात बदले तो आसपास के दो मकानों को खरीदकर एक कर दिया गया.
दावा किया जाता है कि करीब 700 वर्ग गज के इस मकान को बनवाने के लिए जयपुर से कारीगर बुलवाए गए थे. मोटी-मोटी दीवारें, महंगे एयरकंडिशनर, स्टील की बालकनी और दरवाजे इस कोठी को बाकी मकानों से एकदम अलग बनाते हैं. इतना बड़ा कारोबार और जोखिम होने के बावजूद घर के किसी भी बाहरी हिस्से में एक भी सीसीटीवी कैमरा नहीं दिखा. घर भी ऐसा बना है कि दूसरे मकानों से बालकनी के अलावा कुछ नहीं दिखता.
इस मकान में मुख्यतौर पर महेश चंद्र जैन और उनका स्टाफ रहता है. पीयूष और अंबरीष यहां अक्सर आते-जाते रहते थे. पड़ोसियों के अनुसार यह परिवार बहुत विनम्र है, लेकिन वे किसी भी कार्यक्रम में कभी-कभार ही दिखते हैं. शादियों में कई बार पीयूष पैजामा और हवाई चप्पल पहनकर ही पहुंच जाते थे. पीयूष और अंबरीष के 6 बेटे-बेटियां हैं. सभी कानपुर में पढ़ते हैं और कन्नौज में कम ही आते-जाते थे.
छिपट्टी मोहल्ले के कई लोग इस परिवार को 'रूखा' करार देते हैं. एक स्थानीय शख्स के मुताबिक, भले ही बाहरी लोग पीयूष और उसके परिवार की 'हैसियत' का अंदाजा नहीं लगा पाए, लेकिन कन्नौज में बिजनेस से जुड़ी लॉबी में पीयूष और अंबरीष का नाम पूरे 'सम्मान' से लिया जाता था.
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