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फाइल फोटो
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आजमगढ़: बामसेफ के संस्थापक सदस्य रहे पूर्व राज्य सभा सांसद बलिहारी बाबू (Balihari Babu) का कोरोना (COVID-19) से निधन (Death) हो गया है. कहा जा रहा है कि ऑक्सीजन की कमी से बलिहारी बाबू की इलाज के दौरान मौत हो गई. हॉस्पिटल में बेड न मिलने की वजह से उनका घर पर ही इलाज चल रहा था. बलिहारी बाबू का आजमगढ़ (Azamgarh) शहर के हरवंसपुर स्थित आवास पर इलाज चल रहा था.
उनके निधन पर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने दुख जताया है. अखिलेश यादव ने ट्वीट किया है, "सपा के वरिष्ठ नेता, पूर्व राज्यसभा सांसद एवं बहुजन आंदोलन के योद्धा श्री बलिहारी बाबू जी का निधन, अपूरणीय क्षति. दिवंगत आत्मा को शांति दे भगवान. शोकाकुल परिजनों के प्रति संवेदना. भावभीनी श्रद्धांजलि."
दो बार बसपा ने भेजा राज्यसभा
बलिहारी बाबू को बहुजन समाज पार्टी से दो बार राज्यसभा जाने का मौका मिला. 2006 में कांशीराम के निधन के बाद वर्ष 2007 में उन्हें फिर राज्यसभा जाने का मौका मिला लेकिन उन्होंने इंकार कर दिया. इसके बाद बलिहारी बाबू को पार्टी से निकाल दिया गया. बसपा के बाद उन्होंने कांगेस ज्वाइन की. फिर 2014 में लालगंज संसदीय सीट से चुनाव लड़ा. लेकिन वह कांग्रेस को जिता नहीं सके. इसके बाद 2017 में उन्होंने बसपा में वापसी की लेकिन उन्हें यहां पुराना कद नहीं मिला. आखिरकार 2020 में उन्होंने बसपा छोड़कर सपा का दामन थामा.
बहुजन आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका
बलिहारी बाबू ने बसपा के संस्थापक स्वर्गीय कांशीराम के साथ बहुजन समाज के आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. 1984 में जब कांशीराम ने बामसेफ और डीएस-4 के जरिए दलित, पिछड़े और मुस्लिम समाज को एकजुट करने के लिए पूरे उत्तर प्रदेश में साइकिल यात्रा निकाली तो बलिहारी बाबू उनके साथ खड़े थे.

Rounak Dey
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