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NSE को-लोकेशन घोटाले में हुई पूछताछ, ईडी के सामने पेश हुए मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर संजय पांडेय

Kajal Dubey
5 July 2022 2:43 PM GMT
NSE को-लोकेशन घोटाले में हुई पूछताछ, ईडी के सामने पेश हुए मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर संजय पांडेय
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मनी लॉन्ड्रिंग मामले में मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर संजय पांडेय मंगलवार को ईडी के सामने पेश हुए। उन्हें ईडी ने तीन जुलाई को समन भेजकर पूछताछ के लिए तलब किया था। अधिकारियों ने बताया कि संजय पांडेय को नेशनल स्टॉक एक्सचेंज को-लोकेशन घोटाले में पूछताछ के लिए बुलाया गया था। वह दिल्ली स्थित ईडी कार्यालय में पेश हुए। पीएमएलए एक्ट के तहत उनके बयानों को रिकॉर्ड किया गया।
30 जून को हुए थे सेवानिवृत्त
1986 बैच के भारतीय पुलिस सेवा (IPS) अधिकारी संजय पांडेय का मुंबई पुलिस कमिश्नर के रूप में कार्यकाल काफी विवादों में रहा। वह तीस जून को ही सेवानिवृत्त हुए थे। इसके तीन दिन बाद ही उन्हें ईडी ने समन भेज कर तलब किया।
खुद की कंपनी से कराया ऑडिट
दरअसल, संजय पांडेय ने चित्रा रामकृष्ण मामले में एक ऑडिट कंपनी तैयार की थी। यह कंपनी पांडेय की ही थी। अधिकारियों ने बताया कि संजय पांडे से पूछताछ, उनकी कंपनी आईसेक सिक्योरिटीज प्राइवेट लिमिटेड के कामकाज और गतिविधियों से संबंधित है। एजेंसी इस मामले में एनएसई की पूर्व प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी चित्रा रामकृष्ण का बयान पहले ही दर्ज कर चुकी है। रामकृष्ण फिलहाल तिहाड़ जेल में बंद हैं। उन्हें और समूह के पूर्व संचालन अधिकारी आनंद सुब्रमण्यम को एनएसई को-लोकेशन घोटाला मामले में मार्च में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने गिरफ्तार किया था।
क्या है को-लोकेशन स्कैम?
शेयर खरीद-बिक्री के केंद्र देश के प्रमुख नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के कुछ ब्रोकरों को ऐसी सुविधा दे दी गई थी, जिससे उन्हें बाकी के मुकाबले शेयरों की कीमतों की जानकारी कुछ पहले मिल जाती थी। इसका लाभ उठाकर वे भारी मुनाफा कमा रहे थे। इससे संभवत: एनएसई के डिम्यूचुलाइजेशन और पारदर्शिता आधारित ढांचे का उल्लंघन हो रहा था। धांधली करके अंदरूनी सूत्रों की मदद से उन्हें सर्वर को को-लोकेट करके सीधा एक्सेस दिया गया था। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड को इस संबंध में एक अज्ञात सूचना मिली। इसमें आरोप लगाया गया था कि एनएसई के अधिकारियों की मदद से कुछ ब्रोकर पहले ही जानकारी मिलने का लाभ उठा रहे हैं। एनएससी में खरीद-बिक्री तेजी को देखते हुए घपले की रकम पांच साल में 50,000 करोड़ रुपये होने का अनुमान है।
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