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नई दिल्ली। बिहार के गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी कृष्णैया की मर्डर के दोषी पूर्व विधायक आनंद मोहन ने अपनी रिहाई को सही ठहराते हुए सुप्रीम कोर्ट में जवाबी हलफनामा दायर किया है. आनंद मोहन ने कहा है कि जेल से उनकी रिहाई का फैसला पूरी वैधानिक प्रक्रिया का पालन करते हुए लिया गया है.
आनंद मोहन ने कहा है कि जेल से रिहाई की छूट का हकदार होने के लिए वो न्यूनतम सजा जेल में गुजार चुके हैं. सरकार ने उसे फायदा पहुंचाया, ये कहना गलत है. आनंद मोहन ने कहा है कि किसी दोषी की रिहाई को इस आधार पर चुनौती नहीं दी जा सकती है कि पीड़ित के मूल अधिकारों का हनन हुआ है. हलफनामा में कहा गया है कि जेल नियमावली में बदलाव सरकार की कार्यकारी शक्तियों के दायरे में आता है. आनंद मोहन ने कहा है कि रिहाई के फैसले की न्यायिक समीक्षा का दायरा बहुत सीमित है. उसका जेल में व्यवहार अच्छा रहा है. इससे पहले Bihar सरकार ने 14 जुलाई को आनंद मोहन की रिहाई को सही ठहराते हुए Supreme court में हलफनामा दाखिल किया था. Bihar सरकार ने हलफनामे में कहा है कि आम जनता या लोकसेवक किसी की भीMurder होने के मामले में सजा का प्रावधान समान है, ऐसे में उम्रकैद की सजा काट रहे दोषी को सिर्फ इसलिए छूट देने से इनकार नहीं किया जा सकता, क्योंकि मारा गया पीड़ित लोक सेवक था.
बिहार सरकार ने कहा है कि आनंद मोहन की माफी पर नीति और निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार विचार कर रिहा किया गया है. राज्य की सजा में छूट की नीति में न्यायिक हस्तक्षेप की सीमित गुंजाइश है. आनंद मोहन ने अपनी कैद के दौरान तीन किताबें लिखीं और जेल में सौंपे गए कार्यों का भी निर्वहन किया. 8 मई को कोर्ट ने Bihar सरकार से रिहाई से जुड़ा रिकार्ड दाखिल करने का निर्देश दिया था. याचिकाकर्ता और जी कृष्णैया की पत्नी उमा कृष्णैया की ओर से पेश वकील सिद्धार्थ लूथरा और तान्या ने आनंद मोहन की रिहाई को रद्द कर उन्हें फिर से जेल भेजे जाने की मांग की थी. उन्होंने कहा था कि आनंद मोहन के जेल में व्यवहार को तो ध्यान में रखा गया लेकिन दोषी के पूर्व के इतिहास को नजरअंदाज किया गया. ऐसा करना लोकहित के खिलाफ है. Bihar सरकार का ये कदम लोकसेवकों का मनोबल तोड़ने वाला है.
हाल ही में बिहार सरकार द्वारा जेल नियमों में किये गये संशोधन के चलते ये रिहाई संभव हो पाई है. याचिका में कहा गया है कि आनंद मोहन की रिहाई Supreme court के फैसलों के विपरीत है. आनंद मोहन की रिहाई का फैसला गलत तथ्यों के आधार पर लिया गया है.
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