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कर्नाटक के पूर्व CM बीएस येदियुरप्पा बोले- हिंदू और मुस्लिम साथ मिलकर रहें
jantaserishta.com
13 April 2022 7:41 AM GMT
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नई दिल्ली: कर्नाटक में हिजाब, हलाल विवाद के बाद मंदिर के सामने मुस्लिम व्यापारियों की दुकान पर तोड़फोड़ की घटना हुई. धारवाड़ जिले के एक मंदिर में श्रीराम सेना के कार्यकर्ताओं की ओर से मुस्लिम फल विक्रेताओं के साथ तोड़फोड़ करने के साथ उनके फल सड़क पर फेंक दिए गए थे. कर्नाटक में बढ़ती सांप्रदायिक घटनाओं और तनावों को लेकर सरकार के खिलाफ विपक्षी नेता तो मोर्चा खोले हुए ही हैं और अब बीजेपी के अंदर से भी सवाल उठने लगे हैं. यह सवाल कोई और नहीं बल्कि पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने उठाया है. इसके अलावा बीजेपी के दो विधायक और भी इस मुद्दे को उठा चुके हैं.
कर्नाटक में हिंदू संगठनों की तरफ से मुसलमानों और उनके व्यवसायों के खिलाफ चलाए जा रहे अभियानों से सरकार को विपक्षी दलों की अलोचनाओं का सामना करना पड़ा रहा है. धारवाड़ में मंदिर के सामने मुस्लिमों के फलों के ठेले तोड़ने के आरोप में श्रीराम सेना से जुड़े सदस्यों की गिरफ्तारी के बाद बीजेपी के दिग्गज नेता व पूर्व सीएम बीस येदियुरप्पा ने हिंदू संगठनों से आग्रह किया है कि वो ऐसी हरकतें न करें. मुसलमानों को शांति और सम्मान के साथ जीने दीजिए. उन्होंने यह जवाब एक पत्रकार के सवाल पर दिया है.
येदियुरप्पा ने सोमवार को पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि मेरी इच्छा है कि हिंदू और मुसलमान ऐसे रहें जैसे एक मां के बच्चे साथ रहते हैं. ऐसे में अगर कुछ शरारती तत्व उसमें बाधा डाल रहे हैं तो मुख्यमंत्री ने पहले ही आश्वासन दे दिया है कि उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
येदियुरप्पा पहले बड़े बीजेपी नेता हैं जिन्होंने हिजाब विवाद के बाद हिंदुत्व संगठनों की अगुवाई में चलाए जा रहे अभियानों की सार्वजनिक रूप से आलोचना की है.
हालांकि, येदियुरप्पा से पहले राज्य सरकार में दो मंत्री और दो बीजेपी विधायक भी कर्नाटक में मुसलमानों के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान को बंद करने के लिए आवाज उठा चुके हैं. इसके बावजूद हिंदू संगठनों ने मंदिरों के पास मुसलमानों की दुकानों पर पाबंदी, हलाल मीट का बहिष्कार और फलों के कारोबार में 'मुस्लिम एकाधिकार' को पूरी तरह से खत्म करने का अभियान छेड़ रखा है.
कानून और संसदीय कार्य मंत्री जेसी मधुस्वामी ने सदन के पटल पर कहा था कि गैर-हिंदू मंदिर परिसर और धार्मिक मेलों में अपना व्यवसाय नहीं कर सकते हैं. तब से हिंदुत्ववादी समूह मुस्लिम विक्रेताओं को सभी धार्मिक स्थलों से खाली करने की पुरजोर मांग कर रहे हैं. इसी के चलते धारवाड़ के एक मंदिर में शनिवार को मुस्लिम फल विक्रेता के सारे फलों को श्रीराम सेना से जुड़े हुए लोगों ने सड़कों पर फेंक दिया.
वहीं, अब बीएस येदियुरप्पा के बयान से एक दिन पहले ही रविवार को कानून और संसदीय कार्य मंत्री जेसी मधुस्वामी के सुर बदल गए हैं और उपद्रवी समूहों को कार्रवाई की चेतावनी दे रहे हैं. मधुस्वामी ने कहा है कि वो सभी लोग जिन्होंने आजादी के बाद भारत में रहने का फैसला किया था वो भारतीय हैं. ये देश हर किसी का है. उन्होंने आगे कहा कि कुछ उपद्रवियों की हरकतों के लिए सरकार को ज़िम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता, लेकिन अगर वो गड़बड़ी करते हैं और शांति भंग करते हैं तो ऐसे समूहों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
मधुस्वामी ने आगे कहा था कि भारतीय संविधान ने हर नागरिक को जीने, कारोबार करने और अपने धर्म का पालन करने के अधिकार की गारंटी दी है. उसने किसी को भी सार्वजनिक रूप से किसी समुदाय को बदनाम करने का अधिकार नहीं दिया है. मधुस्वामी कर्नाटक की बीजेपी सरकार के पहले मंत्री हैं, जिन्होंने हिंदुवादी संगठनों के द्वारा चलाए जा रहे अभियानों का आलोचना की है. हालांकि, उन्होंने ही कहा था कि मंदिर परिसर में गैर-हिंदू व्यक्ति दुकान नहीं लगा सकते, जिसके बाद से ही हिंदू संगठन के लोगों के हौसले बुलंद हो गए थे.
कर्नाटक के मंदिरों के सालाना मेले और अन्य धार्मिक कार्यक्रमों में मुस्लिम व्यापारियों को अनुमति देने से इनकार के बाद बीजेपी विधायक अनिल बेनाके ने असहमति जताई थी. उन्होंने कहा था, 'हर व्यक्ति अपना कारोबार कर सकता है और यह फैसला लोगों को करना है कि वह कहां से क्या खरीदते हैं. इस संबंध में संविधान का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा था, 'मंदिर में मेले के दौरान किसी तरह की पाबंदी लगाने का सवाल ही नहीं उठता, हम प्रतिबंध लगाने की अनुमति नहीं देंगे, लेकिन यदि लोग ऐसा करते हैं, तो हम कुछ नहीं कर सकते.'
दरअसल, कर्नाटक एक ऐसा प्रदेश है जहां तमाम जातियां, भाषाई समूह और धार्मिक समुदाय रहते हैं. बीजेपी ने इस राज्य में पिछले चार लोकसभा चुनाव में लगातार ज्यादातर सीटें जीती हैं. मुसलमानों की अच्छी-खासी आबादी वाले कर्नाटक के तटवर्ती क्षेत्रों और गांवों में बीजेपी ने हिंदूवादी राजनीति पर काम किया है. राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने यहां पर अपनी गहरी जड़ें जमा रखी हैं.
हालांकि, कर्नाटक के चुनावी इतिहास की बात करें तो एक लंबे समय तक यहां की राजनीति जातिगत निष्ठाओं से तय होती रही है. साल 2008 में बीजेपी को पहली बार राज्य की सत्ता में लाने वाले बीएस येदियुरप्पा ने लिंगायत समुदाय को बीजेपी के साथ जोड़कर कमल खिलाया, जिसके बाद से ये समुदाय बीजेपी का कोर वोटबैंक बना हुआ है.
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि येदियुरप्पा से पिछले साल सत्ता की बागडोर लेने वाले बोम्मई सरकार का प्रदर्शन बेहतर नहीं कर सके. कोरोना महामारी के दौरान कुप्रबंधन के भी आरोप हैं और अगले साल विधानसभा चुनाव हैं. बीजेपी दबाव की वजह से एक अलग तरह की राजनीति करने की कोशिश कर रही है. हिंदू राष्ट्रवाद और विकास के आधार पर एक नया मतदाता वर्ग तैयार करने की कोशिश कर रही है, लेकिन जिस तरह से सांप्रदायिक तनाव लगातार बढ़ रहे हैं और अब हिंसक रुख अख्तियार कर रहे हैं. इससे बीजेपी के कुछ नेताओं की चिंता बढ़ती जा रही है, क्योंकि सूबे में सियासी मिजाज इतना भी सांप्रदायिक नहीं है.
कर्नाटक विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस नेता सिद्धारमैया ने हिंदू संगठनों के व्यवहार को लेकर मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई की जमकर आलोचना की. उन्होंने आरोप लगाया कि सीएम ने कानून व्यवस्था को संघ परिवार को सौंप रखा है और श्रीराम सेना के गुंडों को कॉन्ट्रैक्ट पर नियुक्त किया गया है. यह कर्नाटक के लिए एक आपदा है. उन्होंने कहा कि राम के नाम पर मारीच का कार्य किया जा रहा, ये रावण हैं, जो मारीचों को हुक्म दे रहे हैं और उन रावणों को भी दंडित किया जाना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि कन्नड़ लोग इस तरह की चीजों को कभी माफ नहीं करेंगे.
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