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पूर्व CJI रंजन गोगोई ने आत्मकथा 'जस्टिस फॉर द जज' में अयोध्या फैसले पर लिखी दिल की बात, साथी जजों को फ़ाइव स्टार होटल में कराया था डिनर और पिलवाई थी बेहतरीन वाइन

jantaserishta.com
9 Dec 2021 12:00 PM GMT
पूर्व CJI रंजन गोगोई ने आत्मकथा जस्टिस फॉर द जज में अयोध्या फैसले पर लिखी दिल की बात, साथी जजों को फ़ाइव स्टार होटल में कराया था डिनर और पिलवाई थी बेहतरीन वाइन
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नई दिल्ली: राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद केस पर 9 नवंबर 2019 को सर्वसम्मति पर फैसला सुनाने के बाद तब के चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) रंजन गोगोई बेंच के अपने सहकर्मियों को होटल ताज मानसिंह में डिनर के लिए ले गए थे और सबसे अच्छी शराब का भी ऑर्डर दिया था। खुद गोगोई ने अपनी आत्मकथा में इस फैसले से जुड़े कई रोचक पहलुओं को उजागर किया है।

गोगोई मौजूदा समय में राज्यसभा के सांसद हैं। 'जस्टिस ऑफ द जज: एक आत्मकथा' नाम की इस किताब में गोगोई ने 2018 के प्रेस कॉन्फ्रेंस से लेकर उनके खिलाफ लगाए गए यौन शोषण के आरोपों पर अपनी बात कही है। उन्होंने अपने कई अहम फैसलों के बारे में भी इस किताब में लिखा है। इंडियन एक्सप्रेस की एक खबर के मुताबिक, गोगोई ने अयोध्या पर फैसले वाले दिन का जिक्र करते हुए लिखा है, ''फैसला सुनाने के बाद सेक्रेटरी जनरल ने कोर्ट नंबर 1 के बाहर गैलरी में अशोक चक्र के नीचे एक फोटो सेशन का आयोजन किया था।''
उन्होंने आगे लिखा, ''मैं जजों को डिनर के लिए ताज मानसिंह होटल ले गया। हमने चाइनीज खाना खाया और वहां उपलब्ध सबसे अच्छी वाइन की बोतल साझा की, सबसे बड़ा होने के नाते मैंने बिल चुकाया।'' तब के सीजेआई के साथ पांच जजों की संवैधानिक पीठ में एसए बोबडे, जिस्टस डीवाई चंद्रचूड़, अशोक भूषण और एस अब्दुल नजीर शामिल थे।
'सर्वोच्च आरोप और सत्य के लिए मेरी खोज' नाम के चैप्टर में गोगोई ने सुप्रीम कोर्ट के एक स्टाफ की ओर से लगाए गए यौन शोषण के आरोप के बारे में लिखा है। जब आरोप सामने आए, तो जस्टिस गोगोई ने शनिवार (20 अप्रैल, 2019) को सुप्रीम कोर्ट की विशेष बैठक बुलाई और पीठ की अध्यक्षता की। हालांकि, बेंच में मौजूदगी के बावजूद उन्होंने "इन रे: मैटर ऑफ ग्रेट पब्लिक इम्पोर्टेंस टचिंग ऑन द इंडिपेंडेंस ऑफ द ज्यूडिशियरी" शीर्षक वाले मामले में आदेश पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया। बुधवार को पुस्तक विमोचन के मौके पर गोगोई ने कहा कि उन्हें उस पीठ का हिस्सा होने का खेद है। उन्होंने कहा, "मुझे बेंच में जज नहीं होना चाहिए था। मैं बेंच का हिस्सा न होता तो शायद अच्छा होता। हम सभी गलतियां करते हैं। इसे स्वीकार करने में कोई बुराई नहीं है।''

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