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गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री शंकर सिंह वाघेला ने रविवार को अपनी एक नई पार्टी 'प्रजा शक्ति डेमोक्रेटिक पार्टी' का गठन किया. उनकी पार्टी गुजरात में आगामी विधानसभा चुनाव लड़ेगी. राजधानी गांधीनगर में मीडिया से बातचीत में शंकर सिंह वाघेल ने कहा, "लोग भाजपा के विकल्प की तलाश कर रहे हैं. मेरे लिए भाजपा, कांग्रेस और आप के दरवाजे बंद हैं. इसलिए मैंने प्रजा शक्ति डेमोक्रेटिक पार्टी शुरू करने का फैसला किया. पार्टी डेढ़ साल पहले पंजीकृत हुई थी. अब हमारे पास एक पार्टी है."
बता दें कि शंकर सिंह वाघेला ने अपने फेसबुक पेज पर राज्य के लोगों से पहले ही कई वादे किए हैं, जैसे 12 लाख रुपये प्रति वर्ष कमाने वाले परिवार के लिए 12 लाख रुपये स्वास्थ्य बीमा सुरक्षा, ऐसे परिवार के बच्चों को 12वीं कक्षा तक मुफ्त शिक्षा, युवाओं के लिए बेरोजगारी वजीफा. उन्हें राज्य में रोजगार, जल कर से छूट, खपत की 100 यूनिट तक मुफ्त बिजली, किसानों की कर्जमाफी, बिजली बिलों में राहत, नई वैज्ञानिक शराब नीति आदि उनकी पार्टी के वादे हैं.
सुब्रमण्यम स्वामी और कपिल सिब्बल से की मुलाकात
पूर्व मुख्यमंत्री शंकर सिंह वाघेला ने बीते शनिवार को दिल्ली में भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी और राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल से मुलाकात की थी. उन्होंने उनसे समर्थन देने का अनुरोध किया है. दोनों नेताओं ने वाघेल ने कहा कि अगर उन्हें लगता है कि वह क्षेत्रीय पार्टी शुरू करके सही काम कर रहे हैं तो उनका समर्थन करें. बता दें, 2017 में भी शंकर सिंह वाघेला ने क्षेत्रीय पार्टी 'जन विकल्प' बनाई थी और चुनाव भी लड़ा था, लेकिन उन्हें एक प्रतिशत वोट भी नहीं मिला और न ही राज्य में एक भी सीट जीत सके. उन्होंने खुद चुनाव भी नहीं लड़ा था.
जानें वाघेला का राजनीतिक सफर
बता दें, पूर्व मुख्यमंत्री शंकर सिंह वाघेला कभी गुजरात में बीजेपी के बड़े नेता हुआ करते थे. उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरूआत जनसंघ से की थी, जिसे बाद में वे जनता पार्टी में चले गए. जनता पार्टी का जब विभाजन हुआ तो शंकर सिंह वाघेल भाजपा में आए गए, लेकिन वर्ष 1996 में वह भाजपा से भी अलग हो गए और राष्ट्रीय जनता पार्टी की स्थापना की. अक्टूबर 1996 से अक्टूबर 1997 तक शंकर सिंह वाघेला गुजरात के मुख्यमंत्री भी रहे. हालांकि कुछ वर्षों बाद ही उनकी पार्टी का विलय कांग्रेस में हो गया.
शंकर सिंह वाघेला गुजरात में कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे. हालांकि काफी वर्ष कांग्रेस में रहने वाले बाद उनका कांग्रेस से भी मोह भंग हो गया. 21 जुलाई 2017 को उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी और एनसीपी का दामन थाम लिया, लेकिन तीन साल बाद ही उन्होंने 2020 में एनसीपी से भी नाता तोड़ लिया. इसके बाद से ही वाघेल राजनीति में हाशिये पर थे.
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