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राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड की ओर से 12 नवंबर को दूसरी पाली में आयोजित वन विभाग की परीक्षा रद्द कर दी गई है. इस परीक्षा का पेपर पहले ही सोशल मीडिया पवर वायरल हो गया था. ये भर्ती दो साल से स्थगित हो रही थी. अब पेपर लीक होने के बाद सरकार ने इसे रद्द कर दिया है. इसे लेकर विपक्षी दलों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.
विपक्ष ने ये कहते हुए राज्य सरकार को घेरा है जो पार्टी गुजरात चुनाव में पर्चा लीक का मुद्दा उठा रही है, उसी की सरकार वाला राजस्थान पेपर आउट के रिकॉर्ड बना रहा है. गौरतलब है कि सोशल मीडिया पर हाथ से लिखा हुआ पेपर वायरल हुआ था लेकिन सरकार की ओर से इसे लेकर टालमटोल की जाती रही. अंत में पेपर आउट करने के आरोपियों की गिरफ्तारी हुई और जांच में वायरल पेपर का परीक्षा के प्रश्न पत्र से मिलान होने के बाद पेपर रद्द करने का फैसला लिया गया.
कर्मचारी चयन बोर्ड की ओर से वायरल पेपर की जांच की गई जिसमें हाथ से लिखे पेपर के 62 सवाल पेपर से मिलते पाए गए. राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड के अध्यक्ष हरि प्रसाद शर्मा ने इसे लेकर कहा कि सोशल मीडिया पर वायरल पेपर का परीक्षा के प्रश्न पत्र से मिलान कराने के बाद 12 नवंबर को दूसरी पाली की परीक्षा रद्द करने का निर्णय लिया गया.
गौरतलबहै कि इस भर्ती के लिए 16 लाख छात्रों ने फॉर्म भरे थे. दो साल से ये भर्ती परीक्षा टलती आ रही थी. दो साल बाद जब परीक्षा आयोजित हुई तब इसमें 10 लाख अभ्यर्थी शामिल हुए थे. पेपर आउट को लेकर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी), आम आदमी पार्टी और आरएलपी समेत लगभग सभी पार्टियों ने सरकार पर हमला बोला है. वन विभाग की भर्ती परीक्षा से पहले शिक्षक भर्ती परीक्षा (रीट), पुलिस भर्ती परीक्षा, जेईएन और पटवारी परीक्षा तक में पेपर आउट हो चुके हैं.
पेपर लीक का आरोपी गिरफ्तार
राजसमंद पुलिस ने वन रक्षक भर्ती परीक्षा पेपर लीक मामले में आरोपी दीपक शर्मा को गिरफ्तार किया. पुलिस ने इस मामले में 10 संदिग्धों को डिटेन किया है. राजसमंद के पुलिस अधीक्षक (एसपी) सुधीर चौधरी ने इसे लेकर कहा कि उन्हें एसओजी के जरिए इनपुट मिला था कि रेलमगरा इलाके में एक व्यक्ति ने वनरक्षक भर्ती परीक्षा का पेपर हल करके दौसा और सवाई माधोपुर में कुछ लोगों को भेजा है. इसकी जांच के दौरान करौली निवासी दीपक शर्मा को हिरासत में लेकर पूछताछ की. उसकी मोबाइल डिटेल खंगाली गई तो पता चला कि उसने वन रक्षक भर्ती परीक्षा का हल पेपर जितेंद्र सैनी सपोटरा और हेतराम मीणा को भेजे हैं.
राजसमंद के एसपी के मुताबिक मिलान करने पर ये दूसरी पाली के पेपर से मैच कर गया. पुलिस ने कार्रवाई करते हुए करौली, सवाई माधोपुर दौसा और दिल्ली से कुल 10 लोगों को पकड़ा है. इस गिरोह का मास्टरमाइंड पवन सैनी के अलावा कोई अन्य व्यक्ति भी हो सकता है. इस मामले की तफ्तीश की जा रही है.
वहीं, इसे लेकर राजस्थान बेरोजगार एकीकृत महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष उपेन यादव ने भी सरकार को घेरा है. उन्होंने कहा कि जब प्रदेश में गैरजमानती कानून आ चुका है तो पेपर लीक के पुराने मामलों में दोषियों की संपत्ति अभी तक जब्त क्यों नहीं की गई. उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई क्यों नहीं की गई. उपेन ने सवाल किया कि क्यों पेपरलीक माफिया को बचाया जा रहा है?
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