बंदरों को काबू करने में असफल फॉरेस्ट विभाग, अब ग्रामीणों ने किए त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव का बहिष्कार
ओडिशा (Odisha) में अगले महीने होने वाले त्रि-स्तरीय पंचायत चुनावों (Panchayat election) से पहले तटीय भद्रक जिले के एक गांव के मतदाताओं की सभी उम्मीदवारों से एक अजीब मांग है. मतदाताओं की मांग है कि बंदरों (Monkey) को भगाओ वरना चुनाव का बहिष्कार करेंगे. भद्रक जिले के तलपाड़ा ग्राम पंचायत के गोपागदाधरपुर गांव में पिछले 2 महीनों में सिमियन (एक प्रकार का बंदर) हमलों में लगभग एक दर्जन लोग घायल हो गए हैं. इन बंदरों के हमले से घायल कई लोगों को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा. ग्रामीणों के अनुसार 30 बंदरों का समूह लगातार ग्रामीणों पर हमला कर रहा है. बंदरों के हमलों से आक्रोशित ग्रामीणों ने अब अगले महीने होने वाले पंचायत चुनाव का बहिष्कार करने का फैसला किया है.
जिला परिषद सदस्य चिंतामणि दास तिहिदी पंचायत समिति के सदस्य पद के लिए चुनाव लड़ रहे हैं. चिंतामणि दास का कहना है कि यहां के लोग चाहते हैं कि उन्हें बंदरों से छुटकारा दिलाने का ठोस आश्वासन मिले, वरना वो मतदान नहीं करेंगे. उन्होंने कहा कि पहले बंदर सब्जियां या फल खाते थे, लेकिन पिछले 2 महीनों में वे बहुत हिंसक हो गए हैं. एक महिला को इन बंदरों ने पकड़ लिया था और उनके कंधे पर काट लिया था. जिसके बाद वो कई हफ्तों तक अस्पताल में भर्ती थीं.
वहीं, तिहादी पंचायत के पूर्व सदस्य हरीशचंद्र मिश्रा का कहना है कि यहां बंदरों के कारण सड़कों पर लोगों का चलना मुश्किल हो गया है, क्योंकि बंदर उनका पीछा करने लगते हैं. उन्होंने कहा कि 'हम भाग्यशाली हैं कि स्कूल बंद हैं और बच्चे सुरक्षित हैं, वरना बच्चों पर भी ये खतरनाक बंदर हमला करता. हम चाहते हैं कि कोई भी सदस्य हमें ठोस आश्वासन दे कि वो बंदरों से हमें निजात दिलाएंगे, वरना हम अपने मत का इस्तेमाल नहीं करेंगे'.
तालापाडा लक्षमीकांत मोहपात्रा की जन्मस्थली है. उन्होंने ओडिशा का राज्य गान 'बंदे उत्कल जननी' लिखा था. लक्षमीकांत मोहपात्रा के घरवाले भी बंदरों के आतंक से जूझ रहे हैं. उनके पोते और बहू पर भी इन बंदरों ने हमला किया था. कवि के पोते बनिकल्यान महापात्र ने कहा कि अगर हम दरवाजा बंद करना भूल जाते हैं तो बंदर हमारी रसोई से फल और सब्जियां उठाकर ले जाते हैं.
फॉरेस्ट विभाग बंदरों को काबू करने में असफल!
भद्रक के डिविजनल फॉरेस्ट ऑफिसर अधीर बेहरा ने कहा कि विभाग ने बंदरों को पकड़ने के लिए ग्राम पंचायत में पिंजड़े लगाए हैं. लेकिन उन्होंने स्वीकार किया कि यह मुश्किल काम है. उन्होंने कहा 'पहले भी यहां बंदरों को काबू में करने या उन्हें भगाने की कोशिश की गई, लेकिन सफलता नहीं मिली. लेकिन हम लगातार कोशिश कर रहे हैं'.