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विदेश मंत्री एस जयशंकर बोले- अफगानिस्तान लोगों के साथ हमेशा खड़े रहेंगे

Apurva Srivastav
17 April 2021 3:30 PM GMT
विदेश मंत्री एस जयशंकर बोले- अफगानिस्तान लोगों के साथ हमेशा खड़े रहेंगे
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विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि अतमार के साथ बातचीत के दौरान अफगान शांति प्रक्रिया में पड़ोसियों की भूमिका का मुद्दा भी उठा.

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शनिवार को अफगानिस्तान के अपने समकक्ष मोहम्मद हनीफ अतमर के साथ चर्चा की और उनसे कहा कि भारत हमेशा अफगानिस्तान के लोगों के साथ हमेशा खड़ा रहेगा. विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि अतमार के साथ बातचीत के दौरान अफगान शांति प्रक्रिया में पड़ोसियों की भूमिका का मुद्दा भी उठा.

दोनों देशों के विदेश मंत्रियों ने टेलीफोन पर बातचीत के दौरान अमेरिका की तरफ से अफगानिस्तान से अपने सैनिकों की वापसी के संबंध में की गई घोषणा के मद्देनजर उभरती स्थिति पर चर्चा की. अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने घोषणा की है कि अमेरिकी सैनिक अफगानिस्तान से 11 सितंबर तक वापस लौटेंगे. जयशंकर ने अपने ट्वीट में अतमर के साथ अपनी बातचीत को 'अच्छा' बताया.
उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान के विदेश मंत्री हनीफ अतमर के साथ ताजा घटनाक्रमों पर अच्छी बातचीत हुई. अफगानिस्तान शांति प्रक्रिया में पड़ोसियों की भूमिका पर चर्चा हुई. भारत, अफगानिस्तान के लोगों के साथ हमेशा खड़ा रहेगा. एक दिन पहले रायसीना डॉयलाग में हिस्सा लेते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को कहा था कि अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन की अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना को वापस बुलाने की घोषणा एक बड़ा कदम है, जो इस युद्धग्रस्त देश को एक निश्चित दिशा में ले जाएगी और ऐसे में सभी पक्षकारों को ये सुनिश्चित करने के लिए काम करना चाहिए कि ये दिशा सही हो और इसका परिणाम अफगान लोगों के हित में हो.
वहीं विदेश मंत्रालय का कहना है कि भारत का ये मत है कि अफगानिस्तान में शांति प्रक्रिया अफगानिस्तान नीत, अफगानिस्तान के स्वामित्व और उसके नियंत्रण वाली होनी चाहिए. कोई भी राजनीतिक समाधान समावेशी होना चाहिए और पिछले 19 सालों के सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक लाभ को बनाए रखना चाहिए. वहीं अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने बुधवार को घोषणा की थी कि अमेरिकी सैनिक 11 सितंबर तक अफगानिस्तान से लौट जाएंगे. ये दिन साल 2001 में अमेरिका पर 9/11 आतंकी हमले की बरसी है. अल कायदा की तरफ से आतंकी हमले के बाद साल 2001 के बाद से शुरू अभियान में अमेरिका के 2000 से अधिक जवान मारे जा चुके हैं.


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