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भारत की मदद को आगे आए विदेशी सरकारें और वहां के जनता, जानें कैसे कर रही सहायता?

Deepa Sahu
10 May 2021 6:04 PM GMT
भारत की मदद को आगे आए विदेशी सरकारें और वहां के जनता, जानें कैसे कर रही सहायता?
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कोविड-19 की दूसरी लहर से लड़ते भारत को मदद देने के लिए सिर्फ विदेशी सरकारें ही सामने नहीं आई हैं,

नई दिल्ली। कोविड-19 की दूसरी लहर से लड़ते भारत को मदद देने के लिए सिर्फ विदेशी सरकारें ही सामने नहीं आई हैं, बल्कि निजी तौर पर भी भारत को मदद देने वालों में होड़ मची हुई है। चाहे अमेरिका व खाड़ी देशों में रहने वाले भारतीय हों या जापान, इजरायल के स्थानीय नागरिक भारत को हर तरह से मदद मिल रही है। विदेश मंत्रालय को यहां तक सूचना मिली है कि कई यूरोपीय देशों में स्थानीय एनजीओ की कोशिशों से काफी बड़े पैमाने पर चिकित्सा सामग्री जुटाई जा रही है, जो धीरे-धीरे भारत पहुंचने लगी है। विदेशी नागरिक अपने पैसे से आक्सीजन कंसंट्रेटर्स खरीद कर भारतीय मिशनों को भेज रहे हैं।

भारत को मदद देने की मुहिम काफी बड़ा रूप ले चुकी है। एक देश दूसरे देश को मदद कर रहे हैं, ताकि वह भारत तक सामान आसानी से पहुंचा सके। उदाहरण के दौर पर फ्रांस सरकार ने खाड़ी स्थित अपने देश की एक गैस निर्माता कंपनी से दो क्रायोजेनिक टैंकर भारत को पहुंचाने की इच्छा जताई तो कतर ने उसे तत्काल आवश्यक मंजूरी दे दी। ये टैंकर भारतीय नौ सेना के जरिये मुंबई पहुंचा दिए गए हैं। फ्रांस के राजदूत एमान्यूएल लेनेन ने कहा है कि इस तरह के और टैंकर जल्द ही भारत आएंगे। इस तरह के कई उदाहरण मिल रहे हैं।
भारत की मदद के लिए इजराइल में टास्क फोर्स गठित
नई दिल्ली स्थित इजरायल दूतावास की तरफ से बताया गया है कि उनकी सरकार ने एक टास्क फोर्स गठित किया है, ताकि भारत को तेजी से मदद पहुंचाई जा सके। इजरायल की कई निजी कंपनियां, एनजीओ और वहां की आम जनता भारत को मदद देने लिए आगे आई हैं। सोमवार को इजरायल की मदद का तीसरा जहाज भारत पहुंचा है, जिसमें 60 टन चिकित्सा सामग्री, तीन आक्सीजन जेनरेटर्स, 1,710 आक्सीजन कंसंट्रेटर्स व 420 वेंटिलेटर्स हैं। इजरायल ने कहा है कि उसकी तरफ से और मदद लगातार आती रहेगी।
इन देशों से बड़े पैमाने पर पहुंची मदद
सोमवार को ब्रिटेन, स्पेन, जापान, कुवैत, कतर, सिंगापुर, मिस्त्र, फ्रांस से बड़े पैमाने पर मदद पहुंची है। नई खेप में आक्सीजन के बड़े प्लांट, आक्सीजन ढुलाई में इस्तेमाल होने वाले क्रायोजेनिक टैंकर्स और जान बचाने वाली रेमडेसिविर दवा है जिसकी भारत को सबसे ज्यादा जरूरत है।
प्रवासी भारतीयों का भी बहुत योगदान
भारत को निजी तौर पर जो मदद आ रही है, उसमें सउदी अरब, कतर, यूएई जैसे खाड़ी के क्षेत्र में रहने वाले प्रवासी भारतीयों का भी बहुत योगदान है। इनकी तरफ से भेजे गए आक्सीजन कंसंट्रेटर्स की पहली खेप पहुंच भी चुकी है। खाड़ी में रहने वाले केरल के प्रवासी भारतीयों ने अपने राज्य में मेडिकल परामर्श से लेकर वित्तीय सहयोग देने तक का अभियान निजी स्तर पर चलाया है।
ब्रिटेन से आनलाइन मेडिकल परामर्श मुफ्त
इसी तरह से ब्रिटेन में भारतीय मूल के चिकित्साकर्मियों ने भी आनलाइन मेडिकल परामर्श मुफ्त में देने का अभियान चलाया हुआ है। सिंगापुर में रहने वाले भारतीयों ने वहां की सरकार के जरिये मदद की एक बड़ी खेप भारत भेजी है। सिंगापुर से सोमवार को आठ बड़े क्रायोजेनिक टैंकर विशाखापत्तनम स्थित भारतीय नौसेना के पत्तन पर आया है। यह भारत को की गई क्रायोजेनिक टैंकर्स की अभी तक की सबसे बड़ी आपूर्ति है।
महामारी से जूझ रहा स्पेन भी आया आगे
स्पेन अब भी महामारी से जूझ रहा है लेकिन उसने भी 10 आक्सीजन कंसंट्रेटर्स और 141 वेंटिलेटर्स भेजे हैं। ब्रिटेन की तरफ से भेजे गए 1,350 आक्सीजन सिलेंडर्स (46.6 लीटर क्षमता के) भारत पहुंच गए हैं। मिस्त्र से 300 आक्सीजन सिलेंडर्स, 50 कंसंट्रेटर्स, 20 वेंटिलेटर्स और 8,000 रेमडेसिविर भी भारत को प्राप्त हुआ है। इंडोनेशिया से 1,400 सिलेंडर की खेप भी पहुंचने वाली है।


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