
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उत्तर प्रदेश के नोएडा में धर्मांतरण कराने वाले रैकेट का पर्दाफाश होने के बाद लगातार कई खुलासे हो रहे हैं. इस रैकेट के बारे में पुलिस को कई सूत्रों से सूचनाएं मिल रहीं थी. उस सूचनाओं की पुष्टि के बाद ही यूपी एटीएस ने दो लोगों को गिरफ्तार किया. ये एक ऐसा रैकेट था, जो खासकर मूक-बधिर बच्चों और महिलाओं का धर्म परिवर्तन कराता था. इस मामले में आगे-आगे कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं.
इस रैकेट की कहानी का आगाज कुछ यूं हुआ कि यूपी पुलिस को धर्मांतरण कराने की सूचनाएं मिल रही थी. लेकिन पुलिस को ये अंदाजा नहीं था कि जो रैकेट ये काम कर रहा है, उसके तार कहां और कितने फैले हो सकते हैं. पुलिस ने सूचना के आधार पर जानकारी जुटानी शुरू की तो आगे चलकर पता चला कि इस मामले में विदेशी फंडिंग भी होती है. अब पुलिस के हाथ कई सुराग लग चुके थे. लिहाजा इस रैकेट में आरोपियों की धरपकड़ के लिए यूपी एटीएस को लगाया गया.
एटीएस की टीम ने नोएडा में दबिश दी और दो लोगों को गिरफ्तार कर लिया. जिनकी पहचान आरोपी मोहम्मद उमर गौतम और मुफ्ती काजी जहांगीर कासमी के तौर पर हुई. एटीएस को शक है कि इस रैकेट में 100 से ज्यादा लोग शामिल हो सकते हैं. एडीजी (कानून व्यवस्था) प्रशांत कुमार के मुताबिक पिछले एक साल में 350 लोगों का धर्मांतरण कराया गया है. नोएडा के एक मूक बधिर स्कूल के 18 बच्चों का भी धर्मांतरण कराया गया. एडीजी का दावा है कि अब तक ये रैकेट एक हजार से ज्यादा लोगों का धर्म परिवर्तन करा चुका है. ये पूरा रैकेट पिछले दो साल से चल रहा था.
एडीजी प्रशांत कुमार ने बताया कि मामले में विदेशी फंडिंग के सबूत भी मिले हैं. रैकेट के मेंबर लोगों को लालच देकर और ज़रूरत पड़ने पर डरा-धमकाकर भी धर्मांतरण कराते थे. पकड़े में आए दोनों आरोपी मोहम्मद उमर गौतम और मुफ्ती काजी जहांगीर कासमी दिल्ली के रहने वाले हैं. इनके ऊपर सिर्फ यूपी ही नहीं, बल्कि पूरे देश में धर्मांतरण कराने का आरोप है. इस मामले में एटीएस ने यूपी के गोमती नगर थाने में एफआईआर दर्ज कराई है, जिसमें जामिया नगर स्थित आईडीसी इस्लामिक दावा सेंटर के चेयरमैन का नाम भी दर्ज है.
जानकारी के मुताबिक, यूपी एटीएस इन दोनों आरोपियों से चार दिन से पूछताछ कर रही है. जांच में ये भी सामने आया है कि मोहम्मद उमर गौतम भी हिंदू से मुस्लिम में कन्वर्ट हुआ था. एटीएस की ओर से दर्ज कराई गई एफआईआर के मुताबिक, ये लोग आमतौर पर कमजोर वर्गों, बच्चों, महिलाओं और मूक बधिरों को टारगेट कर उनका धर्म परिवर्तन कराते थे. एटीएस के अफसरों का दावा है कि ये रैकेट अब तक एक हजार से ज्यादा लोगों का धर्मांतरण करा चुका है. पकड़े गए दोनों आरोपियों का नाम रामपुर से जुड़े धर्मांतरण के मामले में भी सामने आया है. अब यूपी एटीएस ये पता लगाने की कोशिश कर रही है कि इस रैकेट को फंडिंग कौन करता था? इनका असली मकसद क्या था?
एडीजी प्रशांत कुमार ने बताया कि आरोपी मोहम्मद उमर गौतम और मुफ्ती काजी जहांगीर कासमी दिल्ली के जामिया नगर इलाके के रहने वाले हैं. उमर भी कन्वर्टेड मुस्लिम है. पुलिस को जांच में पता चला कि मोहम्मद उमर गौतम पहले हिंदू था, जिसने बाद में इस्लाम कबूल कर लिया. उसके पिता का नाम धनराज सिंह गौतम है. पुलिस को शक है कि इस रैकेट को चलाने में उमर गौतम के साथ बहुत से लोग शामिल हो सकते हैं.
पुलिस को जानकारी मिली है कि ये रैकेट दो साल से चल रहा था. इस रैकेट ने पिछले एक साल में 350 लोगों का धर्म परिवर्तन कराया है. अगर दो वर्षों की बात की जाए तो ये रैकेट अब तक एक हजार से ज्यादा लोगों का धर्म परिवर्तन करा चुका है. जांच में पता चला कि नोएडा के सेक्टर 117 में मौजूद नोएडा डीफ सोसायटी समेत कई मूक बधिर स्कूलों के करीब 18 बच्चों का धर्म परिवर्तन कराया गया. हैरान करने वाली बात ये है कि धर्म बदलने वाले बच्चों के माता-पिता को इस बारे में कोई जानकारी नहीं थी.
आरोप है कि आरोपी समय-समय पर धार्मिक सम्मेलन आयोजित कर सामूहिक धर्म परिवर्तन भी कराया करते थे. एटीएस ने एफआईआर में आरोप लगाया है कि इस रैकेट के लोग धर्मांतरण करने वाले की शादी भी मुस्लिमों से कराते थे. आरोपी मोहम्मद उमर और उसके साथी सुनियोजित ढंग से गैर-मुस्लिमों में उनके धर्म के प्रति नफरत पैदा करते थे और फिर इस्लाम के फायदे बताकर धर्म परिवर्तन कराते थे.
उमर गौतम एक संस्था भी चलाता है...
यूपी एटीएस के अनुसार उमर गौतम एक संस्था भी चलाता है. जिसका नाम इस्लामिक दावा सेंटर (IOC) है. जिसका पता दिल्ली के जामिया नगर में दर्ज है. इसके जरिए ही ये रैकेट गैर-मुस्लिमों का धर्म परिवर्तन कराते थे. एटीएस की एफआईआर के मुताबिक, धर्म परिवर्तन कराने के लिए पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई और अन्य देशों से भी फंडिंग होती थी.
एडीजी प्रशांत कुमार बताते हैं कि आरोपी लोगों का धर्म परिवर्तन कराने के बाद उनकी शादी करते थे. उनके धर्मांतरण और शादी के दस्तावेज भी तैयार कराते थे. बकायदा धर्म परिवर्तन को कानूनी मान्यता भी दिलाते थे. इस काम में उमर का साथ मुफ्ती काजी बहुत अहम किरदार निभाता था.
यूपी एटीएस ने सोमवार रो आरोपी मोहम्मद उमर गौतम और मुफ्ती काजी जहांगीर कासमी के जामिया नगर वाले ऑफिस को छापा मारकर सील कर दिया. एटीएस का मानना है कि उसी दफ्तर का इस्तेमाल धर्मांतरण कराने के लिए किया जाता था. ये ऑफिस मोहम्मद उमर गौतम के घर में ही बनाया गया था. जिसे इस्लामिक दावा सेंटर का हेडक्वार्टर भी बताया जाता है. अब यूपी एटीएस इस रैकेट के दूसरे लिंक तलाश कर रही है.
सियासत भी शुरू हो गई है...
उधर, इस मामले को लेकर सियासत भी शुरू हो गई है. दिल्ली में आम आदमी पार्टी के विधायक अमानतुल्लाह खान ने ट्वीट करते हुए कहा कि भाजपा देश के अल्पसंख्यकों और दलितों पर जुल्म करने से नहीं चूक रही. यूपी ATS द्वारा उमर गौतम और मुफ्ती जहांगीर साहब को गिरफ्तार कर BJP सरकार ने हमारे संवैधानिक अधिकारों पर हमला किया है. आर्टिकल 25 और 21 हमें अपने धर्म के प्रचार-प्रसार के साथ किसी भी धर्म का पालन करने का अधिकार देता है.
उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए भाजपा गैर-संवैधानिक तरीके से साम-दाम, दंड-भेद की नीति अपना कर अपनी डूबती नैया पार लगाना चाहती है. भाजपा सरकार कानून और संविधान का गलत इस्तेमाल करना बंद करे और गैर-संवैधानिक तरीके से गिरफ्तार किए गए लोगों को जल्द रिहा करे
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