भारत

फोर्ब्‍स की सुपर वुमन: दुनिया की सबसे ताकतवर मह‍िलाओं में शामिल हुई आशा वर्कर मतिल्‍दा, कभी लोग उड़ाते थे मजाक, आज देते हैं सम्मान

jantaserishta.com
28 Nov 2021 10:19 AM GMT
फोर्ब्‍स की सुपर वुमन: दुनिया की सबसे ताकतवर मह‍िलाओं में शामिल हुई आशा वर्कर मतिल्‍दा, कभी लोग उड़ाते थे मजाक, आज देते हैं सम्मान
x

नई दिल्ली. ओडिशा के कुल्लू सुंदरगढ़ जिले में पिछले 15 सालों से बतौर आशा वर्कर काम करने वाली मतिल्‍दा कुल्‍लू को फोर्ब्‍स ने दुनिया की ताकतवर महिलाओं की लिस्‍ट में शामिल किया है. 45 वर्षीय मतिल्‍दा ने बैंकर अरुंधति भट्टाचार्य और अभिनेत्री रसिका दुग्गल जैसी शख्सियतों के बीच अपनी खास जगह बनाई है. उन्हें ग्रामीणों के स्वास्थ्य को लेकर कार्य करने के लिए इस लिस्ट में शामिल किया गया है. लेकिन यहां तक पहुंचने का उनका रास्ता कठिनाईयों भरा रहा है.

मतिल्‍दा कुल्‍लू , कुल्लू सुंदरगढ़ जिले के बड़ागाव तहसील के अंतर्गत गर्गडबहल गांव में आशा वर्कर के तौर पर काम करती हैं. गांव में घर-घर जाकर नवजात और किशोर-किशोरियों को वैक्‍सीन लगाना, महिलाओं की प्रसव से पहले और बाद की जांच कराना इनके काम का हिस्सा है. इसके अलावा बच्‍चे के जन्‍म की तैयारी, हर जरूरी सावधानी की जानकारी देना, एचआईवी और दूसरे संक्रमण से गांव वालों को दूर रखने की सलाह देना भी इनका काम है. इस जिम्मेदारी को वह पूरी शिद्दत के साथ निभा नहीं रही हैं. इसलिए उन्हें उन्हें फोर्ब्स की ताकतवर महिलाओं की लिस्ट में शामिल किया गया है.
कुल्लू सुंदरगढ़ जिले के बड़ागाव तहसील के अंतर्गत गर्गडबहल गांव आता है. शहर से ज्यादा दूर होने की वजह से यह गांव बहुत पिछड़ा हुआ है. यही कारण है कि यहां के ग्रामीण जागरूक नहीं हैं. यही वजह थी कि एक समय ऐसा भी था जब, यहां ग्रामीण बीमार होने पर इलाज के लिए नहीं जाते थे. इसकी वजह से उनकी असमय मृत्यु हो जाती थी. साथ ही जागरूकता नहीं होने की वजह से लोग अपने बच्चों को टीके भी नहीं लगवाते थे, जिसकी वजह से बच्चों में बड़े होने पर कई बीमारियां पैदा हो जाती थी.
इसके अलावा किसी के बीमार होने पर ग्रामीण पहले इलाज के लिए अस्‍पताल जाने की बजाय काले जादू का सहारा लेते थे. लोगों की यह सोच बदलना मतिल्‍दा के लिए काफी चुनौतीभरा रहा है. लेकिन-लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने लोगों की सोच बदल दिया. उनके संघर्ष की वजह से अब गांव में काले जादू जैसे सामाजिक अभिशाप को जड़ से खत्‍म किया जा चुका है.
मतिल्‍दा के दिन की शुरुआत सुबह 5 बजे से होती है. मवेश‍ियों की देखभाल और घर का चूल्‍हा-चौका संभालने के बाद गांव के लोगों को सेहतमंद रखने के लिए घर से निकल पड़ती हैं. मतिल्‍दा साइकिल से गांव के कोने-कोने में पहुंचती हैं. उन्हीं के प्रयासों का नतीजा है कि अब ग्रामीणों कोरोना की वैक्सीन भी लगवा रहे हैं.

Next Story