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पश्चिम बंगाल में एक के बाद एक हुए पांच गैंगरेप और रेप, ममता बनर्जी पर दोतरफा वार
jantaserishta.com
20 April 2022 3:29 PM GMT
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कोलकाता : कलकत्ता हाई कोर्ट में ममता बनर्जी सरकार चौतरफा घिर गई है। पश्चिम बंगाल चुनाव के बाद हिंसा से लेकर राज्य में होने वाले रेप को लेकर हाई कोर्ट ने ताबड़तोड़ ऐक्शन के आदेश दिए हैं। हाई कोर्ट ने सरकार से राज्य में एक के बाद एक हाल में हुए पांच रेप और गैंग रेप मामलों की जांच प्रगति रिपोर्ट और केस डायरी पेश करने को कहा है। वहीं चुनाव बाद हिंसा को लेकर मानवाधिकार आयोग की कमिटी गठित कर जांच करने और रिपोर्ट देने का आदेश दिया है।
एक रेप पीड़िताओं के परिवार ने अदालत की निगरानी में जांच का आग्रह किया था। इस मामले में 15 अप्रैल को बीरभूम जिले के शांतिनिकेतन में एक आदिवासी लड़की के साथ गैंग रेप हुआ। दक्षिण 24 परगना जिले के नामखाना में एक महिला के साथ बलात्कार किया गया था।
राज्य सरकार पर आरोप
जनहित याचिका में यह भी कहा गया कि पश्चिमी मेदिनीपुर जिले के पिंगला में एक दिव्यांग महिला के साथ कथित तौर पर बलात्कार किया गया। दक्षिण 24 परगना के नेत्रा में एक रेप हुआ। याचिकाकर्ताओं ने जलपाईगुड़ी जिले के मयनागुड़ी में बलात्कार के प्रयास की एक घटना का भी जिक्र किया जिसमें महिला ने अपराधी की ओर से धमकी दिए जाने के बाद आत्महत्या की कोशिश की थी।
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव और न्यायमूर्ति आर भारद्वाज की खंडपीठ ने पक्षों को सुनने के बाद निर्देश दिया कि जांच की प्रगति रिपोर्ट और सभी पांच मामलों की डायरी 22 अप्रैल तक उसके सामने पेश की जाएं, जिस दिन मामले की 26 अप्रैल को फिर से सुनवाई होगी।
दो सदस्यीय समिति करेगी जांच
वहीं चुनाव बाद हिंसा मामले में कलकत्ता हाई कोर्ट की मुख्य न्यायाधीश खंडपीठ ने बेघर हुए 300 लोगों के पुनर्वास की जांच के लिए दो सदस्यीय समिति का आदेश दिया है। दो सदस्यीय समिति में एक राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) और राज्य मानवाधिकार आयोग से होगा।
राज्य ने कहा कि 70 लोग घर लौट आए, 43 वापस नहीं लौटना चाहते थे, और 155 पश्चिम बंगाल से बाहर थे। मामले में याचिकाकर्ता भाजपा की प्रियंका टिबरेवाल ने कहा कि रिपोर्ट मनगढ़ंत है।
सीबीआई और एसआईटी कर रही जांच
अदालत ने पहले हत्या, बलात्कार और महिलाओं के खिलाफ अपराध से संबंधित मामलों की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपी थी। वहीं चुनाव के बाद की हिंसा से संबंधित अन्य आपराधिक मामलों की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया था।
'जनता के लिए काम करने वाले बने गुंडा'
याचिकाकर्ता प्रियंका टेबरीवाल ने कहा, 'पश्चिम बंगाल में कानून-व्यवस्था नहीं होने के कारण राज्य में कानून-व्यवस्था नहीं है। पुलिस अधिकारी, जो जनता के लिए काम करने वाले हैं, 'गुंडा' बन गए हैं और उनके (राज्य सरकार के) इशारे पर काम कर रहे हैं।
'लड़कियों को घरों से घसीटा जा रहा'
टेबरीवाल ने कहा, 'कुछ जगहों पर जब चुनाव के बाद की हिंसा के बाद परिवार घर लौट आया है, लड़कियों को उनके घरों से घसीटा जा रहा है और उन पर बलात्कार और यौन उत्पीड़न के प्रयास किए जा रहे हैं।'
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