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मत्स्य-मानव! हूबहू जलपरी जैसा पैदा हुआ बच्चा, जानें बहुत कम होने वाली इस बीमारी का कारण
jantaserishta.com
15 March 2021 12:42 PM GMT
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जो 10 लाख में से किसी एक बच्चे को होती है...
हैदराबाद में एक जलपरी (Mermaid) जैसा बच्चा पैदा हुआ, दुर्भाग्यवश वह ज्यादा देर जीवित नहीं रह सका. लेकिन ये दुर्लभ नजारा देख कर उस बच्चे का परिवार और डॉक्टर हैरान थे. क्योंकि ये अत्यधिक रेयर बीमारी है, जो 10 लाख में से किसी एक बच्चे को होती है. इसमें बच्चे का आधा शरीर इंसान का और आधा शरीर मछली की आकृति का होता है. इसे मरमेड सिंड्रोम कहते हैं. लोग इसे मत्स्य-मानव भी कह रहे हैं.
हैदराबाद में स्थित पेटलाबुर्ज मैटरनिटी हॉस्पिटल में यह बच्चा पैदा हुआ. इसे लोग मरमेड बेबी (Mermaid Baby) बुला रहे हैं. यानी जलपरी जैसा बच्चा. आधा इंसान और आधी मछली. लेकिन यह बच्चा कुछ घंटों तक ही जीवित रह पाया. क्योंकि इसे जन्म संबंधी दुर्लभ बीमारी थी, जिसे मरमेड सिंड्रोम (Mermaid Syndrome) कहते हैं.
मरमेड सिंड्रोम (Mermaid Syndrome) की वजह से बच्चे का ऊपरी हिस्सा तो इंसानों की तरह रहता है लेकिन निचला हिस्सा पूरी तरह से विकसित नहीं हो पाता. इसकी वजह से निचला हिस्सा मछली की पूंछ की तरह दिखाई देता है. यानी मछली के पंखों की तरह.
मरमेड सिंड्रोम (Mermaid Syndrome) को साइरेनोमेलिया (Sirenomelia) भी कहते हैं. ये बच्चा पिछले हफ्ते पैदा हुआ था. पैदा होने के बाद दो घंटे तक ही जीवित रहा. अल्ट्रासाउंड जांच में भी इसका पता नहीं चलता कि बच्चा इस बीमारी से ग्रसित है.
लेटेस्टली साइट के मुताबिक मरमेड सिंड्रोम (Mermaid Syndrome) या साइरेनोमेलिया (Sirenomelia) तब होता है जब माता-पिता के बीच किसी में जेनेटिक डिसऑर्डर हो या पर्यावरण की वजह से जीन्स में कोई कमी आई हो. आमतौर पर ऐसा तब होता है जब एक इंसान से दूसरे इंसान में पूरे जीन्स नहीं पहुंचते. किसी-किसी मामलों में खून की सप्लाई वाला सिस्टम या खून की नलियां पूरी तरह से विकसित नहीं होती.
हैदराबाद में जन्मे बच्चे के दोनों पैरों की हड्डियां नहीं थी. उसके शरीर में निचले हिस्से की हड्डियां आपस में जुड़ी हुई थीं. उसका लिंग गायब था. पेट के कई अंग गायब थे. रीढ़ की हड्डी में कमी थी. पेल्विस और दोनों किडनियां भी गायब थीं. NCBI के मुताबिक ऐसे बच्चे अक्सर पैदा होते हैं लेकिन ये ज्यादा देर तक जीवित नहीं रह पाते.
साल 2018 में महाराष्ट्र के अंबाजोगाई स्थित स्वामी रामानंद तीर्थ ग्रामीण सरकारी अस्पताल में भी ऐसा ही एक बच्चा पैदा हुआ था. हैदराबाद के बच्चे की तरह यह भी पैदा होने के 15 मिनट बाद मर गया था. इसके पहले 2017 में एक 23 साल की महिला ने इसी तरह के बच्चे को जन्म दिया था, लेकिन उसके पैर आपस में चिपके हुए थे. वह भी चार घंटे ही जीवित रह पाया था.
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