मुंबई। किन्नर समाज एक ऐसा समाज है जो अभी तक अपने वजूद के लिए जद्दोजहद कर रहा है. अक्सर किन्नर समाज के लोगों को अलग-अलग दिक़्क़त का सामना करना पड़ता है. लगातार कोशिशों के बावजूद अभी भी किन्नर समाज के लोगों को अपना हक़ नहीं मिल पा रहा है. उन्हें हर जगह भेदभाव का सामना करना पड़ता है. समाज में उनके साथ आमजन जैसा बर्ताव नहीं किया जाता है. जिसके चलते किन्नर समाज के लोगों को पढ़ाई करने तक का मौका नहीं मिल पाता है. किन्नर समाज के लोग अपने हक से वंचित रह जाते हैं. उनका स्कूल में दाखिला तक नहीं हो पाता. अगर किसी तरह से उनका दाखिला हो भी जाता है तो उन्हें अलग तरह की प्रताड़ना झेलनी पड़ती है. उन्हें भेदभाव का शिकार होना पड़ता है.
वहीं, अब समय बदला है जहां किन्नर समाज के लोग हर क्षेत्र में आगे बढ़ रहे हैं. इस समाज के कितने ही लोग हैं जिन्होंने कोरोना काल में बिना किसी स्वार्थ के लोगों की मदद की है. अभी भी किन्नर समाज के लोग अपने वजूद के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं. किन्नर समाज को शिक्षित करने के लिए मुंबई से सटे वसई में एक ट्रांसजेंडर स्कूल खोला गया है. इन लोगों के खिलाफ फैले भेदभाव को मिटाने के लिए खुद एक तृतीय पंथ ने यह मुहिम शुरू की है. इस अभियान को मेहंदी अली और श्री महाशक्ति चेरिटबल ट्रस्ट (रेखा त्रिपाठी) ने शुरू की है.
इस स्कूल को किन्नर विद्यालय नाम दिया गया है. इस स्कूल में अब तक 24 विद्यार्थियों ने एडमिशन लिया है. हालांकि कोरोना के चलते अभी स्कूल शुरू नहीं किया गया है मगर जल्द ही यहां पर पढ़ाई शुरू हो जाएगी. इस स्कूल की सबसे ख़ास बात यह है कि यहां के सारे शिक्षक किन्नर समाज के लोग हैं. इस स्कूल के शुरू होने से किन्नर समाज के लोगों को रोजगर भी मिल रहा है. वहीं पूरे राज्य में यह पहला स्कूल है जहां सिर्फ़ किन्नर समाज के लोगों को शिक्षित किया जाएगा. इस स्कूल में पढ़ाने वाले सारे टीचर किन्नर समाज के हैं और काफ़ी पढ़े लिखे भी हैं. कुछ टीचर ऐसे भी हैं जिनके साथ बाकी स्कूलों में काफी भेदभाव किया गया था. लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और अब किन्नर स्कूल में बाकी किन्नर समाज के लोगों को शिक्षित कर रहे हैं.