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सबसे पहले इस हॉस्पिटल में कॉकटेल ड्रग से होगा कोरोना मरीजों का इलाज, जानिए कैसे दी जाती है ये दवाई?

Admin2
1 Jun 2021 1:29 PM GMT
सबसे पहले इस हॉस्पिटल में कॉकटेल ड्रग से होगा कोरोना मरीजों का इलाज, जानिए कैसे दी जाती है ये दवाई?
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कोरोना वायरस महामारी को चुनौती देने के लिए दिल्ली स्थित सर गंगाराम अस्पताल ने एक जून से मोनोक्लोनल एंटीबॉडी कॉकटेल (MAC) शुरू किया है. 'एंटीबॉडी कॉकटेल' दो दवाइयों का मिक्सचर है जो कोरोना से लड़ने में किसी मरीज की शक्ति को बढ़ाती है. इसमें कासिरिविमाब (Casirivimab) और इम्देवीमाब (Imdevimab) दवाई शामिल हैं. इन दोनों दवाओं के 600-600 MG मिलाने पर 'एंटीबॉडी कॉकटेल' दवा तैयार की जाती है. एक्सपर्ट्स के मुताबिक, ये दवा कोरोना वायरस को मानवीय कोशिकाओं में जाने से रोकती है, जिससे वायरस को न्यूट्रिशन नहीं मिलता, इस तरह ये दवा वायरस को रेप्लिकेट करने से रोकती है.

स्विट्जरलैंड की ड्रग कंपनी रोशे और सिप्ला ने इसे भारत में लॉन्च किया था. इस मोनोक्लोनल एंटीबॉडी कॉकटेल को लेकर दावा है कि अगर किसी कोरोना मरीज़ को ये दिया जाता है, तो ये 70 फीसदी तक असर करता है. इसकी मदद से मरीज़ के अस्पताल में भर्ती होने की संभावना कम हो जाती है.

फिलहाल सर गंगाराम अस्पताल प्रशासन के मुताबिक इसका इस्तेमाल माइल्ड और मॉडरेट कोविड 19 लक्षण वाले पेशेंट्स पर किया जाएगा. ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DGCI) के मुताबिक पेशेंट का सेलेक्शन निम्नलिखित आधार पर किया जाएगा-

1. मरीज के पास कोविड 19 टेस्ट पॉजिटिव रिपोर्ट होनी चाहिए.

2. मरीज के अंदर हल्के से मध्यम कोविड डिजीज होनी चाहिए.

3. 12 साल या इससे अधिक उम्र होनी चाहिए. जबकि वजन कम से कम 40 किलो होनी चाहिए.

4. मरीज कोविड 19 के हाई रिस्क पर हो.

मरीजों से मोनोक्लोनल एंटीबॉडी कॉकटेल की एक डोज की कीमत के तौर पर 59,750 रुपये वसूल किए जाएंगे. सर गंगाराम अस्पताल के चेयरमैन डीएस राणा ने कहा कि रोशे और सिप्ला कंपनी के दावे के मुताबिक हमें आशा है कि कोरोना से लड़ाई में मोनोक्लोनल एंटीबॉडी कॉकटेल बड़ा फैक्टर साबित होगा. जिससे किसी भी मरीज को इस बीमारी से गंभीर स्थिति में जाने से रोका जा सकेगा.

कैसे दी जाती है ये दवाई?

एंटीबॉडी कॉकटेल एक तरह का इम्युनिटी बूस्टर ही है, इसे किसी शख्स के कोरोना पॉजिटिव होने के 48 से 72 घंटे के अंदर दिया जाता है. जानकारी के मुताबिक, ये दवाई देने में 20 से 30 मिनट का वक्त लगता है. दवाई के बाद किसी भी मरीज़ को कुछ देर एहतियात के तौर पर निगरानी में रखा जाता है, जिस तरह वैक्सीन के वक्त होता है.



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