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बदले की आग: पिता के हत्यारे का Murder, 22 साल का किया इंतजार, फिर...

jantaserishta.com
4 Oct 2024 9:59 AM GMT
बदले की आग: पिता के हत्यारे का Murder, 22 साल का किया इंतजार, फिर...
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पुलिस भी हैरान.
अहमदाबाद: गुजरात में एक शख्स की ट्रक से कुचलकर कर हत्या कर दी गई। पुलिस ने 30 साल के आरोपी को लापरवाही से गाड़ी चलाने के आरोप में गिरफ्तार भी कर लिया है। लेकिन बात सिर्फ इतनी सी नहीं थी। जब पूरा मामला खुला तो पुलिस भी खुद दंग रह गई। दरअसल यह कोई सड़क हादसा नहीं बल्कि सोमझकर की गई हत्या थी और इस वारदात को अंजाम देने के लिए आरोपी 22 साल से इंतजार कर रहा था। वजह थी बदला। 30 साल के भाटी ने अपने पिता की हत्या का बदला लेने के लिए 22 साल का इंतजार किया और सही मौका पाकर पिता के हत्यारे को मौत के घाट उतार दिया।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक मामला अहमदाबाद का है जहां गोपाल भाटी ने 40 साल के नखत सिंह भाटी को ठीक उसी तरह मारा जिस तरह उसने उसके पिता की हत्या की थी। गोपाल के पिता हरि सिंह भाटी की हत्या साल 2002 में राजस्थान के जयसलमेर में की गई थी। आरोपियों ने उन्हें ट्रक से कुचलकर मार डाला थआ। नखत और उसके चार भाइयों को इस मामले में दोषी पाया गया था और 7 साल की जेल भी हुई थी। उस समय गोपाल सिर्फ 8 साल का था। लेकिन गोपाल ने अपने पिता के हत्यारों के लिए कुछ औऱ भी सोच रखा था। वह नखत ठीक वैसे ही मारना चाहता था जैसे उसके पिता को मारा गया। इसके लिए वह 22 साल तक सही मौके का इंतजार करता रहा और मंगलवार को उसे वह सही मौका मिल गया।
मंगलवार दोपहर को 50 साल का नखत साइकिल से कहीं जा रहा था। इसी दौरान गोपाल ने ट्रक से कुचलकर उसकी हत्या कर दी। नखत अहमदाबाद के थलतेज में रहता था। यहीं एक कॉलोनी में वह सिक्योरिटी गार्ड का काम करता था। गोपाल ने नखत की हत्या करने के बाद भागने की कोशिश की लेकिन वहां से कुछ ही दूरी पर मौजूद पुलिस ने गोपाल को गलत ढ़ंग से गाड़ी चलाने के आरोप में पकड़ लिया। पुलिस ने बताया कि जांच के दौरान पता चला कि गोपाल ने पिछले हफ्ते लोन पर खरीदा था। गोपाल के मोबाइल रिकॉर्ड से पचा चला है कि उसने नखत को मारने से पहले रेकी भी की थी।
पुलिस ने बताया कि नखत और गोपाल जयसलमेर के जिस गांव के रहने वाले हैं वह दोनों कट्टर दुश्मन है। नखत बदोदा गांव में रहता था जबकि गोपाल अजसर गांव का रहने वाला था। दोनों गांव दुश्मनी इतनी गहरी है कि यहां रहने वाले लोग भी एक दूसरे से बात नहीं करते। कई बार दोनों गांव के बीच समझौता कराने की कोशिश की गई लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।
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