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जबलपुर के एक निजी अस्पताल में हुए अग्निकांड के बाद मध्य प्रदेश का स्वास्थ्य महकमा जाग गया है. जबलपुर के 51 निजी अस्पताल और नर्सिंग होम में नई मरीज़ों के दाखिले पर रोक लगा दी गई है. CMHO डॉक्टर रत्नेश कुररिया ने ये आदेश जारी किया है.
इतना ही नहीं अस्पताल स्थापना अधिनियम के तहत जरूरी मापदंड पूरा करने संबंधी सभी दस्तावेज इन अस्पतालों से मांगे गए हैं. दस्तावेज पेश करने तक सभी 51 निजी अस्पताल और नर्सिंग होम में नए मरीजों का दाखिला नहीं होगा. वहीं जो मरीज ऐसे अस्पतालों में भर्ती हैं, उन्हें अन्य अस्पतालों में शिफ़्ट करने का आदेश दिया गया है.
जबलपुर के निजी अस्पताल में आग लगने की घटना के बाद शुरुआती जांच में पाया गया कि अस्पताल को फायर (आग) एनओसी नहीं मिली थी और प्रबंधन के पास बिल्डिंग पूर्णता प्रमाण पत्र भी नहीं था. बता दें कि सोमवार को इस अस्पताल में आग लगने की वजह से 10 लोगों की मौत हो गई थी जबकि कई घायल हो गए थे.
निजी अस्पताल में हुए अग्निकांड को लेकर जबलपुर के एएसपी संजय अग्रवाल ने बताया कि इस अस्पताल में अन्य बहुत सारी खामियां थी लेकिन इसके बावजूद भी यह अस्पताल चल रहा था. अब सभी बिंदुओं पर जांच की जाएगी.
रिपोर्ट के मुताबिक अस्पताल को सजाने के लिए अत्यधिक ज्वलनशील मैटेरियल का इस्तेमाल किया गया था जो अस्पताल में मरीजों और उनके परिजनों के लिए काल बन गया. फिलहाल अस्पताल के चार डायरेक्टर और अन्य सहयोगियों के खिलाफ पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है.
पुलिस अस्पताल के मैनेजर को हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही है. जबलपुर के न्यू लाइफ मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल में डॉ. सुरेश पटेल, डॉ संजय पटेल, डॉ संजय सोनी और डॉ. निशांत गुप्ता डायरेक्टर हैं.
फिलहाल ये सभी फरार चल रहे हैं, जिन्हें पुलिस की टीम लगातार तलाश रही है. एएसपी संजय अग्रवाल का दावा है कि जल्द से जल्द सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा.
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