राजकोट के एक पुलिस स्टेशन में 'स्टिंग ऑपरेशन करने के लिए घुसने और पुलिसकर्मियों के काम में बाधा डालने के आरोप में एक गुजराती समाचारपत्र के चार पत्रकारों (Journalists) के खिलाफ FIR दर्ज की गई है. इन चारों पत्रकारों में तीन पत्रकार और एक फोटो पत्रकार शामिल है. FIR में पत्रकारों पर यह आरोप लगाया गया है कि उन्होंने बिना अनुमति के पुलिस थाने में घुसकर गुप्त तस्वीरें लेकर सोशल मीडिया में वायरल की हैं और जांच को नुकसान पहुंचाने और पुलिस को बदनाम करने की कोशिश की है.
मालूम हो कि हाल ही में राजकोट के एक कोविड अस्पताल (Covid Hospital) के ICU वार्ड में देर रात करीब 12:30 बजे आग लगने की वजह से 5 मरीजों की मौत हो गई थी. इस मामले में पुलिस ने अस्पताल को चलाने वाले 'गोकुल हेल्थ केयर प्राइवेट लिमिटेड' कंपनी के पांच अधिकारियों की लापरवाही के खिलाफ मामला दर्ज किया था और तीन को गिरफ्तार कर लिया था.
पुलिस ने कहा कि आग की घटना के मामले में गिरफ्तार तीनों आरोपियों को देर रात तालुका पुलिस स्टेशन (Taluka police station) के लॉकअप में रखा गया था और सुबह उन्हें पूछताछ के लिए पूछताछ कक्ष में ले जाया गया था.
पुलिस ने पत्रकारों पर लगाया यह आरोप
पुलिस का कहना है कि ये चारों पत्रकार बिना अनुमति के 2 दिसंबर को पुलिस स्टेशन में घुसे, जहां आरोपियों से पूछताछ की जा रही थी. इन पत्रकारों ने मना करने के बाद भी मोबाइल फोन पर वीडियो बनाए और तस्वीरें लीं और फिर इन सभी को सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया. FIR में कहा गया है कि इन पत्रकारों ने ऐसा करके पुलिस बल को बदनाम करने और मामले में जांच को प्रभावित करने की कोशिश की.
हेड कांस्टेबल जिग्नेश गढ़वी ने अपनी शिकायत में कहा है, "चारों पत्रकार 1 दिसंबर की सुबह लगभग 5:00 बजे पुलिस स्टेशन में आए. उन्होंने लॉकअप में रखे गए आरोपियों के बारे में जानकारी मांगी और वीडियो शूट करना शुरू कर दिया. इसके बाद वे पुलिस स्टेशन की भी तस्वीरें लेने लगे. जब उनसे कहा गया कि वीडियोग्राफी करने की अनुमति नहीं है तो उन्होंने कहा कि वे अपना काम कर रहे हैं और उन्होंने हमसे अपना काम करने के लिए कहा. इसके बाद उन्होंने अपना काम जारी रखा."
पत्रकारों का ये है तर्क- मामले को कर रहे थे बेनकाब
वहीं, चारों आरोपी पत्रकारों का कहना है कि आग के मामले में गिरफ्तार तीनों आरोपियों को 'VIP सुविधाएं' दी जा रही थीं और उन्होंने उसी को बेनकाब करने की कोशिश की है. पत्रकारों को दावा है कि आरोपियों को लॉकअप में रखने की बजाय कमरे में सोने की अनुमति दी गई थी और उन सभी को 'VIP ट्रीटमेंट' दिया गया था.
समाचारपत्र के प्रधान संपादक ने कहा, "सभी पत्रकार अपनी पत्रकारिता के धर्म का पालन कर रहे थे. FIR में उनके खिलाफ जो कुछ भी कहा गया है, वह सब गलत है. उन्होंने कहा कि पुलिस स्टेशन कब से एक गुप्त स्थान बन गया? हम इस मामले का कानूनी तरीके से ही जवाब देंगे." कई धाराओं के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है.