निधि लेखा परीक्षा विभाग की आख्या के आधार पर बृहस्पतिवार को डिप्टी एसपी नवेंदु सिंह ने नैनी थाने में दो एफआईआर दर्ज कराईं। पहली एफआईआर करीब साढ़े पांच करोड़ वित्तीय अनियमितता की है। इसमें प्रसार योजना, प्रशिक्षण वेतन भत्ता, यात्रा व्यय, वेतन वृद्धि, निविदा के विपरीत फर्मों, अवैध नियुक्तियों को वेतन भत्ते आदि के भुगतान में पांच करोड़, 56 लाख, 57 हजार 592 रुपये अवैध और अनियमित ढंग से खर्च किए जाने के आरोप हैं। बताया गया है कि तमाम स्थानों पर कूटरचित दस्तावेजों को लगाया गया। दूसरी एफआईआर संस्थान में 1984 से लेकर 2017 तक कुल 69 प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर की अवैध नियुक्ति की है। इन नियुक्तियों में अनिवार्य योग्यता का पालन न करने, पदों का विज्ञापन दो प्रख्यात समाचार पत्रों में न करने, विज्ञापन की अवधि का मापदंड स्थापित न करने और बिना आवेदन के चयन को अंतिम रूप दिए जाने को लेकर दर्ज कराई गई है। नियुक्तियों में तमाम कूटरचित अभिलेखों को लगाया गया है। दोनों ही एफआईआर में 11 लोगों को नामजद किया गया है।
कुलाधिपति जेए आलिवर, कुलपति डॉ. राजेंद्र बिहारी लाल, तत्कालीन रजिस्ट्रार अजय लारेंस, प्रतिकुलपति सुनील बी लाल, तत्कालीन एचआर विनोद बिहारी लाल, रजिस्ट्रार राबिन एल प्रसाद, तत्कालीन वित्त निदेशक स्टीफन दास, डीन डॉ. मोहम्मद इम्तियाज, प्रतिकुलपति डाॅ. सर्वजीत हर्बट, तत्कालीन निदेशक एचआरएम रंजन जान, कार्यालय अधीक्षक अशोक सिंह, वित्तीय सहमति देने वाले अन्य अधिकारी।