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इंदिरा गांधी पर फिल्म: 'इमरजेंसी' का निर्देशन खुद करेंगी कंगना, सियास बवाल शुरू

Renuka Sahu
20 July 2021 6:21 AM GMT
इंदिरा गांधी पर फिल्म: इमरजेंसी का निर्देशन खुद करेंगी कंगना, सियास बवाल शुरू
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फाइल फोटो 

अपने दमदार अभिनय के साथ ही विवादित बयानों की वजह से भी अक्सर सुर्ख़ियों में रहने वाली चर्चित फिल्म अभिनेत्री कंगना रनौत अब पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा 46 साल पहले देश में लगाई गई इमरजेंसी पर फिल्म बनाने जा रही हैं

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। अपने दमदार अभिनय के साथ ही विवादित बयानों की वजह से भी अक्सर सुर्ख़ियों में रहने वाली चर्चित फिल्म अभिनेत्री कंगना रनौत अब पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा 46 साल पहले देश में लगाई गई इमरजेंसी पर फिल्म बनाने जा रही हैं. इमरजेंसी नाम की इस फ़िल्म में वह न सिर्फ इंदिरा गांधी का किरदार निभाएंगी, बल्कि उसका डायरेक्शन भी खुद ही करेंगी. इंदिरा के किरदार को करीब से जानने व फिल्म को बेहतरीन बनाने की नीयत से कंगना अगले महीने उनकी जन्मस्थली और कर्मभूमि संगम नगरी प्रयागराज आने वाली हैं.

कंगना की इस फिल्म और प्रयागराज के प्रस्तावित दौरे पर सियासी विवाद छिड़ गया है. इस मामले को लेकर बीजेपी और कांग्रेस आमने-सामने आ गई हैं. कांग्रेस कंगना पर बीजेपी के एजेंट के तौर पर काम करते हुए उन पर इमरजेंसी फिल्म के बहाने इंदिरा गांधी को बदनाम करने की साजिश रचने का आरोप लगा रही है. तो दूसरी तरफ बीजेपी यह सवाल खड़े कर रही है कि इंदिरा के नाम पर इतराने वाली कांग्रेस उन्हीं के द्वारा लगाई गई इमरजेंसी का जिक्र छिड़ते ही तिलमिला क्यों जाती है. कांग्रेस ने कंगना को प्रयागराज में घुसने नहीं देने का एलान किया है, तो वहीं बीजेपी ताल ठोंककर यह दावा कर रही है कि राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित देश की बेटी कंगना को योगी सरकार के क़ानून के राज में कोई भी प्रयागराज आने से जबरन रोक नहीं सकता.
कंगना की यह फिल्म सिल्वर स्क्रीन पर क्या गुल खिलाएगी, इसका फैसला तो वक़्त करेगा, लेकिन उनके प्रयागराज दौरे से पहले ही इमरजेंसी फिल्म को लेकर सियासी गलियारों में घमासान ज़रूर मच गया है. इंदिरा की सरजमीं से लेकर इमरजेंसी लगने का सबब बनने वाली संगम नगरी प्रयागराज में मचा सियासी कोहराम आने वाले दिनों में लखनऊ और दिल्ली से लेकर माया नगरी मुम्बई तक फ़ैल सकता है. वैसे इमरजेंसी फिल्म और प्रयागराज दौरे के बहाने कंगना पर पार्टी विशेष के ज़ख्मों पर नमक छिड़ककर किसी को खुश करने के जो सियासी आरोप लग रहे हैं, उसे पूरी तरह नकारा भी नहीं जा सकता, क्योंकि यह नामचीन अदाकारा सियासत में न रहते हुए भी परदे के पीछे से सियासी तीर छोड़कर अक्सर ही राजनीतिक महाभारत मचाने में माहिर मानी जाती है.
चर्चित फिल्म अभिनेत्री कंगना रनौत नारी प्रधान फिल्मों और रुपहले परदे पर अलग व सशक्त किरदार निभाने के लिए जानी जाती हैं. झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के जीवन पर आधारित फिल्म मणिकर्णिका इसका जीता -जागता उदाहरण है. मणिकर्णिका में कंगना ने न सिर्फ लीड रोल किया था, बल्कि वह उसकी डायरेक्टर भी थीं. कंगना रनौत ने जब पिछले दिनों यह एलान किया कि वह पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की बायोपिक पर बनने जा रही एक फिल्म में आयरन लेडी यानी इंदिरा का किरदार निभाएंगी तो किसी को हैरत नहीं हुई. लेकिन, करीब महीने भर पहले जब उन्होंने फिल्म का नाम इमरजेंसी बताकर इसका डायरेक्शन भी खुद ही करने का दावा किया, तो फिल्म नगरी से लेकर सियासी गलियारों में कानाफूंसी शुरू हो गई. बाद में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के ज़रिये यह बात भी साफ़ हो गई कि इमरजेंसी फिल्म इंदिरा गांधी के पूरे जीवन पर नहीं, बल्कि सिर्फ प्रधानमंत्री रहते हुए 25 जून 1975 को उनके द्वारा देश में लगाए गए आपातकाल पर ही आधारित होगी तो चर्चाओं का बाजार गर्म होने लगा.
कंगना ने फिल्म की स्क्रिप्ट मशहूर लेखक रितेश शाह से तैयार कराई है
इस बीच कंगना ने फेसबुक से लेकर इंस्टाग्राम और कू तक पर इंदिरा का किरदार निभाने की तैयारियों के लिए किये जा रहे मेकअप की कुछ तस्वीरों के साथ यह दावा भी कर डाला कि इमजरेंसी फिल्म का डायरेक्शन उनसे बेहतर कोई दूसरा कर ही नहीं सकता. कंगना ने फिल्म की स्क्रिप्ट मशहूर लेखक रितेश शाह से तैयार कराई है. इमरजेंसी फिल्म को लेकर कंगना ने उत्साह दिखाते हुए दावा किया था कि अगर इस फिल्म को पूरा करने के लिए उन्हें कुछ दूसरे प्रोजेक्ट्स छोड़ने भी पड़ेंगे तो वह उसके लिए तैयार रहेंगी.
बहरहाल फिल्म शुरू होने से पहले ही कंगना खेमे से यह खबर आई है कि इंदिरा के किरदार और इमरजेंसी के हालात को और बेहतर तरीके से समझने के लिए वह जल्द ही संगम नगरी प्रयागराज आने वाली हैं. उस प्रयागराज में जहां इंदिरा गांधी का जन्म हुआ, जहां वह पली-बढ़ीं, जहां उन्होंने सियासत की एबीसीडी सीखी, जहां वानर सेना बनाकर उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ बगावत का बिगुल फूंका, जहां उनका ब्याह हुआ और जहां उन्होंने अपने पिता के चुनाव की कमान संभाली थी. कंगना उस प्रयागराज में आएंगी जो देश में इमरजेंसी लगाने का सबब बना, जहां के हाईकोर्ट के फैसले की वजह से देश में पहली और आख़िरी बार आपातकाल लगा, जहां रहने वाले जज का निर्णय देश में इमरजेंसी लगाने की वजह बना और जहां आनंद भवन व स्वराज भवन के रूप में इंदिरा का पुश्तैनी घर आज भी आबाद नज़र आता है. कंगना रनौत के प्रस्तावित प्रयागराज दौरे को हिट कराने और इस बहाने सियासी सरगर्मी बढाकर फिल्म को ज़्यादा से ज़्यादा पब्लिसिटी दिलाने की ज़िम्मेदारी इवेंट मैनेजमेंट की एक कंपनी को दी गई है. इवेंट कंपनी के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक़ कंगना का 25 अगस्त के आस पास दो दिनों के लिए प्रयागराज आने का कार्यक्रम बन रहा है.
प्रयागराज में इमरजेंसी के नाम पर नये विवादों को जन्म देने और सुर्खियां बटोरने के बाद वह एक दिन के लिए पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी जाकर वहां बाबा विश्वनाथ के दरबार में माथा भी भी टेक सकती हैं. तैयारियों के मुताबिक़ प्रयागराज के दो दिनों के दौरे में कंगना रनौत इंदिरा की जन्म स्थली से लेकर उनके विवाह स्थल, स्कूल और घर को देख सकती है. इंदिरा के साथ वक़्त बिताने वाले कुछ लोगों से मुलाक़ात कर सकती हैं. जिस इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले की वजह से इंदिरा ने देश में इमरजेंसी लगाई थी, उसका दीदार कर सकती हैं. इंदिरा के खिलाफ फैसला देने वाले हाईकोर्ट के दिवंगत जज जस्टिस जगमोहन लाल सिन्हा के परिवार वालों से मुलाकात कर सकती हैं. इतिहास की प्रोफ़ेसर रहीं प्रयागराज से बीजेपी की एक महिला सांसद के घर जा सकती हैं. इसके अलावा संगम जाकर वहां के पवित्र गंगाजल से आचमन करने, काफी हाउस में काफी की चुस्कियां लेने और एक नामी आईटी संस्थान में स्टूडेंट्स से रूबरू होकर उनसे संवाद भी कर सकती हैं. विवादों और विरोध से बचने के लिए प्रयागराज के बजाय वाराणसी में फिल्म इमरजेंसी को लेकर मीडिया से मुखातिब हो सकती हैं.
कंगना द्वारा इंदिरा गांधी की इमरजेंसी के फैसले पर फिल्म बनाए जाने के फैसले से कांग्रेस पार्टी पहले ही तिलमिलाई हुई थी. इस तिलमिलाहट की बड़ी वजह यूपी विधानसभा चुनाव के ठीक पहले कंगना द्वारा इंदिरा के व्यक्तित्व में काला अध्याय साबित होने वाले इमरजेंसी पर फिल्म बनाकर उनके चरित्र का हनन करने की कोशिश है. ऐसे में कांग्रेसियों को जैसे ही कंगना के प्रयागराज दौरे की सुगबुगाहट मिली है, वह और तल्ख़ हो गए हैं. यूपी कांग्रेस के पूर्व प्रवक्ता बाबा अभय अवस्थी ने तो कंगना को सीधे तौर पर बीजेपी का एजेंट बता डाला. उन्होंने कहा कि बीजेपी के नेता इंदिरा के विराट व्यक्तित्व पर खुद कोई सवाल खड़े करने की हैसियत में नहीं है, इसलिए वह कंगना को सामने रखकर इंदिरा को बदनाम करने की साजिश रच रहे हैं. बाबा अभय अवस्थी समेत कांग्रेस के दूसरे नेताओं ने इमरजेंसी फिल्म और कंगना के प्रस्तावित प्रयागराज दौरे का पुरजोर विरोध करने की बात कही है. कांग्रेस नेताओं का कहना है कि उनकी पार्टी और पूर्व नेता इंदिरा के खिलाफ एजेंडा चलाने वाली कंगना को प्रयागराज में घुसने नहीं दिया जाएगा.
कांग्रेस नेताओं के इस तल्ख़ रवैये पर बीजेपी ने हैरानी जताई
कांग्रेस नेताओं के इस तल्ख़ रवैये पर बीजेपी ने हैरानी जताई है. बीजेपी नेता आशीष गुप्ता का कहना है कि प्रियंका वाड्रा समेत जो कांग्रेसी इंदिरा के नाम पर इतराते हैं, वह उन्ही के द्वारा लगाई गई इमरजेंसी का जिक्र होते ही बौखलाने क्यों लगते हैं. आशीष गुप्ता का कहना है कि मर्यादा में रहते हुए लोकतांत्रिक विरोध अपनी जगह है, लेकिन कंगना देश की बेटी है. वह राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार विजेता है, ऐसे में योगी सरकार के क़ानून के राज में कोई भी उनकी तरफ आंख उठाकर नहीं देख सकता.
इतिहास और राजनीति के जानकार भी देश की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की शख्सियत का लोहा मानते हैं. वरिष्ठ पत्रकार रतन दीक्षित का कहना है कि इंदिरा गांधी अपने जमाने में देश ही नहीं बल्कि दुनिया की ताकतवर महिलाओं में गिनी जाती थीं. राजनीति में उन्होंने अपना अलग मुकाम बनाया था. वह राजनीतिक तौर पर जितनी परिपक्व थीं, उतनी ही निर्भीक व त्वरित फैसले लेने वाली भी थीं. रतन दीक्षित के मुताबिक़ पाकिस्तान के दो टुकड़े कराकर इंदिरा ने इतिहास रच दिया था. हालांकि वह भी यह मानते हैं कि इंदिरा के विराट व्यक्तित्व में इमरजेंसी का फैसला एक ऐसे काले साये की तरह है, जो उनके इतिहास के पन्नों में अमर होने के बावजूद उनका पीछा छोड़ने को कतई तैयार नहीं है. प्रयागराज के मिजाज़ को बेहतरीन तरीके से समझने वाले सोशल वर्कर अरुण पाठक का मानना है कि इमरजेंसी लगाने का इंदिरा का फैसला भले ही विवादित रहा हो, लेकिन इस एक फैसले भर से इंदिरा के व्यक्तित्व को कतई कटघरे में नहीं खड़ा किया जा सकता. उनके मुताबिक़ जिस इंदिरा के नाम की तूती पूरी दुनिया में बोलती थी, उनके किरदार में कमी निकालने के लिए कंगना रनौत का फिल्म बनाना कतई सही नहीं है.
कंगना का विवादों से पुराना नाता है
वैसे फिल्म इंडस्ट्रीज से जुड़े हुए लोग कंगना के इमरजेंसी फिल्म बनाने, फिल्म में लीड रोल और डायरेक्शन खुद करने और फिल्म व इंदिरा के जीवन के पहलुओं को समझने के लिए उनके संगम नगरी प्रयागराज आने के फैसले पर कतई हैरान नहीं हैं. फ़िल्मी पत्रिका फिल्म स्क्रीन के सम्पादक और इंडस्ट्री से जुड़े गीतकार एम. गुलरेज़ के मुताबिक़ कंगना हमेशा कुछ अलग करने में भरोसा करती हैं. नारी प्रधान फिल्मों के किरदार को वह शिद्दत से निभाती हैं. अपने किरदार में डूबकर एक्टिंग करने के लिए वह न सिर्फ खूब मेहनत करती हैं, बल्कि क्रिएटर बनकर भी सामने आती हैं. हालांकि एम. गुलरेज़ यह भी मानने से गुरेज़ नहीं करते कि कंगना का विवादों से पुराना नाता है. उन्हें सुर्खियां बटोरना बखूबी आता है. ऐसे में कंगना द्वारा विवाद को बढ़ाकर खुद और फिल्म को पब्लिसिटी दिलाने की संभावना से कतई इंकार नहीं किया जा सकता.
इंदिरा गांधी के देश में इमरजेंसी लगाने की कहानी भी बेहद दिलचस्प है. दरअसल, इंदिरा गांधी के खिलाफ रायबरेली से चुनाव हारने वाले समाजवादी नेता राज नारायण से चुनाव नतीजे को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस जगमोहन लाल सिन्हा की बेंच ने इंदिरा गांधी को न सिर्फ कोर्ट में तलब कर लिया था, बल्कि उनके निर्वाचन को भी रद्द कर दिया था. कोर्ट के इस फैसले के बाद सरकार पर सियासी संकट आने से ही इंदिरा ने देश में इमरजेंसी लगाने का फैसला किया था.
कंगना का सियासत से सीधे तौर पर कोई वास्ता नहीं है
वैसे तो कंगना का सियासत से सीधे तौर पर कोई वास्ता नहीं है, लेकिन कभी परदे के पीछे से तो कभी इशारो में सियासी तीर चलाने का मौका वह कभी छोड़ती भी नहीं हैं. वह जितनी बेहतरीन अदाकारा हैं, उससे कम परख उन्हें सियासत की नहीं है. बीजेपी की सियासी पिच पर बैटिंग करना उन्हें ज़्यादा रास आता है. महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली सरकार और उसमे शामिल पार्टियों को उन्होंने कई बार परेशान किया है. कहा जा सकता है कि फिल्म इंडस्ट्री कंगना का पैसन है तो सियासत उनकी मंज़िल. यूपी में विधानसभा के चुनाव जल्द होने वाले हैं, ऐसे में कंगना रनौत के प्रयागराज और वाराणसी दौरे को फिल्म के साथ ही सियासी चश्मे से देखना कतई गलत भी नहीं होगा. अब देखने वाली बात यह होगी कि कंगना का दौरा और उनकी इमरजेंसी फिल्म कांग्रेस पार्टी को कितनी चोट देती है और बीजेपी के पक्ष में किस तरह का माहौल बनाती है. जो कुछ भी होगा, वह भविष्य के गर्भ में है, लेकिन यह ज़रूर कहा जा सकता है कि एक बेहद विवादित विषय को उठाकर कंगना रनौत सुर्खियां बटोरते हुए अपना उल्लू साधने में ज़रूर कामयाब होती नज़र आ रही हैं.


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