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भोपाल (आईएएनएस)| मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले सियासी तकरार तेज हो चली है। कांग्रेस ने सीडी, व्यापमं और भ्रष्टाचार को लेकर सत्ताधारी भाजपा को घेरना शुरू कर दिया है तो वहीं भाजपा भी आक्रामक मुद्दे में कांग्रेस से सवाल पूछ रही है।
नया साल शुरू होने के साथ कांग्रेस के तेवरों में तेजी से बदलाव आ रहा है, इसकी शुरूआत नए साल के पहले ही दिन से हो गई जब कांग्रेस ने नया साल नई सरकार की होर्डिग और बैनर राजधानी की सड़कों पर पाट दिए। इनमें कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमल नाथ को भावी मुख्यमंत्री बताया गया। उसके बाद से तो कांग्रेस ने शिवराज सरकार पर हमले तेज कर दिए हैं। कांग्रेस के निशाने पर भाजपा नेता व संघ के कार्यकर्ता तक हैं।
कांग्रेस ने सत्ताधारी दल को घेरने के लिए नेताओं की अश्लील सीडी, व्यापमं घोटाला और राज्य सरकार के एक दर्जन से ज्यादा मंत्रियों के भ्रष्टाचार की पोल खोल को मुद्दा बनाया है।
भारतीय जनता पार्टी और शिवराज सरकार को घेरने की शुरूआत नेता प्रतिपक्ष डॉक्टर गोविंद सिंह के सीडी वाले बयान से हुई है जिसमें उन्होंने दावा किया है कि उनके पास ऐसी अश्लील सीडी है जिसमें भाजपा के कई नेताओं की कलई खुल जाएगी, उसके बाद गोविंद सिंह ने व्यापमं मामले में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह द्वारा दर्ज कराई गई एफआईआर की मूल प्रति भी मांग की है।
वहीं कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी ने खुले तौर पर आरोप लगाया है कि शिवराज सरकार के 15 मंत्रियों के भ्रष्टाचार का ब्यौरा कांग्रेस के पास है।
ज्ञात हो कि राज्य की सियासत में हनीट्रैप ने जमकर हलचल मचाई थी और इसकी आंच कई नेताओं तक पर आई थी, अब एक बार फिर सीडी का जिन्न बाहर आ रहा है।
कमल नाथ ने भी इस बात का दावा किया है कि जब वह मुख्यमंत्री थे तब उन्होंने यह सीडी देखी थी और जांच के लिए पुलिस अधिकारियों को दी थी। इसके अलावा दिग्विजय सिंह ने व्यापमं को लेकर जो शिकायत की है उसमें आरोप लगाया गया है कि व्यापमं घोटाले में भाजपा नेता, मंत्रियों, कार्यकर्ता भी शामिल हैं। दिग्विजय सिंह की शिकायत पर आठ साल बाद मामला दर्ज हुआ है।
भाजपा की ओर से कांग्रेस के आरोपों को हवा हवाई बताया जा रहा है। साथ ही संवैधानिक पदों पर काबिज नेताओं पर साक्ष्यों से खिलवाड़ करने का भी आरोप लगाया गया है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा कांग्रेस नेताओं को खुली तौर पर चुनौती दे चुके हैं कि अगर उनके पास यह सीडी है तो वे उसे सामने लाएं।
उनका कहना है कि गोविंद सिंह और कमल नाथ दोनों ही संवैधानिक पदों पर हैं और वह ऐसे मामलों के साक्ष्यों से खिलवाड़ कर रहे हैं जो न्यायालय में प्रक्रियाधीन हैं। सवाल उठता है कि जो मामला न्यायालय में है उसके साक्ष्यों को इन दोनों नेताओं ने अपने पास कैसे रखा है? इस बात को ध्यान में रखकर जांच एजेंसियों को दोनों नेताओं के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि चुनाव करीब आते ही एक दूसरे को घेरने की मुहिम तेज हो गई है और जिस तरह से भाजपा और सरकार पर आरोप लगाए जा रहे हैं उसमें तो शक यहां तक भी होता है कि कांग्रेस नेताओं को भाजपा से जुड़े हुए कुछ लोग ही उकसाने के काम में लग गए हैं।
यही कारण है कि व्यापमं की आठ साल पुरानी शिकायत पर मामला दर्ज हुआ और अब सीडी को हवा दी जा रही है।
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