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मंगेतर ने काटा युवती का गला, वजह हैरान करने वाली

Admin2
9 April 2021 3:06 PM GMT
मंगेतर ने काटा युवती का गला, वजह हैरान करने वाली
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सनसनीखेज मामला

नालंदा जिले के थाना क्षेत्र के द्वारिका बिगहा गांव में हाथ-पैर बांधकर बदमाशों ने युवती का गला काट दिया। लाश को गांव से थोड़ी दूर पर भूसे के ढेर में छिपा दिया। शुक्रवार की सुबह लाश बरामद होते ही सनसनी मच गयी। मृतका की पहचान अशोक चौहान की 19 वर्षीया पुत्री खुशबू कुमारी के रूप में की गयी है। दरअसल, खुशबू की शादी नूरसराय थाना क्षेत्र के नीरपुर गांव निवासी सदाशिव चौहान के पुत्र आजाद कुमार से तय हुई थी। 20 जून को शादी होने वाली थी। 17 फरवरी को छेका की रस्म हुई थी। मृतका के पिता का आरोप है कि लड़के को लड़की पसंद नहीं थी। इसी वजह से उसने फोन कर घर से बुलाया और खुशबू की हत्या कर दी। सूचना पाकर पहुंची पुलिस ने शव को जब्त कर लिया। पोस्टमार्टम के बाद शव परिजन के हवाले किया गया है।

मृतका के पिता ने बताया कि वह बिहारशरीफ के केएसटी कॉलेज में पार्ट वन में पढ़ती थी। लड़का पटना में रहकर पढ़ाई करता था। छेका होने के बाद लड़का अक्सर फोन कर मिलने के लिए बुलाता था। खुशबू अपनी चाची मंजू देवी के साथ सोती थी। बुधवार की रात 10 बजे खुशबू घर से निकली थी। परिजन का आरोप है कि आजाद ने ही फोन कर उसे मिलने के लिए बुलाया होगा। खुशबू चाची का मोबाइल लेकर निकली थी। युवती की हत्या अमरौरा गांव के पास खेत में की गयी है। लाश को बृजनंदन प्रसाद के खलिहान में भूसे की ढेर में छिपाया गया था। सुबह भूसे से लाश बरामद की गयी। उसके हाथ और पैर बंधे हुए थे। गला काटकर हत्या की गयी थी। शव मिलते ही शोर मचा। इसके बाद ग्रामीणों ने परिजन को लाश मिलने की खबर दी गयी।

परिजन का आरोप है कि छेका में लड़के के कुछ दोस्त आये थे। उन्होंने ही लड़के को बताया था कि लड़की दुबली-पतली और नाटी है। इसी वजह से उसने हत्या कर दी। थानाध्यक्ष चंदन कुमार ने बताया कि मृतका के परिजन होने वाले पति पर हत्या का आरोप लगा रहे हैं। मामले की जांच के लिए खोजी कुत्ता मंगवाया गया है। पुलिस सभी बिंदुओं को सामने रखकर छानबीन कर रही है। इस मामले में कई सवाल पैदा हो रहे हैं। अगर लड़के को लड़की पसंद नहीं थी तो मिलने के लिए क्यों बुलाता था। रात को परिजन लड़की को घर से बाहर क्यों निकलने देते थे। लड़का शादी से इनकार कर सकता था, फिर उसने हत्या क्यों की। ऐसे कई सवाल अनसुलझे हैं। ग्रामीण भी इस संबंध में कुछ बताने से परहेज कर रहे हैं।

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