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नई दिल्ली: राजस्थान (Rajsthan) के दौसा जिले के लालसोट में डॉ अर्चना शर्मा (Archana Sharma) की आत्महत्या का मामला मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया. सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर देश भर के सभी राज्यों में डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए नीतियां बनाने की मांग की गई है. वकील शशांक देव सुधि ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की है. वहीं, इस आत्महत्या मामले में शनिवार को राजस्थान में चिकित्सकों ने हड़ताल की. शनिवार को निजी और सरकारी अस्पतालों के चिकित्सकों की हड़ताल के चलते राज्यभर में चिकित्सा सेवाएं ठप्प रहीं.
लालसोट की डॉ. अर्चना शर्मा आत्महत्या मामले में तीन पुलिसकर्मियों सहित छह आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाने) के तहत मामला दर्ज करने की मांग को लेकर चिकित्सक संघों ने शनिवार को राज्यभर में स्वास्थ्य सेवाओं को बंद करने का आह्वान किया था. चिकित्सकों की हड़ताल रविवार को भी जारी रही.
लालसोट में एक निजी अस्पताल की महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. अर्चना शर्मा ने 29 मार्च को कथित तौर पर फंदे से लटककर आत्महत्या कर ली थी. डॉ. शर्मा के खिलाफ सोमवार को उनके निजी अस्पताल में एक गर्भवती की मौत के बाद इलाज में लापरवाही बरतने का मामला दर्ज किया गया था. राज्य भर में सभी निजी अस्पताल और नर्सिंग होम बंद रहे, जबकि सरकारी चिकित्सकों ने बाह्य रोगी विभाग (OPD) कार्य का बहिष्कार किया. निजी अस्पतालों में आपातकालीन सेवाएं भी बंद रहीं.
अखिल राजस्थान सेवारत चिकित्सा संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अजय चौधरी ने का था, ''हमारा विरोध मांगें पूरी होने तक जारी रहेगा. हम डॉ. अर्चना शर्मा के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 302 के तहत मामला दर्ज करने वाले पुलिस अधिकारी को गिरफ्तार करने की मांग कर रहे हैं.''
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने चिकित्सक द्वारा आत्महत्या किए जाने पर दुख जताते हुए बुधवार को कहा कि इस मामले की गंभीरता से जांच की जा रही है और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा. राजस्थान के दौसा जिले के लालसोट कस्बे में एक महिला चिकित्सक ने मंगलवार को कथित तौर पर फंदे से लटककर आत्महत्या कर ली. गहलोत ने ट्वीट किया था, ''दौसा में डॉ. अर्चना शर्मा की आत्महत्या की घटना बेहद दुखद है. हम सभी डॉक्टरों को भगवान का दर्जा देते हैं. हर डॉक्टर मरीज की जान बचाने के लिए अपना पूरा प्रयास करता है, लेकिन कोई भी दुर्भाग्यपूर्ण घटना होते ही डॉक्टर पर आरोप लगाना न्यायोचित नहीं है.''
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