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पूर्व पत्नी को बच्ची के साथ अमेरिका जाने की अनुमति, सुप्रीम कोर्ट जाएंगे पिता, जानें पूरा मामला
jantaserishta.com
11 Feb 2023 9:42 AM GMT
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उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ बच्ची के पिता और उसके परिजन सुप्रीम कोर्ट में अपील करने की योजना बना रहे हैं।
नई दिल्ली (आईएएनएस)| एक मां को अपनी छह साल की बेटी को उसके दूसरे पति के साथ अमेरिका ले जाने की अनुमति देने के दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ बच्ची के पिता और उसके परिजन सुप्रीम कोर्ट में अपील करने की योजना बना रहे हैं।
न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने पिछले सप्ताह एक फैसले में कहा कि बच्चे को अपनी मां से अत्यधिक लगाव है और मां के साथ रहना उसके कल्याण में ही होगा।
पिता ने आईएएनएस से कहा, "इस अमानवीय आदेश से मैं और मेरे परिवार के सदस्य स्तब्ध हैं। हम कई सालों से अपनी बेटी की भलाई के लिए लड़ रहे हैं और इस आदेश से मेरी वर्षों की मेहनत बेकार हो गई है।"
बच्ची के पिता इस आधार पर बच्ची की कस्टडी की मांग की थी कि अमेरिका में उसका स्थानांतरण उसके कल्याण में नहीं होगा और उसे अपने देश में रहने की अनुमति दी जानी चाहिए।
पिता ने कहा, "मैं प्रार्थना करता हूं कि दुनिया में किसी भी बच्चे या माता-पिता को इस तरह की परीक्षा से नहीं गुजरना पड़े। कोई भी विकसित देश ऐसे कारणों से स्थायी अंतरराष्ट्रीय स्थानांतरण की अनुमति नहीं देता है।"
उन्होंने आगे कहा कि अमेरिका जैसे देश में, जहां उनकी पूर्व पत्नी स्थानांतरित हो रही है, माता-पिता को सेपरेशन या तलाक के बाद 10 मील के दायरे में रहना पड़ता है, ताकि बच्चे को माता-पिता दोनों का प्यार मिल सके।
न्यायमूर्ति पल्ली ने कहा था, "इस अवस्था में बच्चे का अपनी मां से अलग होना, उसके लिए चिंता का कारण बन सकता है, जिससे निश्चित रूप से बचने की आवश्यकता है।"
हाईकोर्ट ने कहा कि जब बच्ची अमेरिका चली जाएगी, तो वह अपने पिता के साथ वीडियो कॉल के जरिए नियमित रूप से बातचीत कर सकेगी।
पिता ने कहा, "हर कोई जानता है कि एक लड़की हमेशा पिता से अधिक जुड़ी होती है। इस आदेश से मेरी बेटी के साथ-साथ मेरे भी मूल अधिकार छीन लिए गए हैं।"
उन्होंने कहा कि उन्होंने यह दिखाने के लिए रिकॉर्ड पर एक वीडियो भी रखा है कि बच्ची उनसे कितना जुड़ी हुई है, लेकिन 'अन्य सभी सबूतों की तरह, इस पर भी विचार नहीं किया गया है।'
यह दावा करते हुए कि उनकी पूर्व पत्नी द्वारा बच्चे की उपेक्षा के उदाहरणों पर भी अदालत ने विचार नहीं किया है, पिता ने कहा कि वह अब शीर्ष अदालत में दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ अपील करेंगे।
2013 में शादी करने वाले इस जोड़े ने 2018 में आपसी सहमति से तलाक ले लिया, इस बात पर सहमति जताते हुए कि मां के पास बच्चे की कस्टडी होगी, पिता के पास मुलाकात का अधिकार होगा।
बच्ची का जन्म 2017 में हुआ था। पिता ने 2020 में दूसरी शादी की थी, जबकि मां ने 2021 में दोबारा शादी की।
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