भारत

पिता, मां, बहन और भांजी की चाकू से गोदकर निर्मम हत्या, आरोपी को मिली बड़ी राहत

jantaserishta.com
10 July 2024 3:24 AM GMT
पिता, मां, बहन और भांजी की चाकू से गोदकर निर्मम हत्या, आरोपी को मिली बड़ी राहत
x
चाकू के 85 निशान पाये गये थे।
नैनीताल: उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने अपने पिता, सौतेली मां और बहिन और भांजी की चाकू से गोद कर निर्मम हत्या करने वाले अभियुक्त की फांसी की सजा को मेडिकल आधार पर गैर इरादतन हत्या में बदल दिया है। इससे साफ है कि उच्च न्यायालय के आदेश के बाद अभियुक्त लगभग दस साल की सजा काटने के बाद जेल से बाहर आने के लिये स्वतंत्र हो गया है। इस मामले में न्यायमूर्ति ऋतु बाहरी और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की युगलपीठ में सुनवाई हुई और पीठ ने विगत चार जुलाई को इस मामले में निर्णय सुरक्षित रख लिया था और आज (मंगलवार को) अदालत ने अपना निर्णय सुनाया।
वाकया लगभग दस साल पहले का है। गत 23 अक्टूबर, 2014 को दीपावली की रात को देहरादून के आदर्श नगर में हरप्रीत ने पिता जय सिंह, सौतेली मां कुलवंत कौर, गर्भवती बहन हरजीत कौर और भांजी सुखमणि की सोते हुए निर्मम हत्या कर दी थी। मृतकों के शरीर पर चाकू के 85 निशान पाये गये थे।
तब आरोप लगाया गया कि हरप्रीत ने संपत्ति के विवाद में अपने परिजनों को मौत के घाट उतार दिया। आदर्श नगर पुलिस ने मामला दर्ज कर आरोपी को जेल भेज दिया था तथा देहरादून के अपर जिला जज (पंचम) आशुतोष मिश्रा की अदालत ने पांच अक्टूबर, 2021 को इस घटना को जघन्य करार देते हुए हरप्रीत को फांसी की सजा सुनाने के साथ ही एक लाख रुपये का जुर्माना लगा दिया था।
साथ ही अदालत ने फांसी की सजा को पुष्टि के लिये उच्च न्यायालय भेज दिया था। आज निर्णय जारी करते हुए मुख्य न्यायाधीश की अगुवाई वाली युगलपीठ ने साक्ष्यों के आधार पर हरप्रीत की फांसी की सजा को गैर इरादन हत्या में बदल दिया। अपीलकर्ता की ओर से अधिवक्ता मनीषा भंडारी की ओर से कहा गया कि अभिुयक्त मानसिक रूप से बीमार है और निचली अदालत की ओर से इस तथ्य की अनदेखी की गयी है।
पीठ ने मेडिकल परीक्षण की रिपोर्ट के आधार पर गैर इरादन हत्या मानते हुए फांसी की सजा को भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 304 में बदल दिया। इस सजा के तहत अधिकतम दस साल की सजा का प्रावधान है। अभियुक्त अधिकतम 10 साल की सजा जेल में रहते हुए काट चुका है।
Next Story