भारत

हेलिकॉप्टर हादसे में पिता की गई जान, ब्रिगेडियर की बेटी की किताब की मांग में भारी इजाफा

jantaserishta.com
11 Dec 2021 9:22 AM GMT
हेलिकॉप्टर हादसे में पिता की गई जान, ब्रिगेडियर की बेटी की किताब की मांग में भारी इजाफा
x

'SOLD OUT'... ये बोर्ड लगा है उस दुकान पर जहां हेलिकॉप्टर हादसे (Helicopter crash) में जान गंवाने वाले ब्रिगेडियर एल एस लिड्डर (Brigadier Lidder) की बेटी आशना लिड्डर (Brigadier Lidder daughter) की लिखी किताब बिक रही थी. 8 दिसंबर को तमिलनाडु के कुन्नूर में हुए हादसे में ब्रिगेडियर एल एस लिड्डर के निधन के बाद उनकी 17 साल बेटी की लिखी किताब धड़ाधड़ बिक रही है. पिछले 4 दिन में ये किताब इतनी बिकी कि आउट ऑफ स्टाक हो गई.

इस त्रासदी के समय में ब्रिगेडियर लखविंदर सिंह लिड्डर की 17 वर्षीय बेटी आशना लिड्डर द्वारा दिखाए गए धैर्य और दृढ़ संकल्प ने कई लोगों की आंखें नम कर दी हैं. संयोग से उनकी लिखी किताब, "इन सर्च ऑफ ए टाइटल", की पिछले कुछ दिन में डिमांड काफी बढ़ गई है. इस किताब में एक किशोरी के अनुभवों, उसके चिंतन और सीखने की यात्रा का वर्णन है. ये किताब अब दुकानों में मिल नहीं रही है.
आशना के प्रकाशक पब्लिशिंग क्रिएटिव क्रोज ने कहा कि अचानक से उनकी किताबों की मांग काफी बढ़ गई है. अब हम इसकी और कॉपियां प्रकाशित कर रहे हैं. 250 कॉपियां तो पहले ही बिक चुकी हैं. कई तरफ से लोग इस किताब के लिए आ रहे हैं और हमने प्रकाशन का काम शुरू कर दिया है.
ये परिवार इस वक्त कैमरे से दूर एकांत में शोक मना रहा है. परिवार के एक मित्र ने कहा कि ब्रिगेडियर लखविंदर सिंह लिद्दर की पत्नी गीतिका अपनी बेटी से कहती रहती है, "मुझे देखो, क्या मैं रो रही हूं? गीतिका आशना से कहती हैं कि आपको अपने पिता की तरह मजबूत होना चाहिए.
आशना लिड्डर इस वक्त 12वीं में पढ़ती हैं और बोर्ड परीक्षाओं की तैयारी कर रही हैं. एक मित्र जो कि उसके घर में मौजूद था, उन्होंने कहा कि हालांकि घर में गम और तनाव का माहौल है, लेकिन आशना को उनकी नानी ने कहा कि आपको ऑनलाइन क्लासेज लेनी चाहिए और अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए.
आशना का अपने पिता से खास लगाव था. आखिरकार वह इकलौती संतान जो हैं. वो मानती हैं "उनके पिता के लाड़ प्यार ने थोड़ा ज्यादा लाडली बना दिया था. हाल ही में सोशल मीडिया पर सामने आए एक वीडियो में आशना को अपने पिता के बारे में गर्व से अपने पिता के बारे में बात करते हुए देखा गया है. इसमें आशना कहती हैं कि उसकी जिंदगी के पंद्रह साल में, उसके पिता ने 7 बार उसके जन्मदिन को मिस किया.
आशना की पब्लिशर गानिव चड्ढा ने कहा कि कुछ ही दिन पहले ब्रिगेडियर लिड्डर ने अपनी जिंदगी में दो मील के पत्थर हासिल किए. हाल ही में ब्रिगेडियर लिड्डर और उनकी पत्नी ने अपनी शादी की सिल्वर जुबली समारोह मनाया था. इस कार्यक्रम में उन्होंने कहा, "मैंने 25 साल तक गीतिका का नेतृत्व किया है, लेकिन अगले 25 साल मैं उनके नक्शेकदम पर चलूंगा"
गानिव चड्ढा ने बताया कि ब्रिगेडियर लिड्डर अपनी बेटी की किताब को जल्द से जल्द प्रकाशित कराना चाहते थे. दिवाली की तारीख तय की थी. लेकिन गीतिका और आशना ने इसे थैंक्सगिविंग डे पर फिक्स किया. थैंक्सगिविंग डे वो तारीख थी जब सात साल बाद ब्रिगेडियर लिड्डर और गीतिका के घर आशना ने जन्म लिया था.
आशना के कुछ दोस्तों से बात की. निनाद सिंह शेखावत का कहना है कि वह सबसे मजबूत और खुशमिजाज लड़की है. वह दयालु है और दूसरों के प्रति विचारशील है. वह एक मेधावी छात्रा है और पढ़ने के अलावा उनकी कई चीजों में रुचि है. हाल ही में प्रकाशित उनकी किताब बेस्ट सेलर है.
कबीर चौधरी आशना के एक करीबी दोस्त हैं. उन्होंने कहा कि वह सचमुच में जरूरत के समय मदद करने वाली दोस्त हैं. मैंने हमेशा कठिन परिस्थितियों में भी उसकी मुस्कान देखी है. यह शायद उसका सबसे कठिन वक्त है, लेकिन मुझे पता है कि उसकी मुस्कान लौटेगी. मुझे उसके जैसा दोस्त पाकर बहुत गर्व है.
Next Story