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करनाल में अपनी मांगों पर अड़े हैं किसान, मोबाइल इंटरनेट-SMS सेवा रात 12 बजे तक ठप, जानें क्यों है यह प्रदर्शन
Renuka Sahu
9 Sep 2021 3:50 AM GMT
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फाइल फोटो
आईएएस अधिकारी आयुष सिन्हा के निलंबन और मृतक किसान के परिवार को 25 लाख रुपये मुआवजे की मांग को लेकर करनाल में किसानों का प्रदर्शन जारी है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। आईएएस अधिकारी आयुष सिन्हा के निलंबन और मृतक किसान के परिवार को 25 लाख रुपये मुआवजे की मांग को लेकर करनाल में किसानों का प्रदर्शन जारी है। करनाल में जिस तरह से किसान डटे हैं, उसे देखते हुए प्रशासन ने सख्त कदम उठाया है और आज रात 12 बजे तक मोबाइल इंटरनेट और एसमएस सेवा पर बैन लगा दिया है। बता दें कि बुधवार को किसान नेताओं व जिला प्रशासन के बीच वार्ता विफल हो गई। किसानों ने करनाल लघु सचिवालय के बाहर अनिश्चितकालीन धरना शुरू करने का ऐलान किया है।
हरियाणा के गृह विभाग की ओर से जारी आदेश के मुताबिक, करनाल में किसानों के आंदोलन के मद्देनजर हरियाणा सरकार ने "गलत सूचना के प्रसार को रोकने के लिए" जिले में मोबाइल इंटरनेट और एसएमएस सेवाओं को निलंबित कर दिया है। यह आदेश आज रात 11:59 बजे तक प्रभावी रहेगा।
किसान नेताओं और पुलिस-प्रशासन के बीच सवा तीन घंटे में दो दौर की वार्ता हुई। पहले दौर की वार्ता में डीसी निशांत यादव व एसपी गंगाराम पूनिया ने प्रशासनिक टीम का नेतृत्व किया और दूसरे दौर में रेंज कमिश्नर की अगुवाई में बातचीत हुई। किसान नेता राकेश टिकैत ने बैठक के बाद कहा कि प्रशासनिक टीम ने हर आधे घंटे बाद चंडीगढ़ बात की मगर ऐसा कोई सुझाव या प्रस्ताव नहीं आया, जिस पर सहमति बन सके। उनकी मांग है कि अधिकारी आयुष सिन्हा पर केस दर्ज कर निलंबित किया जाए। मगर सरकार ऐसा करने के लिए तैयार नहीं है। उन्होंने कहा कि जब तक सरकार उनकी मांगों को नहीं मान लेती करनाल सचिवालय के बाहर धरना जारी रहेगा।
योगेंद्र यादव ने कहा कि आयुष सिन्हा ने जो कार्य किया है वह निंदनीय है, उनके खिलाफ हत्या का केस दर्ज होना चाहिए। मगर सरकार उसका बचाव कर रही है। गौरतलब है कि प्रशासन की तरफ से निमंत्रण मिलने के बाद दोपहर दो बजे किसान नेता राकेश टिकैत, गुरनाम चढूनी, योगेंद्र यादव और सुरेश कौथ समेत 11 किसान नेता प्रशासन से वार्ता के लिए पहुंचे थे। इससे पहले किसानों ने निर्मल कुटिया और जाट भवन होकर सचिवालय जाने वाले रास्ते पर लगाए बैरिकेड हटवा दिए।
सचिवालय में प्रवेश पर लगाई थी रोक
किसानों ने बुधवार की सुबह किसी भी अधिकारी को लघु सचिवालय में प्रवेश न करने देने का प्रयास किया था। प्रशासन की तरफ से भी अभी तक आमजन व कर्मचारियों के कामकाज को लेकर कोई दिशा-निर्देश जारी नहीं किए गए थे। सचिवालय के कार्यालयों में रोजाना करीब पांच हजार लोग पहुंचते हैं। स्थिति को देखते हुए अपील की गई कि कामकाज के लिए जरूरी न हो तो आम लोग न आएं।
क्यों कर रहे किसान आंदोलन
28 अगस्त को पुलिस ने बसताड़ा टोल प्लाजा पर किसानों पर लाठीचार्ज किया था। पुलिस लाठीचार्ज में घायल हुए करनाल के रायपुर जाटान गांव के किसान सुशील काजल की मौत हो गई थी। इसके विरोध में किसानों ने 7 सितंबर को करनाल अनाज मंडी में महापंचायत की। 30 अगस्त को भाकियू ने घरौंडा अनाज मंडी में महापंचायत करके हरियाणा सरकार से तीन मांगें रखी थीं। साथ ही महापंचायत और लघु सचिवालय का घेराव करने की घोषणा की थी। 6 सितंबर को प्रशासन ने बातचीत के लिए किसानों को बुलाया, लेकिन बात नहीं बनी।
मंगलवार को महापंचायत हुई और किसानों का जमावड़ा देखते हुए संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं को प्रशासन ने बातचीत का न्योता भेजा। दोपहर में राकेश टिकैत, गुरनाम चढ़ूनी, योगेंद्र यादव व दर्शनपाल आदि के नेतृत्व में 15 सदस्यीय कमेटी लघु सचिवालय पहुंची। 3 दौर की वार्ता के दौरान किसान नेता सिर फोड़ने का आदेश देने वाले तत्कालीन एसडीएम आयुष सिन्हा के निलंबन पर अड़ गए, लेकिन सरकार इसके लिए तैयार नहीं हुई। इसके बाद बलबीर सिंह राजेवाल के आदेशों के बाद किसानों ने लघु सचिवालय की ओर कूच किया।
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