भारत

किसान आंदोलन: गीजर, वॉशिंग मशीन, और मूवी स्क्रीनिंग तक का है इंतजाम, किसान अड़े

jantaserishta.com
16 Dec 2020 4:45 AM GMT
किसान आंदोलन: गीजर, वॉशिंग मशीन, और मूवी स्क्रीनिंग तक का है इंतजाम, किसान अड़े
x

सिंघु बॉर्डर सिंघु बॉर्डर पर नए कृषि कानून के खिलाफ पंजाब-हरियाणा से आए किसानों के प्रदर्शन लगातार जारी है। यहां बड़ी तादाद में किसान मौजूद हैं और आंदोलन कमजोर पड़ता महसूस नहीं हो रहा है। धरनास्थल पर बैठे लोगों में अब भी वही जज्बा और जोश दिख रहा है। पिछले 15 दिनों से बॉर्डर पर बैठे किसानों को देखकर लगता है उनका घर यही है। किसानों की धरना स्थल पर भी आम दिनों की तरह ही दिनचर्या है। सुबह नहाने-धोने के बाद वे धूप में बैठ जाते हैं और अखबार पढ़ते हैं। खबरों पर चर्चा भी होती है। धरना प्रदर्शन से संबंधित कौन-कौन सी खबरें अखबारों की सुर्खियां बन रही हैं इस पर बहस भी होती है तो वहीं रात में पंजाबी फिल्मों और गीतों का माहौल रहता है। बॉर्डर पर बैठ किसान लंबे समय तक यहां डटे रहने के लिए तैयार हैं और इसके लिए किसानों ने किए बॉर्डर खास इंताजम, देखिए...

सिंघु बॉर्डर पर पिछले 12 दिनों से धरना-प्रदर्शन कर रहे किसानों की रात यहां अब बेहद खास होने लगी है। शुरुआती दिनों में यहां ना तो किसानों के बैठने की व्यवस्था थी, ना ही रहने की। रात के वक्त बेहद अंधेरे में डूबा रहने वाला सिंघु बॉर्डर अब जेनरेटर की लाइटों से स्टेज के आसपास जगमग नजर आने लगती है। ट्रैक्टर-ट्रॉलियों के ऊपर टिमटिमाती एलईडी लाइटें घने अंधेरे के बीच बेहद सुंदर दिखाई देती हैं, मानो कोई दीया हो। प्रदर्शन के शुरुआती दिनों में यहां ना तो स्टेज था, ना ही टेंट, दरी या कारपेट। लेकिन अब धीरे-धीरे सब कुछ दिखाई देता है। मंगलवार को यहां ऊंचा-सा स्टेज देखने को मिला। इससे पहले सोमवार रात यहां पर एक बड़े स्क्रीन पर गुरु गोविंद सिंह जी के चार शाहिबज़ादे के जीवन पर आधारित फिल्म 'चार शहज़ादे' दिखाई जा रही थी।
रात 8 बजे रहे थे, बड़े-बड़े लाउडस्पीकर और साउंड की आवाजें बंद हो चुकी थीं। स्टेज पर ना तो कोई अब भाषण दे रहा था, ना ही नारेबाजी कर रहा था। स्टेज के आसपास मौजूद हजारों किसान रजाई और कंबल ओढ़े हुए फिल्म देख रहे थे। बीच-बीच में लोग गुरु गोविंद सिंह जी के जयकारे लगाते दिखाई दिए। कई जगह लोग ग्रुप में पंजाबी लोकगीत गा रहे थे। हाथों में थपली लिए सुर में गाते किसान अपना मनोरंजन कर रहे थे। आसपास खड़े लोग तालियां बजाकर इसमें सहयोग दे रहे थे। लोकगीत गा रहे समूह में शामिल जगप्रीत ने बताया कि रात का खाना खाने के बाद किसान कुछ इसी तरीके से सोने से पहले अपना मनोरंजन करते हैं। अब रात के वक्त स्क्रीन पर सिख धर्म से संबंधित फिल्में भी दिखाई जा रही हैं, आज यह पहली फिल्म लगाई गई है। किसानों ने बताया कि दिन हो या रात, अब उन्हें किसी चीज की परवाह नहीं। दिन में लोग यहां अपनी सेवा देते हैं, लोगों की सेवा करते हैं। शाम को मनोरंजन के लिए लोकगीत और गुरुओं पर आधारित फिल्म भी दिखाई जाती है। यह सब करने के बाद दिन की थकावट ही खत्म हो जाती है और एक अगली सुबह का इंतजार रहता है।
सिंघु बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों को कंपकंपाती ठंड में ठंडे पानी से न नहाना पड़े इसके लिए अब यहां पर कई जगह वॉटर गीजर की व्यवस्था की गई है। साथ ही, कपड़े धोने में कोई असुविधा ना हो इसके लिए कई लोगों ने अपने खर्चे से वॉशिंग मशीनें लगा दी हैं। धरना स्थल के आसपास कई जगहों पर खालसा एड की तरफ से वॉटर गीजर लगाया गया है। इसके अलावा कई जगहों पर कपड़ों की धुलाई के लिए वॉशिंग मशीनें भी लगाई गई हैं। किसानों की सेवा में हर कोई अपना योगदान दे रहा है। लुधियाना से आए प्रिंस ने बताया कि जब वह 27 तारीख नवंबर को यहां पहुंचे थे, तो यहां तक आने में ही कपड़े बहुत ही गंदे हो गए थे। नहाने-धोने के लिए और दूसरे कपड़े भी नहीं थे। इसके लिए उन्हें दोबारा पंजाब जाना पड़ा।
प्रिंस ने कहा कि जब कई दिनों तक सिंघु बॉर्डर पर ही हमें बैठे रहना पड़ा, तो यह बात समझ में आ गई कि अभी लंबे समय तक रहना पड़ेगा। उसी वक्त दिमाग में यह बात आई कि मेरे जैसे और अनगिनत लोग होंगे जिनके पास एक या दो कपड़े ही होंगे। एक ही कपड़ा पहनना लोगों के लिए संक्रमित और बीमारी होने जैसा है। उन्होंने अपने घर में रखा एक वॉशिंग मशीन यहां लाने की सोची, लेकिन इतनी बड़ी तादाद में एक मशीन भला कितने लोगों का कपड़ा धो सकती थी। ऐसे में उन्होंने बाजार से जाकर एक और नई वॉशिंग मशीन खरीदी और दोनों ही वॉशिंग मशीन लेकर दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर पहुंच गए। अब वे पिछले तीन दिनों से लगातार कई घंटे तक बारी-बारी से वॉशिंग मशीन को चलाते हैं और लोगों के कपड़े धोकर उन्हें पहनने के लिए देते हैं। इसके एवज में ना तो वह किसी से रुपए लेते हैं और ना ही सर्फ-साबुन के दाम। वे कहते हैं कि लोगों की सेवा सबसे बड़ी सेवा है। उनके साथ कई और दोस्त भी अब जुड़ चुके हैं। इससे बुजुर्ग और महिलाओं को काफी आसानी होती है। हालांकि कई गुरुद्वारा कमेटी और दूसरे लोगों के तरफ से भी कई जगहों पर अब वॉशिंग मशीन और गर्म पानी करने के लिए व्यवस्था की गई है।
प्रदर्शन कर रहे किसानों में बड़ी तादाद में युवा भी हैं। वे सोशल मीडिया, मोबाइल इंटरनेट, ई-मेल आदि दूसरी टेक्नॉलजी से जुड़े हुए हैं। ऐसे में मोबाइल का स्ट्रॉन्ग नेटवर्क होना बेहद जरूरी है। मगर एक ही जगह बहुत अधिक मोबाइल एक्टिव होने की वजह से भी नेटवर्क की समस्या रहती है। इन समस्याओं से निपटने के लिए प्रदर्शन की जगह पर कई वाई-फाई पॉइंट बनाए गए हैं। इसका इस्तेमाल कर किसान अपने परिवार के लोगों से विडियो कॉलिंग, सोशल मीडिया पर अपनी पोस्ट और दूसरी खबरों को देखने के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। धरना स्थल पर कई जगह पोस्टर पर वाई-फाई यूजर आईडी और पासवर्ड लिखे गए हैं। कई दिनों से डटे किसानों के लिए मोबाइल चार्जिंग भी एक बड़ी समस्या है, इससे निपटने के लिए भी कई किसानों ने अपनी ट्रैक्टर पर सोलर पैनल लगा लिया है। इसमें एक बड़ा बैट्री और इन्वर्टर भी एक्टिव है। इसके सहारे रात में लाइट की व्यवस्था की जाती है।
प्रदर्शनकारियों में कई किसानों के बच्चे भी शामिल हैं, जो यहां रहकर पढ़ाई भी करते हैं और प्रदर्शन का भी हिस्सा बन रहे हैं। इनकी पढ़ाई जारी है, ऑनलाइन क्लास होने की वजह से वह इन दिनों यहीं से अपनी क्लास भी अटेंड कर रहे हैं। कई बच्चे यहां पर मौजूद हैं जो माता-पिता के साथ प्रदर्शन में पहुंचे हैं। कुछ बच्चों ने किताबें घर पर ही छोड़ दी हैं, जबकि कुछ अपने बस्ते साथ लेकर यहां पहुंचे हैं। सुबह और शाम के समय कई जगह ट्रैक्टर की ट्रॉली में बैठकर बच्चे पढ़ाई करते हुए दिखाई दे देते हैं।
बॉर्डरों पर लंगर सेवा जारी है। पहले किसानों के भोजन की कोई व्यवस्था नहीं थी लेकिन अब लंगर व्यवस्था धीरे-धीरे आगे बढ़ रही है और आज आलम यह है कि कई हजार किसान लंगर का लाभ उठा रहे हैं। शुरुआत में भारतीय किसान यूनियन के कुछ नेता भी किसानों के भोजन को लेकर चिंतित थे। उन्होंने भी किसानों के भोजन का समुचित इंतजाम किया भोजन की व्यवस्था की गई। लंगर व्यवस्था का दायित्व सिख किसानों ने संभाला हुआ है। दरी पर बिठाकर भोजन परोसा जाता है। पानी भी दिया जाता है और वाहेगुरु-वाहेगुरु की गूंज बनी रहती है।
सिंघू बॉर्डर पर किसानों के विरोध-प्रदर्शन के बीच पंजाब यूनिवर्सिटी से आए कुछ स्टूडेंट्स ने लोगों के लिए मिनी लाइब्रेरी खोल दी है। इसमें कई विषयों पर किताबें पढ़ने के लिए रखी गई हैं। खबसे खास हैं- पंजाब का इतिहास, गदर, क्रांतिकारी वीरों की जीवनी, सिख कम्युनिटी का इतिहास सहित दूसरी और किताबें। ये लोगों को अपनी ओर खींच रही हैं। पंजाब के मोगा से आए विकी ने बताया कि वे लोग अपने दोस्तों के साथ यहां पहुंचे थे। साथ में कुछ किताबें भी लेकर आए हैं। किताबों के पढ़ने का शौक ही उन्हें यहां तक खींच लाया है।
ऑल इंडिया यूथ फेडरेशन के सदस्य सुखजिंदर महेश्वरी ने बताया कि हम सभी स्टूडेंट्स कुछ किताबें लेकर आए थे। जब हमने देखा कि प्रदर्शन के दिन यहां बढ़ने लगे हैं, तो क्यों ना लोगों को किताबों से जोड़ा जाए। लोग दिन भर धरना प्रदर्शन पर बैठे रहते हैं। शाम को लाउडस्पीकर बंद होने के बाद जब उनके पास समय होता है, तो वह यहां आकर किताबें पढ़ सकते हैं। हम सभी दोस्तों के पास जितनी भी किताबें थीं, वह अब यहां लाकर रख दी हैं। अब बड़े स्तर पर लोग यहां पढ़ने के लिए पहुंच रहे हैं।
सिंघु बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे लोगों तक मदद पहुंचाने के लिए दिल्ली के कई इलाकों और हरियाणा-पंजाब से यहां पहुंचे युवक दिनभर यहां चलने वाले लंगर में सेवा के लिए मौजूद होते हैं और प्रदर्शन कर रहे किसानों तक खाने पीने का सामान पहुंचाते हैं। बड़ी तादाद में छोटे-छोटे बच्चे भी इन कामों को करते रहते है। खासकर दिल्ली से रोजाना बड़ी तादाद में बच्चे अपने माता-पिता के साथ वहां पहुंचते हैं और लोगों की सेवा करते हैं। कई युवक किसानों तक चाय, पीने के लिए पानी और फल पहुंचाने का काम करते हैं, जिससे कि लोगों को परेशानियों का सामना ना करना पड़े है। लोगों की बढ़ती तादाद को देखते हुए यहां पर भंडारा के लिए बड़े स्तर पर खाना बनाया जाता है। कई जगहों पर रोटी बनाने वाली मशीन भी लगाई गई हैं। खाना बनाने के लिए और खाना परोसने के लिए लोगों की कमी ना हो इस सेवा भाव से युवक यहां पर लोगों की मदद कर रहे हैं। इसी तरह राजधानी के कई इलाकों से हर रोज छोटे-छोटे बच्चे अपने माता-पिता के साथ यहां पर पहुंचते हैं। वे कई जगह सफाई करते हुए भी दिखाई देते हैं।






jantaserishta.com

jantaserishta.com

    Next Story