किसान ने सब कुछ दांव लगाकर बेटों को बनाया पायलट, पढ़े संघर्ष की कहानी
मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के मुरैना जिले के मजदूर पिता अमृतलाल जाटव की कहानी पर यकीन करना मुश्किल है. बुलंद हौंसलों से नसीब के आगे घुटने नहीं टेके और अपने तीन बेटों अजय सिंह जाटव, विजय सिंह और दीपक कुमार को सबकुछ दांव पर लगाकर पायलट बनाया. बड़ा बेटा अजय पिता और मां किरन के साथ इस साल जुलाई में भोपाल शिफ्ट हो गया है. वह ड्रोन और सेम्युलेटर बना रहा है. बीच वाला बेटा विजय बैंगलोर में प्राइवेट कंपनी के एयरबस ए-320 प्लेन पर काम करता है. छोटा बेटा दीपक रायबरेली की राष्ट्रीय उड़ान अकादमी में पायलट की ट्रेनिंग कर रहा है.
अपने पुराने दिनों की यादों को कैप्टन अजय ने बताया कि हम तीनों भाइयों को पायलट बनाना पिता का सपना था. ये सपना पूरा करने के लिए उन्होंने सबकुछ कुर्बान कर दिया. हमें कुछ बनाने के लिए पिता ने दोस्तों, पड़ोसियों और रिश्तेदारों से कर्ज लिया. उन्होंने बताया कि तीनों भाइयों की जन्म मुरैना में हुआ. लेकिन, पिता की आर्थिक अच्छी नहीं थी. चूंकी, पिता मजदूर थे तो फिर परिवार ग्वालियर आ गया. यहां पिता को मजदूरी का काम मिलने लगा और थोड़ी-बहुत बचत होने लगी. पिता ने तीनों बेटों को केंद्रीय विद्यालय में पढ़ाया. उन्होंने इसके लिए भी एजुकेशन लोन लिया. तीनों भाई 2003 से 2012 तक वहीं पढ़े.
अजय ने बताया कि पढ़ाई के बाद जब कॉमर्शियल पायलट बनने का सोचा तो बजट था ही नहीं. पिता ने ट्रेनिंग के लिए केंद्र सरकार के दरवाजे खटखटाए. इस दौरान उन्होंने जबरदस्त स्ट्रगल किया. वे मानसिक रूप से भी परेशान हो गए. लेकिन, आखिरी में केंद्र सरकार से हम तीनों भाइयों को स्कॉलरशिप मिल गई. अजय को 2013, विजय को 2016 और दीपक को 2018 में स्कॉलरशिप मिली. इस तरह उनका सपना साकार हो गया. कैप्टन अजय ने बताया कि वे फिलहाल ड्रोन-एंटी ड्रोन टेक्नोलॉजी और सेम्युलेटर पर काम कर रहे हैं. कैप्टन अजय ने अपने घर में सेम्युलेटर तैयार किया है. उनका कहना है कि देश के फ्लाइंग क्लब सेम्युलेटर की एक यूनिट एक करोड़ रुपये में खरीदते हैं. इसलिए भारत में कमर्शियल पायलट की ट्रेनिंग महंगी है. अगर इसे देश में ही बनाया जाए तो ये ट्रेनिंग सस्ती हो जाएगी. अजय जो सेम्युलेटर बना रहे हैं वह 22 से 25 लाख रुपये में तैयार हो रहा है. इसका काम अंतिम चरणों में है. अजय ने बताया कि इस सेम्युलेटर के लिए भी काफी संघर्ष करना पड़ रहा है. भाई का स्टाइपेंड, पापा के दोस्तों से लिए कर्ज और पुरानी सेविंग से इसे बनाया जा रहा है. अजय ने जो सेम्युलेटर तैयार किया है वह देश में ही मिल रहे कच्चे माल से तैयार किया है.
कैप्टन अजय ने ड्रोन को लेकर डॉक्यूमेंट नागर विमानन महानिदेशालय (DGCA) को भेजे हैं. डीजीसीए से प्रस्ताव को मंजूरी का इंतजार है. अजय का कहना है कि सेम्युलेटर और ड्रोन बनाने के लिए सरकार की मदद लगेगी. इसी मदद से उपकरण के लिए कच्चा माल और दूसरे उपकरण की खरीदारी हो सकेगी. इस प्रोजेक्ट के पास होने से दस हजार से ज्यादा लोगों को रोजगार मिलेगा. कैप्टन अजय ने प्रोजेक्ट में सरकारी मदद के लिए केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया से दिल्ली में मुलाकात की.अजय का कहना है कि हमारे प्रोजेक्ट को बेहतर रिस्पांस मिला.