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गाजीपुर बॉर्डर पर फ्लाइंग सिख मिल्खा सिंह की याद में किसान मजदूरो ने मैराथन का आयोजन किया

Renuka Sahu
4 July 2021 4:22 AM GMT
गाजीपुर बॉर्डर पर फ्लाइंग सिख मिल्खा सिंह की याद में किसान मजदूरो ने  मैराथन का आयोजन किया
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गाजीपुर बॉर्डर पर रविवार को संयुक्त किसान मोर्चा ने फ्लाइंग सिख मिल्खा सिंह की याद में किसान मजदूर मैराथन का आयोजन किया. किसान नेता राकेश टिकैत ने बताया कि मिल्खा सिंह बड़े खिलाड़ी थे, इसलिए उनकी याद में आज हम दौड़ लगा रहे हैं

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। गाजीपुर बॉर्डर पर रविवार को संयुक्त किसान मोर्चा ने फ्लाइंग सिख मिल्खा सिंह की याद में किसान मजदूर मैराथन का आयोजन किया. किसान नेता राकेश टिकैत ने बताया कि मिल्खा सिंह बड़े खिलाड़ी थे, इसलिए उनकी याद में आज हम दौड़ लगा रहे हैं. इस दौड़ से उनके परिवार को एक मैसेज जाएगा कि आज भी उन्हें याद किया जाता है.

मिल्खा सिंह का पिछले महीने 19 जून को कोरोना से निधन हो गया था. 91 साल की उम्र में मिल्खा सिंह ने चंडीगढ़ के पीजीआई अस्पताल में अंतिम सांस ली. पिछले एक महीने से वो कोरोना से लड़ रहे थे. चार बार एशियन गेम्स के गोल्ड मेडलिस्ट मिल्खा सिंह को मई में कोरोना पॉजिटिव पाए जाने पर अस्पताल में भर्ती कराया गया था.
फ्लाइंग सिख नाम से मशहूर थे मिल्खा सिंह
ट्रेक एंड फील्ड में कई रिकॉर्ड बनाने वाले इस दिग्गज को फ्लाइंग सिख कहा जाता है, उन्हें ये नाम पाकिस्तान के तानाशाह शासक जनरल अयूब खान ने 1960 में उस समय के धाकड़ एथलीट अब्दुल खालिक को रेस में हराने पर दिया था. मिल्खा 1960 में ओलिंपिक मेडल जीतने के भी बहुत करीब थे, लेकिन मामूली अंतर से वो चौथे स्थान पर रहे थे.
ओलिपिंक मेडल से चूक गए थे मिल्खा सिंह
मिल्खा सिंह ने चार बार एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल जीता है. साथ ही वो 1958 कॉमनवेल्थ गेम्स के चैंपियन भी हैं. फिर 1960 के रोम ओलिंपिक खेलों में 400 मीटर की दौड़ में वो मामूली अंतर से पदक से चूक गए थे और चौथे स्थान पर रहे थे. वो 1956 और 1964 के ओलिंपिक खेलों में भी शामिल हुए थे. 1959 में उन्हें पद्मश्री सम्मान मिला था.


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