राजस्थान। कई जिलों में लंपी वायरस की वजह से पशुपालकों की मुसीबत बढ़ गई है. रोजाना सैकड़ों गायों की मौत हो रही है. लोग अपने गोवंशों को बचाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं. बाड़मेर के रहने वाले नागाराम चौधरी का परिवार अपने गोवंश की सुरक्षा के लिए पिछले 15 दिन से गायों को नीम की पत्तियों का धुआं देने के साथ उन्हें दिन में तीन बार फिटकरी से नहलाते हैं. एक गाय पूरी तरह से ठीक हो गई है तो वहीं 3 गाय का इलाज चल रहा है.
बाड़मेर के रहने वाले नगाराम चौधरी की चार गायें एक के बाद एक लंपी वायरस की चपेट में आ गई हैं. नगाराम चौधरी बताते हैं कि शुरुआती दिनों में गाय ने अचानक दूध देना बंद कर दिया. तेज बुखार आ गया और फिर खाना-पीना भी बंद कर दिया. सरकारी पशु चिकित्सालय जाकर भी दवाई लिखाई लेकिन उससे भी कुछ ज्यादा फर्क नहीं पड़ा. आखिरकार उन्होंने घर पर ही देसी इलाज करना शुरू किया. वह गोवंश की देखभाल कर रहे हैं. नगाराम की पत्नी लहरों देवी ने बताया कि सुबह 5:00 बजे उठकर सबसे पहले गायों को कुछ चारा देते हैं. उसके बाद हल्दी और दलिया से बनाई रोटी के टुकड़े खिलाते हैं. गायों को दिन में तीन बार फटकारी से नहलाते हैं. मच्छर-मक्खियां नहीं आएं इसके लिए स्प्रे भी करते हैं. इसके अलावा नीम के पत्तों का धुंआ देते हैं. इतना सब कुछ करने के बाद एक गाय पूरी तरीके से सही हो गई है तो दूसरी भी काफी हद तक सही है. हालांकि, अभी दो गाय बीमार हैं, उनकी भी देखभाल की जा रही है.
गायों में फैल रही लंपी स्किन वायरस की बीमारी को देखते हुए राज्य सरकार ने अतिरिक्त निर्देशक डॉक्टर प्रकाश सिंह भाटी को बाड़मेर भेज दिया है. डॉक्टर प्रकाश सिंह भाटी ने आजतक से बातचीत करते हुए बताया कि 23 लाख रुपये की औषधि इस बीमारी से निपटने के लिए बाड़मेर में बांटी जा रही है. कई टीम काम कर रही है बाड़मेर जिले में अभी तक 1813 पशुओं की सरकारी आंकड़े में मौत हो चुकी है जबकि हकीकत इससे कई गुना ज्यादा है.
पिछले तीन-चार दिन से लगातार शहर से लेकर गांव तक लंबी बीमारी की चपेट में गोवंश इस कदर आ रहा है कि गांव हो या ढाणी या शहर चारों तरफ बीमार गोवंश नजर आ रहे हैं तो दूसरी तरफ बीमारी से गोवंशो की मौत के बाद शव ही शव नजर आ रहे हैं.