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आशा पारेख को दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड, हासिल किया फिल्म इंडस्ट्री में खास मकाम

Admin2
27 Sep 2022 6:28 PM GMT
आशा पारेख को दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड, हासिल किया फिल्म इंडस्ट्री में खास मकाम
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आशा पारेख को दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड किया जायेगा सम्मानित

जनता से रिश्ता वेबडेस्क: 'दिल देके देखो', 'कटी पतंग', 'तीसरी मंजिल' और 'कारवां' जैसी फिल्मों के लिए मशहूर 79 वर्षीय अभिनेत्री को हिंदी सिनेमा में सबसे प्रभावशाली अभिनेत्रियों में शुमार किया जाता है।

पारेख ने 1990 के दशक के अंत में एक निर्देशक एवं निर्माता के तौर पर टीवी नाटक 'कोरा कागज' का निर्देशन किया था, जिसे काफी सराहा गया था।
उन्होंने हिंदी के अलावा पंजाबी, गुजराती और कन्नड़ फिल्मों में भी काम किया। अभिनेत्री ने अपनी खुद की प्रोडक्शन कंपनी भी लॉन्च की थी और टीवी शोज भी बनाए। उन्हें साल 1992 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया था।
अनुराग ठाकुर ने आशा की तारीफ करते हुए कहा कि उन्होंने 95 से ज्यादा फिल्मों में काम किया और 1998 से 2001 तक केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) की अध्यक्ष रहीं। पिछले साल, 2019 के लिए रजनीकांत को दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
आशा पारेख का शुरूआती जीवन
वे एक साधारण से मध्यम वर्गीय गुजराती जैन परिवार में जन्मी थी. बचपन में कभी वो डॉक्टर तो कभी आई एस अधिकारी बनने के बारे में सोचती थी. बहुत छोटी सी उम्र से ही उनकी माता जी ने उन्हें डांस सिखाने के लिए विभिन्न डांस इंस्टिट्यूट में उनका दाखिला कराती रहती थी. वे उन्हें एक अच्छी डांसर बनते देखना चाहती थी. बहुत से डांस के शिक्षकों ने उन्हें डांस की तालीम दी, जिनमे से एक डांस के शिक्षक पंडित बंसीलाल भारती का भी नाम है जो बहुत ही उच्च कोटि के डांस शिक्षक थे. इस वजह से आशा जी एक बहुत ही मजी हुई शास्त्रीय नृत्यांगना बन गई, और उन्होंने कई बड़े डांस शो भी किये है. वे विदेशों में भी अपना नृत्य शो करने जाती थी.
आशा पारेख का व्यक्तिगत जीवन
आशा पारेख जी अब भी बहुत सक्रीय है. वह एक डांस एकेडमी भी चलाती है जिसका नाम है कारा भवन. आशा पारेख बहुत ही खुश मिजाज और जिंदादिल इंसान है. वे बहुत ही उदार प्रवृति की है, वे बहुत सारे सामाजिक कार्यों से भी जुडी हुई है. इस वजह से उनके नाम पर मुम्बई में एक अस्पताल का नाम दिया गया है द आशा पारेख हॉस्पिटल. आशा पारेख जी भारतीय सिने आर्टिस्ट एसोसिएशन की अध्यक्ष भी रह चुकी है, इसके साथ ही उन्होंने 1994 से लेकर 2000 तक भारतीय फ़िल्म सेंसर बोर्ड की महिला अध्यक्ष के पद भार को भी संभाली. जो कि इतिहास बन गया क्योंकि इससे पहले किसी भी महिला को यह पद प्राप्त नहीं हुआ था. वह पहली ऐसी महिला बनी जो भारतीय सेंसर बोर्ड की अध्यक्ष बनी.
उन्होंने कभी शादी नहीं की लेकिन उनका नाम फ़िल्म के निर्देशक नसीर हुसैन के साथ जुडा रहा. आशा जी ने इस बात को माना भी, कि वे दोनों लबें समय तक दोस्त थे दोस्त से भी बढ़कर थे. उनकी बीवी के मरने के बाद वो अकेलापन में जीवन व्यतीत कर रहे थे. वे उनसे बात करना चाह रही थी, लेकिन इससे पहले ही 2002 में वो चल बसे. आशा जी आज भी अपने दोस्तों के साथ बातें करना बहुत पसंद करती है. हाल ही में उन्होंने अपना 70वां जन्मदिन सुस्मिता सेन, अरुणा ईरानी के अलावा और भी फ़िल्मी हस्तियों के साथ मनाया है. एक दौर था जब कोई भी अभिनेत्री बॉलीवुड के सुपर स्टार दिलीप कुमार साहेब के साथ काम करने के सपने देखती थी, लेकिन आशा जी ने कभी भी दिलीप कुमार के साथ काम करने की अपनी इच्छा नहीं जताई क्योंकि वो उन्हें उतना पसंद नहीं थे. शम्मी कपूर उनके पसंदीदा हीरो रहे है उन्होंने उनके साथ चार रोमांटिक फिल्मे भी की है. हमेशा वो एक दुसरे के साथ मस्ति करते रहते है और शम्मी कपूर उन्हें छेड़ते हुए भतीजी बुलाते है और आशा जी उनको चाचा बुलाती है.
आशा पारेख के पारिवार की जानकारी
आशा पारेख के परिवार में उनकी माता जी जोकि मुस्लिम थी और जिनका नाम सुधा पारेख था, तथा पिता जोकि हिन्दू थे और उनका नाम प्रनालाल पारेख था थे. उनके माता और पिता दोनों ही अलग अलग धर्मों से थे, लेकिन फिर भी इनका परिवार साई बाबा का भक्त था. एक समय जब वो अपनी माँ के साथ ट्रेन में यात्रा कर रही थी, तब उनकी माँ ने देखा कि कुछ यात्री उनकी लाडली के चेहरे के भावों को देखकर आनंदित हो रहे है, तब से उनकी माता जी को यह अहसास हो गया था वो कुछ अलग करेंगी. आशा जी अपने माता पिता की एकलौती संतान है. इसलिए वह अपने माता पिता की बहुत लाडली भी थी. अपनी माता जी की मृत्यु के बाद वह बड़े बंगले से एक छोटे से आपार्टमेंट में रहने लगी.
आशा पारेख का करियर
आशा पारेख जी ने बाल कलाकार के रूप में अपने अभिनय की शुरुआत सन 1952 में फ़िल्म आसमान से की. आशा जी स्टेज शो किया करतीं थी और नृत्य स्टेज शो के ही कार्यकम में उनकों फ़िल्म के मशहुर निर्देशक विमल रॉय जी ने देखा, वो उनके नृत्य को देख कर काफी प्रभावित हुए और उन्होंने उसी समय आशा जी से पूछा कि क्या वह फिल्मों में काम करने के लिए तैयार है, आशा जी का जवाब हाँ था और इस तरह से उनका बॉलीवुड फिल्मों का सफ़र शुरू हुआ.
विमल रॉय जी के निर्देशन में बनी फ़िल्म बाप बेटी में आशा जी ने अभिनय किया जो कि 1954 में आई थी. उस वक्त आशा जी बहुत ही छोटी थी उस समय वह 10 वी कक्षा में पढ़ती थी. यह फ़िल्म बहुत ज्यादा नहीं चली और आशा जी को निराशा हाथ लगी. फिर 17 साल की उम्र में उन्होंने फिल्मों में फिर से अपने अभिनय को तलाशने की शुरूआत की, लेकिन एक फ़िल्म 'गूंज उठी शहनाई' में उन्होंने दो दिन की शूटिंग की. जिसमे विजय भट्ट ने उन्हें निकाल दिया था. विजय भट्ट ने उन्हें लेने से मना कर दिया साथ ही उन्होंने आशा जी के बारे में ये भी कहा की वो हीरोइन नहीं बन सकती, क्योंकि वो इस काम के लायक नहीं है. जबकि बाल कलाकार के रूप में चैतन्य महाप्रभु में उन्होंने विजय जी के साथ काम किया था. फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी और अपनी कोशिश को जारी रखा, और उन्हें सफलता भी मिली. उन्हें 1959 में फ़िल्म निर्माता सुबोध मुखर्जी द्वारा फ़िल्म 'दिल दे के देखो' का ऑफ़र मिला जिसका निर्देशन नासिर हुसैन जी कर रहे थे. यह फ़िल्म उस समय की हिट फ़िल्म रही और आशा जी फ़िल्म इंडस्ट्रीज में सफल अभिनेत्री बन गई फिर उनके सफलता का दौर निकाल पड़ा.
आशा पारेख की फिल्मोग्राफी
आशा पारेख जी ने कुल 90 फिल्मों में काम किया है उनके फिल्मों के नाम- 'जब प्यार किसी से होता है', 'घराना', 'छाया' जोकि 1961 में आई थी, 'फिर वही दिल लाया हु', 'मेरी सूरत तेरी आँखे', 'भरोसा', 'बिन बादल बरसात' जोकि 1963 में आई, 'बहारों के सपने', 'उपकार' जो कि 1967 में आई थी, 'प्यार का मौसम', 'साजन', 'महल', 'चिराग', 'आया सावन झूम के' जो 1969 में आई, 'फिर आई कारवां', 'नादान', 'जवान मोहब्बत', 'ज्वाला', 'मेरा गाव मेरा देश' जो के 1971 में आई थी. इस तरह से आशा जी ने फिल्मों की झड़ी लगा दी.
आशा जी ने कई बड़े निर्माता और निर्देशकों के साथ काम किया. इसके अलावा आशा जी ने कई सीरियलों का निर्माण भी किया है, जिनके नाम है 'पलाश के फूल', 'कॉमेडी सीरियल दाल में काला' और इसके साथ ही 'बाजें पायल', 'कोरा कागज' जैसी सीरियल को बनाई है. इन सबके अलावा आशा पारेख जी ने गुजराती, पंजाबी, और कन्नड़ फ़िल्म में भी काम किया है. पंजाबी में उनकी फ़िल्म का नाम कंकड़ दे ओले, जोकि 1971 में आई, गुजराती में उनकी फ़िल्म अखंड सौभाग्यवती बनी थी और कन्नड़ में 1989 में उनकी फ़िल्म आई थी शरावेगदा सरदार.
आशा पारेख जी कि फिल्मों के नाम की फेहरिस्त बहुत लम्बी है जिनका वर्णन इस प्रकार है-
1954 : धोबी डॉक्टर, बाप बेटी, श्री चैतन्य महा प्रभु
1956 : अयोध्यापति
1957 : उस्ताद, आशा
1959 : दिल दे के देखो
1960 : घूँघट, हम हिन्दुस्तानी
1961 : घराना, छाया, जब प्यार किसी से होता है
1962 : अपना बना के देखो
1964 : जिद्दी
1965 : मेरे सनम
1966 : आये दिन बहार के, तीसरी मंजिल, लव इन टोकियो, दो बदन
1968 : कही और चल, शिखर, कन्यादान
1970 : कंकन दे ओले यह एक पंजाबी फ़िल्म थी, कटी पतंग, नया रास्ता, भाई भाई, पगला कही का, नया रास्ता, आन मिलो सजना
1972 : राखी और हथकड़ी, समाधि
1973 : हीरा
1974 : अनजान राहें
1975 : रानी और लाल परी, ज़ख्मी
1976 : उधार का सिंदूर
1977 : आधा दिन आधी रात
1978 : मै तुलसी तेरे आँगन की
1979 : बिन फेरे हम तेरे, प्रेम विवाह
1980 : सौ दिन सास के, बुलंदी
1981 : कालिया, खेल मुक़द्दर का
1984 : धर्म और कानून, मंजिल मंजिल, पाखंडी
1985 : लावा
1986 : कार थीफ
1988 : हमारा खानदान, मैं तेरे लिए, सागर संगम, हम तो चले परदेश
1989 : बटवारा, हथियार
1993 : प्रोफ़ेसर की पड़ोसन
1994 : घर की इज्जत, भाग्यवान
1995 : आन्दोलन
आशा पारेख के अवार्ड और उपलब्धियां
आशा पारेख जी ने बहुत सारे अवार्ड अपने नाम किया है, जिनमे शामिल है –
1992 में पद्मा श्री अवार्ड की प्राप्ति,
2002 में लाइफ़ टाइम अचीवमेंट अवार्ड,
2006 में सप्तरंग के सप्ताशी अवार्ड, अन्तराष्ट्रीय भारतीय फ़िल्म अकादमी, गुजराती एसोसिएशन ऑफ़ उत्तर अमेरिका के पहले अंतराष्ट्रीय सम्मलेन में लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया.
साल 1971 में इन्हें फिल्म कटी पतंग के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के लिए फिल्म फेयर अवार्ड जीता.
भारतीय फ़िल्म उधोग में उत्कृष्ट योगदान के लिए भारतीय मोशन प्रोडूसर एसोसियसन द्वारा उन्हें समानित किया गया.
2004 में कलाकार अवार्ड का लाइफ़ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया.
2007 में पुणे अंतराष्ट्रीय फ़िल्म फेयर सामारोह में लाइफ़ टाइम अचीवमेंट अवार्ड, बॉलीवुड अवार्ड जोकि लाइफ़ टाइम अचीवमेंट के लिया मिला, से सम्मानित हुई.
फेड्रेसन ऑफ़ इंडियन चैम्बर ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री द्वारा लीविंग लीजेंड अवार्ड से सम्मानित हुई.
फ़िल्म फेड्रेसन ऑफ़ इण्डिया द्वारा अपनी फ़िल्मी सफ़र के लिए गोल्डन जुबली अवार्ड से सम्मानित.
नासिक इंटर नेशनल फिल्म फेस्टिवल, जयपुर इंटर नेशनल फ़िल्म फेस्टिवल, जागरण फ़िल्म फेस्टिवल, स्टारडस्ट में लाइफ़ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
साथ ही सबसे ज्यादा स्टालिश आइकॉन के लिए हिंदुस्तान टाइम्स का अवार्ड भी प्राप्त की.
2014 में स्टारडस्ट द्वारा लाइफ़ टाइम अचीवमेंट अवार्ड दिय गया. आशाराम अकादमी द्वारा भीष्म अवार्ड मिला 2012 में, नासिक अंतर्राष्ट्रीय फ़िल्म फेस्टिवल में दादा साहेब फाल्के मेमोरियल द्वारा जीवन गौरव पुरस्कार प्राप्त हुआ.
2011 संस्कृति कल्चर फाउंडेशन की तरफ से संस्कृति कला श्री लाइफ यिमे अचीवमेंट अवार्ड प्राप्त की.
आशा पारेख विवादों में
जब वह सेंसर बोर्ड की अध्यक्ष थी तब उन्होंने कई मजबूत फैसले लिए थे. बहुत सारी फिल्मों को उन्होंने साफ़ सुथरी नहीं होने पर पास नहीं होने दिया था, जिनमे एक फ़िल्म थी शेखर कपूर की एलीजाबेथ जिसको लेकर थोड़ी बहस हुई थी.
आशा पारेख जी की बाते जो चर्चा में रही
जब उनसे उनके निजी जीवन के बारे में सवाल किया गया था कि क्या कोई विशेष व्यक्ति आपके जीवन में था, तो उनका सीधा सा जवाब था कि मैं एक सामान्य महिला हूँ, मै एक अच्छी अविवाहित युवती भी हो सकती हु लेकिन मै ऐसी नहीं हूँ.
जब उनसे पूछा गया की अब क्या वो अपने लिए एक अपने परिवार को याद करती है, तो उन्होंने कहा कि हाँ, एक समय था जब मै ये सब चाहती थी, लेकिन अब जब मै बहुत सारे दुसरे शादी शुदा लोगों को देखती हूँ कि वो जबरदस्ती के रिश्तों में बंध कर रिश्तों को ढ़ों रहे है तब मै अच्छा महसूस करती हूँ कि मै इस तरह के किसी भी रिश्तें में नहीं हूँ. और आज पति पत्नी के बीच हो रहे तनाव, बच्चों के लिए तनाव को देखकर मुझे ठेस पहुँचती है.
उन्होंने साथ ही अपने फिल्मों में काम को न करने की वजह को बताते हुए यह भी कहा कि मेरे लिए कोई भी या किसी भी तरह के भाभी या माँ का रोल नहीं है. मै अपने आप को किसी भी ऐसे व्यक्ति को बचाते हुए नहीं देख सकती जो उस योग्य न हो.
आशा पारेख जी के ऊपर उनकी बायोपिक फ़िल्म भी बनने जा रही है जिसके बारे में तरह तरह के सवाल उनसे पूछे गए, जब उनसे पूछा गया कि वो अपनी बायोपिक में बतौर अभिनेत्री के रूप में किसे देखना पसंद करेंगी, तो उन्होंने अभी की सबसे मशहुर अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा और दीपिका पादुकोण के नाम लेते हुए कहा कि अगर ये मेरे किरदार को निभाए तो मुझे अच्छा लगेगा. प्रियंका चोपड़ा का जीवन परिचय यहाँ पढ़ें.
आशा पारेख वर्तमान में
2017 में एक पत्रकार जोकि आशा जी के दोस्त भी है खालिद मोहम्मद द्वारा उनकी ऑटो बायोग्राफी लिखी जा रही है, जिसका नाम है "द हिट गर्ल'. जिसको बॉलीवुड अभिनेता सलमान खान रिलीज करेंगे. जिसकी तारीख 10 अप्रैल मुकरर हुई है. आशा जी के साथ सलमान खान के रिश्ते हमेशा से ही पारिवारिक रहे है. आज भी आशा पारेख जी सलमान खान के पिता और हेलेन की बहुत करीबी दोस्त है. आशा जी जब कभी भी अकेली रहती है तो वो अपनी सबसे अच्छी दोस्तों के साथ समय बिताना चाहती है. साधना जी, नन्दा, वहीदा रहमान की जीवनी, शम्मी कपूर और ये सभी उनके अच्छे और पुराने दोस्त है आज भी ये एक दुसरे से हर रोज मिलते है, और मस्ती करते हुए पुराने दिनों को याद करते है.













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