नेता के मालिकाना हक वाली फर्जी कंपनी का खुलासा, ED ने किया दावा
बंगाल। ईडी ने उत्तर 24 परगना जिले के देगंगा में हाल ही में गिरफ्तार किए गए तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के ब्लॉक अध्यक्ष अनीसुर रहमान उर्फ बिदेश और उसके भाई अलिफ नूर उर्फ मुकुल के मालिकाना हक वाली एक फर्जी कॉर्पोरेट इकाई का पता लगाया है। ईडी पश्चिम बंगाल में राशन वितरण घोटाले की जांच कर रही है। सूत्रों के अनुसार, इस कॉर्पोरेट इकाई का नाम जीपी एग्रो फूड प्रोडक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड है। केंद्रीय एजेंसी के अधिकारियों को कुछ सुराग मिले हैं कि यह कॉरपोरेट इकाई सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के माध्यम से वितरित किए जाने वाले चावल और गेहूं को खुले बाजारों में प्रीमियम (महंगी) कीमतों पर बेचती थी।
केंद्रीय एजेंसी के अधिकारियों ने पिछले हफ्ते दोनों भाइयों के मालिकाना हक वाली एक चावल मिल पर छापेमारी और तलाशी अभियान चलाया था। इस दौरान अधिकारियों ने राशन प्रणाली में राज्य सरकार से संबद्ध वितरक की मुहर और हस्ताक्षर वाली खाली रसीदें भी जब्त की थीं। सूत्रों ने बताया कि ईडी अधिकारियों का मानना है कि इन रसीदों की बरामदगी से बिदेश, मुकुल, राज्य सरकार से संबद्ध वितरकों और राज्य खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के अधिकारियों के एक वर्ग के बीच मिलीभगत का सबूत मिलता है।
बिदेश और मुकुल व्यवसायी बाकिबुर रहमान के चचेरे भाई हैं, जिन्हें राशन जांच घोटाले में ईडी अधिकारियों ने सबसे पहले गिरफ्तार किया था। जांच में पता चला है कि बाकीबुर ने भी पीडीएस के माध्यम से वितरण के लिए खाद्य पदार्थों को खुले बाजार में प्रीमियम कीमतों पर बेचने का एक जैसा तरीका अपनाया था। सूत्रों के अनुसार, केंद्रीय एजेंसी के अधिकारी मामले के एक अन्य आरोपी अब्दुल बारिक बिस्वास को पूछताछ के लिए कोलकाता के उत्तरी बाहरी इलाके में स्थित साल्ट लेक कार्यालय में उपस्थित होने के लिए ज्यादा समय देने को तैयार नहीं हैं।
ईडी अधिकारियों ने पिछले बुधवार को पूछताछ के लिए बिस्वास को नोटिस भेजा था। उन्हें शुक्रवार दोपहर तक ईडी के साल्ट लेक कार्यालय में उपस्थित होने के लिए कहा गया था। हालांकि, सूत्रों ने बताया कि निर्धारित समय सीमा के भीतर पेश होने के बजाय बिस्वास ने ईडी को एक पत्र भेजकर पेश होने के लिए कुछ और समय मांगा था। हालांकि, सूत्रों ने बताया कि केंद्रीय एजेंसी के अधिकारी उन्हें पूछताछ के लिए पेश होने के लिए और समय देने के लिए तैयार नहीं हैं। ज्यादा से ज्यादा उन्हें एक और नोटिस भेजा जाएगा, जिसमें पेश होने के लिए नई समय सीमा तय की जाएगी। अगर वह इसमें भी चूक जाते हैं तो ईडी के अधिकारी कानूनी प्रावधानों के अनुसार कार्रवाई करेंगे।