दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने एक फेक कॉल सेंटर का भंडाफोड़ करते हुए मास्टरमाइंड समेत 17 लोगों को गिरफ्तार किया है. जिनमें से वे लोग भी शामिल हैं जो कॉल सेंटर में बैठकर लोगों को अपना शिकार बनाने के लिए फोन किया करते थे. पुलिस के मुताबिक इनके टारगेट पर विदेशी लोग होते थे. ये अपने सेंटर में बैठकर दुनिया के किसी भी हिस्से में किसी के कंप्यूटर पर पॉप अप भेज देते और फिर उस शख्स को फोन करते और उसे कहते कि आपके कंप्यूटर में वायरस अटैक हो गया है. और जल्द ही अगर आपने इसका उपाय नहीं किया तो न सिर्फ आपका पूरा डेटा बल्कि बैंक अकाउंट का डिटेल भी चोरी हो सकता है.
सामने वाला अगर इनकी बातों में आ जाता तो यह उससे उसके कंप्यूटर का कंट्रोल अपने हाथों में ले लेते और फिर वायरस क्लीन करने के नाम पर फीस वसूलते यह सारा धंधा पश्चिमी दिल्ली के राजौरी गार्डन से चल रहा था. दिल्ली पुलिस को इस कॉल सेंटर के बारे में शिकायत मिली थी जिसके बाद से दिल्ली पुलिस की साइबर सेल इसकी जांच में जुटी हुई थी. पुलिस ने उस कंप्यूटर के बारे में पता लगाने की कोशिश की जहां से पॉप अप भेजे जाते थे और साथ ही पुलिस ने उन अकाउंट्स के भी डिटेल निकालने की कोशिश की जहां पर यह रकम जमा होती थी.
पुलिस को पता लगा कि जहां से पॉप अप भेजे जा रहे हैं वह इलाका पश्चिमी दिल्ली के राजौरी गार्डन का है. सटीक जानकारी के बाद पुलिस ने जब मौके पर रेड की तो वहां पर पुलिस को इस पूरे गोरखधंधे के मास्टरमाइंड साहिल दिलावरी समेत 17 लोग मिले. पुलिस ने तुरंत सब को हिरासत में ले लिया उस सेंटर पर 20 कंप्यूटर सेट भी लगे हुए थे. पुलिस ने जब मौके पर रेड की तो उस समय ये लोग इंग्लैंड की एक डॉक्टर महिला को अपनी ठगी का शिकार बनाना चाहते थे और उससे लगातार बातचीत कर रहे थे फिर पुलिस ने उस फोन कॉल को ले लिया और उस महिला को समझाया यह सब कुछ झूठ है ना तो आपके कंप्यूटर में कोई वायरस अटैक हुआ है और न किसी तरीके से घबराने की कोई जरूरत है यह ठगों का एक तरीका है.
पुलिस ने बताया कि यही लोग पहले पॉप अप भेजते हैं और फिर वायरस क्लीन करने के नाम पर लोगों से मोटी रकम वसूलते हैं. पुलिस का कहना है कि पिछले 1 साल के अंदर इन लोगों ने 10 करोड़ से ज्यादा की ठगी की है. पुलिस के मुताबिक मुख्य आरोपी साहिल पिछले 3 सालों से फेक कॉल सेंटर के जरिए विदेशी नागरिकों को अपनी ठगी का शिकार बना रहा था. एक दूसरे तरीके में ये लोग विज्ञापन देते और लोगों के पास मैसेज भेजते कि अगर प्रिंटर इंस्टॉलेशन में कोई दिक्कत है तो इनके कॉल सेंटर पर मुफ्त सहायता के लिए कॉल किया जा सकता है.
जैसे ही लोग इनके कॉल सेंटर पर फोन करते इनकी वही ठगी की पूरी कहानी शुरू हो जाती और वायरस के नाम पर डरा कर यह लोगों से रकम वसूल लेते. पुलिस का कहना है कि एक अनुमान के मुताबिक पिछले 1 साल में लोगों ने यूएस और कनाडा के 2,200 से ज्यादा नागरिकों को अपनी ठगी का शिकार बनाया है इस पूरे मामले की जांच अभी जारी है.