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फैक्ट्री का पर्दाफाश: इस्तेमाल हुए गंदे सर्जिकल ग्लव्स को धोकर किया जाता था पैक, बड़े पैमाने पर मार्किट में होती थी सप्लाई

jantaserishta.com
5 May 2021 12:18 PM GMT
फैक्ट्री का पर्दाफाश: इस्तेमाल हुए गंदे सर्जिकल ग्लव्स को धोकर किया जाता था पैक, बड़े पैमाने पर मार्किट में होती थी सप्लाई
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फैक्ट्री का पर्दाफाश: इस्तेमाल हुए गंदे सर्जिकल ग्लव्स को धोकर किया जाता था पैक, बड़े पैमाने पर मार्किट में होती थी सप्लाई

98 कट्टे इस्तेमाल किए गए गंदे सर्जिकल ग्लव्स और 60 कट्टे धोकर पैकिंग के लिए रखे गए ग्लव्स के बरामद किए.

यूपी के गाजियाबाद जिले में पुलिस ने एक ऐसी फैक्ट्री का पर्दाफाश किया है, जहां अस्पतालों में इस्तेमाल हो चुके गंदे सर्जिकल ग्लव्स को धोकर फिर पैक किया जाता था और इसके बाद उसे मार्किट में सेल के लिए सप्लाई किया जाता था. पुलिस के मुताबिक आरोपियों को पता था कि कोरोना की दूसरी लहर में सर्जिकल ग्लव्स मांग बहुत बढ़ गई है, इसलिए उन्होंने इस काम के लिए फैक्ट्री शुरू कर दी.

गाजियाबाद पुलिस को सूचना मिली थी कि कोरोना महामारी के बीच गाजियाबाद में एक ऐसी फैक्ट्री चल रही है, जहां अस्पतालों के बाहर फेंके गए सर्जिकल ग्लव्स को इकठ्ठा करके लाया जाता है. उसके बाद उन सर्जिकल ग्लव्स को फैक्ट्री में वाशिंग करके पैकिंग की जाती है. फिर बड़े पैमाने पर मार्किट में उनकी सप्लाई की जाती है.
पुलिस ने मुखबिर की इस सूचना पर ट्रोनिका सिटी के सेक्टर 3 में एक फैक्ट्री पर छापेमारी की और वहां से 98 कट्टे इस्तेमाल किए गए गंदे सर्जिकल ग्लव्स और 60 कट्टे धोकर पैकिंग के लिए रखे गए ग्लव्स के बरामद किए. इसके साथ ही 800 पैकिंग बॉक्स, गंदे सर्जिकल ग्लव्स की धुलाई करने वाली 2 मशीनें, 1 ग्लव्स ड्रायर मशीन और धुलाई पैकिंग से संबंधित अन्य सामान बरामद किया गया.
पुलिस ने मौके से अजीम अहमद, परवेज और गुड्डू नामक तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है. पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि जब कोरोना की दूसरी लहर शुरू हुई तो सर्जिकल ग्लव्स की डिमांड मार्किट में ज्यादा बढ़ गई. इसी को ध्यान में रखकर इन तीनों ने ट्रोनिका सिटी में खाली पड़ी फैक्ट्री को किराए पर लिया और मशीन लगाकर ये धंधा शुरू किया.
पुलिस के मुताबिक पहले तीनों आरोपी अस्पताल में इस्तेमाल हो चुके सर्जिकल ग्लव्स जमा करते थे. फिर उन्हें फैक्ट्री में लाकर मशीन से उनकी धुलाई करते थे. फिर उन्हें दूसरी मशीन से ड्राय किया जाता था. इसके बाद नई पैकिंग करके उन्हें मार्किट में बेच दिया जाता था.
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