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विदेश मंत्री जयशंकर बोले- मुश्किल घड़ी में श्रीलंका के साथ खड़े होने के लिए सर्वसम्मति से समर्थन

Kajal Dubey
18 Jun 2022 10:51 AM GMT
विदेश मंत्री जयशंकर बोले- मुश्किल घड़ी में श्रीलंका के साथ खड़े होने के लिए सर्वसम्मति से समर्थन
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विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शनिवार को श्रीलंका की स्थिति पर संसदीय सलाहकार समिति की बैठक की अध्यक्षता की। उन्होंने कहा कि बैठक में इस कठिन समय में पड़ोसी देश के साथ खड़े होने की आवश्यकता पर सभी ने एकजुटता से समर्थन दिया। जयशंकर ने विदेश मामलों की संसदीय सलाहकार समिति की बैठक में भाग लेने वाले सांसदों के साथ तस्वीरें भी पोस्ट कीं। बैठक में विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन, मीनाक्षी लेखी और राजकुमार रंजन सिंह भी शामिल हुए। जयशंकर ने कहा कि भारत की ओर से श्रीलंका की मदद के लिए की गई चर्चा सार्थक रही।
आजादी के बाद का भीषण आर्थिक संकट
श्रीलंका 1948 में ब्रिटेन से आजादी मिलने के बाद से सबसे भीषण आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। श्रीलंका सरकार ने कहा है कि हम इस कठिन समय में आईएमएफ की नीतियों का समर्थन करते हुए मदद चाहते हैं। श्रीलंका आईएमएफ समेत विश्व के अन्य संस्थानों से चार-पांच अरब डॉलर की सहायता चाहता है।
कंगाल हो चुका है देश, डिफॉल्टर बना
श्रीलंका अपने इतिहास में पहली बार विदेशी कर्ज चुकाने में विफल रहा था। देश लगभग कंगाल हो चुका है। विदेशी मुद्रा के घोर संकट के कारण ही वह डिफॉल्टर बना। अप्रैल में उसने एलान किया था कि वह इ साल 7 अरब डॉलर के विदेशी कर्ज की अदायगी टाल दी है। उसे 2026 तक कुल 25 अरब डॉलर का कर्ज चुकाना है। उस पर कुल 51 अरब डॉलर का कर्ज है। प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने कहा है कि आईएमएफ के साथ आर्थिक पुनर्वास समझौता देश की वित्तीय जरूरतों की पूर्ति के लिए महत्वपूर्ण होगा। वहीं, राष्ट्रपति गोतबाया राजपक्षे ने स्वीकार किया है कि देश को बहुत पहले ही आईएमएफ से सहायता मांगनी चाहिए थी। भारत ने पड़ोसी धर्म निभाते हुए इस साल जनवरी से श्रीलंका की आर्थिक मदद की है।
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